मुंबई की लाइफ लाइन लोकल ट्रेन क्यों बन रही 'डेडलाइन'? ऑटोमेटिक गेट से लैस हाईटेक मॉडल क्या रोक सकेंगे हादसे?

Mumbai Local Trains: मुंबई लोकल ट्रेनों में हो रहे हादसे और यात्रियों की मौत पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को गंभीर चिंता जताई है. कोर्ट ने सेंट्रल रेलवे से कहा है कि ऑटोमेटिक दरवाजों की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाए.

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मुंबई लोकल ट्रेन में हादसों को रोकने के लिए क्या की जा रही है तैयारी?

Mumbai Local Trains: मुंबई की लोकल ट्रेन को यहां की लाइफ लाइन कहलाती है. हर रोज लाखों लोग लोकल ट्रेन से सफर करते हैं. लेकिन मायानगरी में बढ़ रही भीड़ का असर लोकल ट्रेनों पर भी पड़ती नजर आ रही है.  लोकल ट्रेनों में सफर अब रोज एक जंग सी लगती है. भीड़ ऐसी कि दरवाजें तक पहुंचना मुश्किल, बच्चे दौड़ते हैं, लोग लटकते हैं. हर दिन लाखों यात्री जैसे-तैसे लोकल ट्रेनों में सफर करते हैं. लोकल ट्रेनों में बेतहाशा हो रही भीड़ कई बार हादसे का कारण भी बनती है. लोग हादसे में बुरी तरह से घायल होते हैं, जान भी गंवाते है.  

लोकल ट्रेनों में हो रहे हादसे पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने जताई चिंता

मुंबई लोकल ट्रेनों में हो रहे हादसे और यात्रियों की मौत पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को गंभीर चिंता जताई है. कोर्ट ने सेंट्रल रेलवे से कहा है कि ऑटोमेटिक दरवाज़ों की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाए. मुंबई लोकल ट्रेन में हुए हादसे में 5 लोगों की मौत के बाद रेलवे ने कई दावे किए लेकिन क्या ये भीड़भाड़ वाली लोकलों में असरदार साबित होंगे? 

ऑटोमेटेड डोर का प्लान कितना कारगर? 

महाराष्ट्र रेलवे प्रवासी संघटना अब लोकल ट्रेन में ऑटोमेटेड डोर के प्लान को एक कल्पना बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं. कूद, भाग, दौड़कर ट्रेन पकड़ने और उतरने वाली ये भीड़ बताती है कि जमीनी सच्चाई को समझे बिना कोई भी हाईटेक सिस्टम सिर्फ दिखावा होगा. 

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'Non AC लोकल ट्रेन में दरवाजे लगाना नामुमकिन'

महाराष्ट्र रेलवे प्रवासी संघटना के अभिजीत धूराट ने कहा, "हमने कई बार रेलवे के सभी बड़े अधिकारियों से मीटिंग कर अपनी समस्याएं बतानी चाहिए, लेकिन कुछ काम नहीं हो रहा. Non AC लोकल ट्रेन में दरवाजे लगाना नामुमकिन है और यह कभी अस्तित्व में नहीं आ सकता. कभी रेलवे बोल रही है कि पैनिक बटन लगाएंगे लेकिन लगा कहां रहे हैं. यह सब बस बोलने की बातें हैं रेलवे को ध्यान देना होगा. लाइफलाइन नहीं अब डेडलाइन बन चुकी है. 

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महाराष्ट्र रेलवे प्रवासी संघटना से जुड़े सुरेखा सुर्वे ने कहा, ऑटोमैटिक डोर लगाना बिल्कुल मुमकिन नहीं है, हमने कितनी बार रेलवे प्रशासन को पत्र दिया लेकिन कुछ जवाब नहीं आता.

