Exclusive: कुश्ती में देश को ब्रॉन्ज दिलाने वाले हरियाणा के छोरे अमन का भोलापन दिल जीत लेगा

Aman Sehrawat Created History: पेरिस ओलपिक में इतिहास रचने के बाद अमन सहरावत ने NDTV के साथ खास बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने अपने रेसलिंग करियर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों को साझा किया.

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Aman Sehrawat Created History: देश के युवा रेसलर अमन सहरावत ने इतिहास रच दिया है. 57 किग्रा कैटेगरी में उन्होंने बेहतरीन खेल दिखाते हुए ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है. ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद उनकी एनडीटीवी के साथ खास बातचीत हुई. NDTV के संवाददाता के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कुछ दिलचस्प सवालों का जवाब दिया है. NDTV संवाददाता ने जब उनसे उनके सफर के बारे में पूछा,"यहां आप रवि दहिया को हराते हुए पहुंचे हैं. क्या आपके लाइफ का ये बेस्ट मोमेंट चल रहा है? इसका जवाब देते हुए युवा रेसलर ने कहा, ''बेस्ट मोमेंट चल रहा है जी.''

हमारे संवाददाता ने जब उनके खेल के बारे में उनके कोच से बातचीत की तो उन्होंने कहा, ''इनके कुश्ती का मूलमंत्र है अटैकिंग. 100 परसेंट इनकी कुश्ती अटैकिंग है. दूसरे दौर में ऐसे रेसलर अपने विपक्षी रेसलर को बहुत कम टिकने देते हैं. इसकी वजह वहां इतना दमखम नही रहता है. इन्होंने अपने खेल में गियर चेंज 2 साल पहले स्पेन में किया था. वहां अंडर 23 में ये चैंपियन बने थे. उसी दौरान देखकर पता चल गया था कि इसमें वो बात है जो एक चैंपियन में होना चाहिए. इनकी जो सबसे बेजोड़ बात है. वह है इनका फोकस.''

हमारे संवाददाता ने जब अमन के स्ट्रगल के बारे में बातचीत की तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा, ''ना जी कोई बात नहीं जी. जिस दिन ओलंपिक में गोल आएगा. उस दिन देख लीजिएगा.'' अपने मां बाप के बारे में बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, ''उनकी याद तो आती ही है.'' इसके अलावा उन्होंने जवाब देते हुए बताया कि उनके रेसलर बनने की इच्छा उनके पिता की थी. अमन ने बताया अब पिता जी सोच रहे होंगे, ''हांजी छोरे ने ओलंपिक में मेडल ले आया.''

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बातचीत के दौरान अमन और उनके कोच ने बताया कि मैच से पहले उनका वजन काफी बढ़ गया था. इस दौरान काफी हार्ड वर्क करते हुए वह उसे कंट्रोल में ले आए. कोच के मुताबिक इनकी वजन करीब 61 किलो से ज्यादा बढ़ गई थी. मगर हमने वेन्यु पर ही एक से डेढ़ घंटे का हार्ड वर्क कर लिया था. 

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कोच के मुताबिक बाद में मैंने कहा बेटा थोड़ा आराम कर ले. फिर हम सुबह 4 बजे देखेंगे आगे क्या करना है, लेकिन अमन मानने को तैयार नहीं थे. उसके बाद उन्होंने रात 12.30 से ही वेट को कंट्रोल में लाने के लिए मेहनत करनी शुरू कर दी. उनकी मेहनत रंग लाई और वह देश के लिए ब्रॉन्ज जीतने में कामयाब रहे.

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