Deepthi Jeevanji: दीप्ति को 'मेंटल मंकी' कहकर चिढ़ाते थे गांव वाले, मां ने बताई दर्दनाक कहानी

Deepthi Jeevanji: दीप्ति जीवनजी के जज्बे को पूरी दुनिया जरुर मौजूदा समय में सलाम कर रही है, लेकिन शुरुआती सफर उनका आसान नहीं था. गांव वाले उन्हें 'पिछी कोठी' (मेंटल मंकी) कहकर चिढ़ाया करते थे.

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Villagers Used to Tease Deepthi Jeevanji by calling her 'Mental Monkey': आज पूरी दुनिया दीप्ति जीवनजी के जज्बे को सलाम कर रही है. हालांकि, पेरिस पैरालंपिक से पहले उनका सफर आसान नहीं था. गांव के जिन सगे संबंधियों से उन्हें प्यार और सपोर्ट की जरूरत थी. वहीं उन्हें 'पिछी कोठी' (मेंटल मंकी) कहकर तंज कसा करते थे. इसके पीछे की मुख्य वजह उनके शरीर की बनावट थी, मगर इसमें उनका कोई दोष नहीं था. 

दीप्ति के मां के मुताबिक उनकी बेटी का जन्म सूर्य ग्रहण के दौरान हुआ था. इसका असर भी उनके ऊपर पड़ा. बचपन से ही उनका सिर सामान्य बच्चों की अपेक्षा काफी छोटा था. यही नहीं दीप्ति के नाक और होंठ भी थोड़े औरों से अलग थे. यही वजह था कि गांव वाले उन्हें 'पिछी कोठी' कहकर तंग किया करते थे. 

दीप्ति जीवनजी को गांव वालों की ये बातें काफी बुरी भी लगती थी. वह अक्सर अकेले में बैठकर रोया करती थीं. यही नहीं लोग उनकी मां से कहते थे कि वह पागल है. तरह तरह की वह बातें बनाते थे और अनाथालय भेजने की सलाह दिया करते थे. 

दीप्ति जब तक कुछ करने के काबिल नहीं थीं, तबतक तो उन्होंने लोगों का सुना. मगर सक्षम होते ही उन्होंने अब अबको करारा जवाब दिया है. आज पूरी दुनिया उनके तारीफों की पुल बांध रही है. इसमें उनके गांव वाले भी शामिल हैं, जो कभी उन्हें तंग किया करते थे. 

महिला खिलाड़ी ने पेरिस पैरालिंपिक 2024 में महिलाओं की 400 मीटर टी20 स्पर्धा के फाइनल मुकाबले में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाते हुए इतिहास रच दिया है. उन्होंने टूर्नामेंट के दौरान यह स्पर्धा दौड़ महज 55.82 सेकंड में पूरी की.

दीप्ति वारंगल जिले के कल्लेडा गांव से रखती हैं ताल्लुक 

दीप्ति जीवनजी आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले में स्थित कल्लेडा गांव से ताल्लुख रखती हैं. उनके पिता का नाम जीवनजी यादगिरी और मां का नाम जीवनजी धनलक्ष्मी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महिला स्टार बौद्धिक विकलांगता के साथ जन्मी थीं. हालांकि, उन्होंने इसे कभी इसे अपने सफर में  रोड़ा नहीं बनने दिया.

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दीप्ति के मां के मुताबिक उनके घर की स्थिति बेहद खराब थी. उनके ससुर का जब निधन हुआ तो हालात और खराब हो गए. नौबत यह आ गई कि उनके पति को कुछ खेत भी बेचने पड़े. 

यही नहीं पति की आमदनी कम होने की वजह से उन्हें भी काम करना पड़ा. इस दौरान दीप्ति के साथ-साथ उनकी छोटी बहन अमूल्या भी कामकाज में हाथ बटाया करती थी. 

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