BJP 1st Candidate List: पैरालंपिक में जैवलिन थ्रो में गोल्ड जीतने वाले को बीजेपी के दिया टिकट, इस सीट से लड़ेगा चुनाव

Devendra Jhajharia: पैरालंपिक खेलों में दो स्वर्ण सहित तीन पदक जीतने वाले झाझरिया ने महज आठ साल की उम्र में एक पेड़ पर चढ़ते समय बिजली के तार के संपर्क में आने के बाद अपने बाएं हाथ का एक हिस्सा गंवा दिया था.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
Devendra Jhajharia: पैरालंपिक में जैवलिन में गोल्ड जीतने वाले को बीजेपी के दिया टिकट

BJP 1st Candidate List: पैरा भाला फेंक में देश को कई पदक दिलाने वाले देवेन्द्र झाझरिया आगामी आम चुनाव में अपने जन्मस्थान राजस्थान के चूरू से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. पैरालंपिक खेलों में दो स्वर्ण सहित तीन पदक जीतने वाले झाझरिया ने महज आठ साल की उम्र में एक पेड़ पर चढ़ते समय बिजली के तार के संपर्क में आने के बाद अपने बाएं हाथ का एक हिस्सा गंवा दिया था. जिंदगी की मुश्किल चुनौतियों का हंसकर सामना करने वाले 42 साल के झाझरिया थार रेगिस्तान के प्रवेश द्वार के तौर पर जाने जाने वाले चुरू से अपनी राजनीति पारी का भी आगाज करेंगे. इस क्षेत्र को गर्मी और सर्दी के मौसम में अपने रिकॉर्ड तापमान के लिए भी जाना जाता है.

बचपन की त्रासदी जिसके कारण उनका बायां हाथ काटना पड़ा, वह उन कई बाधाओं में से एक थी, जिनसे झाझरिया ने सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए संघर्ष किया. उनकी अथक प्रयास ने उन्हें पैरालंपिक में कई पदक दिलाए. इसमें आखिरी पदक 2021 तोक्यो खेलों में रजत पदक था. वह 2014 एशियाई पैरा खेलों में रजत विजेता होने के अलावा दो बार पैरा विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता भी हैं.

Advertisement

वह विश्व रिकॉर्ड धारक भी रह चुके है. झाझरिया को 2022 में देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण मिला था. उनके राजनीतिक उतरने की खबर तब आई है जब वह भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) का अध्यक्ष बनने की तैयारी कर रहे हैं. झाझरिया ने 2004 एथेंस और 2016 रियो पैरालंपिक में एफ46 दिव्यांग श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता था. वह पीसीआई में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन करने वाले इकलौते उम्मीदवार है.

Advertisement

एफ46 वर्ग में बांह की कमी और हाथ के कमजोर मांसपेशियां वाले खिलाड़ियों के लिए है. झाझरिया पैरालंपिक में दो स्वर्ण जीतने वाले इकलौते भारतीय है. उन्हें 2004 में अर्जुन पुरस्कार और 2017 में खेल रत्न से सम्मानित किया गया था. इस बीच 2012 उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. झाझरिया को अपने पिता के कैंसर से ग्रसित होने का पता चला तो उन्होंने खेल को अलविदा कहने का मन बना लिया था. उनके पिता राम सिंह ने हालांकि उन्हें खेल पर ध्यान देने की सलाह दी.

Advertisement

पिता की बात मानते हुए झाझरिया ने खेल पर ध्यान देना शुरू किया. वह अपने आखिरी लम्हों में अपने पिता के साथ नहीं रह सके. वह 2020 में राष्ट्रीय स्तर की एक प्रतियोगिता के दौरान पदक जीतने के बाद पिता की याद में अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रह सके थे. झाझरिया ने इससे पहले पैरालंपिक से उनके वर्ग की स्पर्धा को हटाने के बाद भी खेल को अलविदा कहने का मन बनाया था. एफ46 भाला फेंक 2008 और 2012 पैरालंपिक का हिस्सा नहीं था.

Advertisement

उनकी पत्नी और राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी खिलाड़ी मंजू ने उन्हें खेल जारी रखने का हौसला दिया. इसके बाद कोच रिपु दमन सिंह ने उन्हें अपने कौशल में सुधार करने में काफी मदद की. झाझरिया को उनकी दृढ़ता के लिए प्रेरणास्रोत माना जाता है. राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने के अपने फैसले के साथ वह एक और बड़ा लक्ष्य हासिल करना चाहेंगे.

यह भी पढ़ें: WTC Point Table: धर्मशाला में आखिरी टेस्ट से पहले टीम इंडिया को हुआ फायदा, अब इस स्थान पर पहुंची रोहित शर्मा एंड कंपनी

यह भी पढ़ें: IND vs ENG: "कोई बड़ा नाम यह सोचता है कि..." सुनील गावस्कर ने आखिरी टेस्ट से पहले दिया बड़ा बयान

Featured Video Of The Day
UP के Pilibhit में हुई मुठभेड़ में तीन आतंकी ढेर, Gurdaspur थाने पर हाल में फेंका था बम | BREAKING
Topics mentioned in this article