लाखों की भीड़ और हादसों के बीच संतुलन बनाना चुनौती

भीड़ को कंट्रोल करना भी ज़रूरी है, लेकिन हादसों को टालना उससे कहीं ज़्यादा अहम. सेंट्रल रेलवे कहती है कि चुनौती दोहरी है. लाखों मुसाफ़िरों का दबाव और लगातार हो रहे हादसों के बीच संतुलन बनाकर सुरक्षा और सुविधा दोनों को साथ लेकर चलना अब रेलवे की प्राथमिकता है. 

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सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ बोले- लोकल ट्रेनों में दरवाजे लगाने का मकसद हादसों को रोकना

सेंट्रल रेलवे के CPRO स्वप्निल नीला ने कहा, "मुंबई लोकल ट्रेनों में दरवाज़े लगाने का मक़सद है हादसों को रोकना और यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाना. नए कोच में लूवर वाले दरवाज़े और रूफ-माउंटेड वेंटिलेशन सिस्टम लगाया जाएगा ताकि दमघोंटू माहौल न बने. यात्रियों की भीड़ का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए वेस्टिब्यूल कनेक्शन दिया जाएगा. 

सीपीआरओ ने कहा कि नवंबर 2025 तक डिजाइन फाइनल होगी और जनवरी 2026 तक दो प्रोटोटाइप मुंबई में चलने लगेंगे. साथ ही महाराष्ट्र में 80,000 करोड़ से ज़्यादा के रेल प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, जिससे ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी और सुविधाएं बेहतर होंगी.

ऑटोमेटिक दरवाजे लगाए जाने की राह में क्या है चुनौतियां

रेलवे ने कहा है कि लोकल ट्रेनों में ऑटोमेटिक डोर्स लगाए जाएंगे ताकि हादसे रोके जा सकें. लेकिन क्या नॉन-AC EMU में ये तकनीक लगाना इतना आसान होगा? ट्रेन का पुराना डिज़ाइन, वेंटिलेशन की ज़रूरत और भारी भीड़, ये सब मिलकर इसे टेक्निकली मुश्किल बना देते हैं.

मुंबई में लोकल ट्रेन में हो रहे हादसे के बाद अब चेन्नई की इंटेग्रल कोच फैक्ट्री सुरक्षा की कमान अपने हाथ में ले रही है. ICF के जनरल मैनेजर ने NDTV से बातचीत में बताया कि ये बदलाव न सिर्फ सेफ्टी बढ़ाएंगे, बल्कि भीड़ और दमघोंटू माहौल से राहत भी देंगे.

चेन्नई की ICF मुंबई लोकल ट्रेनों के लिए बना रही नया मॉडल

ICF CHENNAI के जनरल मैनेजर ने यू सुब्बा राव ने कहा कि चेन्नई की ICF अब मुंबई के लिए लोकल ट्रेनों का नया मॉडल बना रही है जिसमें ऑटोमेटिक डोर्स, नया सीटिंग और इलेक्ट्रिकल लेआउट, वेस्टिब्यूल्स के ज़रिए फ्री मूवमेंट, दरवाज़ों पर लूवर्स और ऊपर से फोर्स्ड वेंटिलेशन जैसी सुरक्षा सुविधाएं शामिल होंगी. 

मुंबई हादसे में 4 यात्रियों की मौत के बाद उठाए गए इस कदम के तहत पुरानी लोकल ट्रेनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा. ये बदलाव टेक्नोलॉजी अपग्रेड का हिस्सा हैं और लागत बढ़ेगी, लेकिन सुरक्षा सर्वोपरि है. दो प्रोटोटाइप ट्रेनें जनवरी 2026 तक तैयार होंगी.

नए डिज़ाइन में लूवर्स वाले दरवाजे, छत पर वेंटिलेशन

मुंबई हादसे के बाद रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड ने ICF के साथ बैठक कर नॉन-AC लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक डोर को लेकर समाधान खोजा है. नए डिज़ाइन में लूवर्स वाले दरवाज़े, छत पर वेंटिलेशन यूनिट और वेस्टिब्यूल की व्यवस्था की गई है ताकि हवा का प्रवाह बना रहे और भीड़ का संतुलन हो.

