फाइल फोटो
मुंबई:
मुंबई के भायखला जेल में महिला कैदी मंजुला शेट्टे की हत्या की जांच अभी चल ही रही है. मामले में महिला जेलर सहित कुल 6 जेलकर्मी अरोपी हैं और गिरफ़्तार भी किये जा चुके हैं. लेकिन इसी बीच खुद जेल डीआईजी ने ही एक व्हाट्सऐप ग्रुप में आरोपियों के समर्थन में पोस्ट कर सभी से उनकी मदद करने की गुहार लगाई है. जेल डीआईजी स्वाति साठे के इस कारनामे ने आरोपियों के खिलाफ निष्पक्ष विभागीय जांच पर सवालिया निशान लगा दिया है क्योंकि स्वाति साठे ही विभागीय जांच अधिकारी हैं. अपनी भाभी की हत्या की दोषी मंजुला शेट्टे की 23 जून को जेल में मौत हो गई थी. जेल में बंद दूसरी महिला कैदियों ने जेलकर्मियों पर हत्या का आरोप लगाते हुए हंगामा किया. बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मंजुला के शरीर में अंदुरूनी जख्म के निशान मिले जिसके बाद मामले में एफआईआर दर्ज कर जेलर मनीषा पोखरकर सहित 6 जेलकर्मी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज मामले की जांच मुंबई क्राइम ब्रांच कर रही है, जबकि विभागीय जांच खुद जेल डीआईजी स्वाति साठे कर रही हैं. खास बात है कि इस पोस्ट की शिकायत दूसरे एक मामले में निलंबीत जेल अधीक्षक हीरालाल जाधव ने 4 जुलाई को राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की है. महाराष्ट्र कारागृह नाम से व्हाट्सऐप ग्रुप में स्वाति साठे ने अपने पोस्ट में लिखा है... “All our 6 coullege sister arrested today evening. PC till 7th july. आतातरी या मीडियाचा आत्मा शांत होईल का?” feeling sad n upset.
साफ है, स्वाति साठे ने अपने पोस्ट में मीडिया को भी निशाना बनाया है. उसी दिन उसके कुछ देर बाद ही स्वाति साठे ने फिर से एक पोस्ट किया है. “Dhamne Sir, Desai Sir, आपण सगळे जेलकर्मी अधिकारी आणि कर्मचारी भक्कम आधार देवू आपल्या भगिनींना. Please help all.” जिसका मतलब है हम अपने सारे जेलकर्मी अधिकारी और कर्मचारी बहनों का भरपूर समर्थन करेंगे.
स्वाति साठे यहीं नही रुकीं, ठीक 2 मिनट बाद उन्होंने फिर तीसरा पोस्ट किया है, “अरे इतक्या लोकांनी वाचले निदान yes तरी म्हणा.” मतलब इतने लोगों ने पढ़ा कम से कम हां तो कहो.
निलंबित हीरालाल जाधव ने तो अपने पत्र में स्वाति साठे पर आरोपी जेलकर्मियों की मदद के लिये 1000 और 500 रुपये इकट्ठा करने का आरोप भी लगाया है.
इस संबंध में जेल डीआईजी स्वाति साठे ने एनडीटीवी से फ़ोन पर बात करते हुए रुपये इकट्ठा करने के आरोप से तो इनकार किया लेकिन आधार देने के लिए आश्वासन से जुड़े पोस्ट की बात को सही ठहराया. ये पूछे जाने पर कि आप जिनकी जांच कर रही हैं उन्हीं के समर्थन में पोस्ट कर कैसे न्याय कर सकती हैं? इस पर स्वाति साठे का कहना था कि उन्होंने आरोपी जेलकर्मियों की मदद की बात नहीं बल्कि उनके परिवार वालों को आधार देने की बात लिखी है. आखिर उनका उसमें क्या दोष है? जहां तक जांच का सवाल है, उसमें मैं कोई कोताही नहीं बरतती हूं.
साफ है, स्वाति साठे ने अपने पोस्ट में मीडिया को भी निशाना बनाया है. उसी दिन उसके कुछ देर बाद ही स्वाति साठे ने फिर से एक पोस्ट किया है. “Dhamne Sir, Desai Sir, आपण सगळे जेलकर्मी अधिकारी आणि कर्मचारी भक्कम आधार देवू आपल्या भगिनींना. Please help all.” जिसका मतलब है हम अपने सारे जेलकर्मी अधिकारी और कर्मचारी बहनों का भरपूर समर्थन करेंगे.
स्वाति साठे यहीं नही रुकीं, ठीक 2 मिनट बाद उन्होंने फिर तीसरा पोस्ट किया है, “अरे इतक्या लोकांनी वाचले निदान yes तरी म्हणा.” मतलब इतने लोगों ने पढ़ा कम से कम हां तो कहो.
निलंबित हीरालाल जाधव ने तो अपने पत्र में स्वाति साठे पर आरोपी जेलकर्मियों की मदद के लिये 1000 और 500 रुपये इकट्ठा करने का आरोप भी लगाया है.
इस संबंध में जेल डीआईजी स्वाति साठे ने एनडीटीवी से फ़ोन पर बात करते हुए रुपये इकट्ठा करने के आरोप से तो इनकार किया लेकिन आधार देने के लिए आश्वासन से जुड़े पोस्ट की बात को सही ठहराया. ये पूछे जाने पर कि आप जिनकी जांच कर रही हैं उन्हीं के समर्थन में पोस्ट कर कैसे न्याय कर सकती हैं? इस पर स्वाति साठे का कहना था कि उन्होंने आरोपी जेलकर्मियों की मदद की बात नहीं बल्कि उनके परिवार वालों को आधार देने की बात लिखी है. आखिर उनका उसमें क्या दोष है? जहां तक जांच का सवाल है, उसमें मैं कोई कोताही नहीं बरतती हूं.
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