मुंबई लोकल ट्रेन के नए मॉडल की खासियतें जानिए

  • पहली नई ट्रेन नवंबर 2025 तक तैयार होगी और जनवरी 2026 से मुंबई में शुरू की जाएगी.
  • यह योजना 238 AC ट्रेनों से अलग है और खासतौर पर नॉन-AC ट्रेनों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाई गई है.
  • हादसे के बाद रेलवे ने खतरनाक मोड़ों पर गति नियंत्रित की, CCTV निगरानी बढ़ाई और यात्रियों के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया.
  • सुरक्षा जांच के लिए विशेष समिति बनाई गई है और GRP ने तकनीकी जांच शुरू कर दी है.

बुजुर्गों के लिए अलग कंपार्टमेंट बनाने की तैयारी

वेस्टर्न रेलवे CPRO विनीत अभिषेक ने कहा कि हमने लोकल ट्रेनों में पहले से ही बुजुर्गों के लिए कुछ स्पेस नॉमिनेट किया था, लेकिन हाल ही में इसे और बेहतर किया गया है. अब हमने चार लगेज कंपार्टमेंट्स में से एक को मॉडिफाई करके सिर्फ सीनियर सिटिज़न्स के लिए रिज़र्व किया है, जहां सिर्फ बुजुर्ग यात्री ही चढ़ सकेंगे. 

वीक टाइम, चाहे सुबह हो या शाम की भीड़, अब उन्हें तकलीफ नहीं होगी. यह सुविधा धीरे-धीरे लागू हो रही है और अगले एक साल में 100% ट्रेनों में पूरी तरह इंप्लीमेंट हो जाएगी. आने वाले हफ्तों में इसका असर दिखने लगेगा.)

बारिश में नहीं थमे लोकल ट्रेन के पहिए, इसकी भी तैयारी

मुंबई की बारिश आते ही लोकल ट्रेनों की रफ्तार थम जाती है. ट्रैक पर पानी, जाम ड्रेनेज और लेट ट्रेनों की परेशानी आम हो जाती है. लेकिन इस बार वेस्टर्न रेलवे ने पहले से तैयारी की है, ड्रेनेज की सफाई, स्ट्रक्चरल मजबूती और हाई-टेक निगरानी जैसे कदम उठाए गए हैं, ताकि मानसून में भी ट्रेनें बिना रुके चलती रहें और यात्री सुरक्षित रहें.

ड्रेनेज और सफाई की की जा रही व्यवस्था

वेस्टर्न रेलवे CPRO विनीत अभिषेक ने कहा कि मानसून में ट्रेन सेवाएं बिना रुकावट चलती रहें, इसके लिए वेस्टर्न रेलवे ने ड्रेनेज की जांच और सफाई को प्राथमिकता दी है. कई जगहों पर जहां ऊपर से देखना संभव नहीं होता, वहां हाई-डेफिनिशन वायरलेस मैनहोल कैमरे से ड्रेनेज की स्थिति का आकलन किया गया है. इसी आधार पर सफाई और मरम्मत का काम समय से पूरा किया गया है ताकि पानी जमा न हो और ट्रेनों की रफ्तार बनी रहे.

मुंबई लोकल ट्रेनों के हादसों में हर दिन औसतन 6 यात्री होते हैं शिकार

सिटी की लाइफलाइन मुंबई की लोकल ट्रेन हर दिन लाखों लोगों को ढोती हैं, लेकिन हर दिन औसतन 6 यात्री इस भीड़ और लापरवाही का शिकार भी बन रहे है. मुंब्रा हादसे के बाद भले ही ऑटोमेटिक दरवाज़ों और नए कोच डिज़ाइन की बात हो रही हो, लेकिन जब तक ज़मीनी बदलाव नहीं होंगे, तब तक ये लाइफलाइन, अपने किसी न किसी मुसाफिर को छिनती रहेगी. देखना होगा, की आखिर कब तक मुंबईकरों को ऐसा समाधान मिलेगा जो मुम्बई की रफ्तार को सच में समझे.
 

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