मुंबई में गणेशोत्सव की धूम, इन 10 पंडालों में उमड़ रहा श्रद्धालुओं का सैलाब; जानें गणेश चतुर्थी से जुड़ा इतिहास

महाराष्ट्र के लिए गणेशोत्सव सबसे बड़ा त्योहार इसलिए माना जाता है क्योंकि इसके पीछे आजादी की लड़ाई की एक दिलचस्प कहानी छिपी हुई है. बाल गंगाधर तिलक ने इसे अंग्रेजों के खिलाफ जनजागृति का माध्यम बनाया था.

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मुंबई:

महाराष्ट्र का महापर्व गणेशोत्सव का उत्साह पंडालों में देखते बन रहा है. मुंबईकरों में ग़ज़ब का जुनून है. लाखों की भीड़ उमड़ रही है. करोड़ों का चढ़ावा चढ़ रहा है. मराठा पेशवाओं से इस पर्व का जुड़ा इतिहास, अंग्रेजों के ख़िलाफ़ लड़ाई का बड़ा माध्यम बना और वहाँ से बप्पा के लिए प्यार और आस्था का शुरू हुआ जुनून आज भी मुंबई-महाराष्ट्र की हर साँस में बसता है. मुंबई के बड़े-भव्य पंडालों से एनडीटीवी की विशेष रिपोर्ट.

सुमुख, एकदंत, लंबोदर, विघ्न-नाशक, विनायक, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन, ऐसे कई नामों से पूज्य गणपति बप्पा मुंबई के लिए सिर्फ एक देवता नहीं, बल्कि आशा, विश्वास, और उमंग के ऐसे प्रतीक हैं, जो इस शहर की जीवनधारा में बसे हुए हैं.

हर वर्ग के लोग करते हैं पूजा

मायानगरी में जब गणपति बाप्पा का आगमन होता है, तो सेलिब्रिटी हो या राजनेता, आम आदमी हो या खास, सभी के दिल एक से हो जाते हैं, हर वर्ग मिलकर बाप्पा की महिमा में ऐसे डूबते हैं, जैसे कि समुद्र की लहरें एक साथ मिलकर सागर में समाती हैं.

सबसे अमीर पंडाल

अपार आस्था के बीच, ऐसे भव्य पंडाल, सोने चाँदी से सजी मूर्ति आकर्षण का ख़ास केंद्र बनती हैं. हम इस वक़्त मुंबई के किंग्स सर्कल में मौजूद जीएसबी सेवा मंडल की गणपति प्रतिमा के सामने हैं, देशभर में सबसे समृद्ध और भव्य मानी जाती है. क़रीब 69 किलो सोना, और 336 किलो चांदी के गहनों से ये बप्पा सजे हुए हैं. 

गौड़ सारस्‍वत ब्राहमण मंडल यानी जीएसबी मंडल के गणपति को सबसे अमीर गणपति का दर्जा मिला हुआ है. 70 साल पुराने इस सेवा मंडल के बप्‍पा की मूर्ति को 69 किलो सोने के आभूषणों और करीब 336 किलो चांदी के गहनों से सजाया गया है. पाँच दिनों तक विराजने वाले देश के इस सबसे अमीर गणपति का 400 करोड़ का बीमा हुआ है. रोज़ाना क़रीब बीस हज़ार से ऊपर श्रद्धालू यहाँ पहुँचते हैं, दर्शन के साथ केले के पत्ते कर प्रसाद भोजन ग्रहण करते हैं. देश-विदेश से हज़ारों वॉलंटियर्स बप्पा की सेवा में पाँच दिन जुटते हैं

इतिहास जानें

महाराष्ट्र के लिए गणेशोत्सव सबसे बड़ा त्योहार इसलिए माना जाता है क्योंकि इसके पीछे आजादी की लड़ाई की एक दिलचस्प कहानी छिपी हुई है. बाल गंगाधर तिलक ने इसे अंग्रेजों के खिलाफ जनजागृति का माध्यम बनाया था, जिससे सार्वजनिक रूप से मनाया जाने वाले पर्व में समाज के हर वर्ग के लोग एकजुट होकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो सकें.

पेशवाओं से जुड़ा है कनेक्शन

गणेशोत्सव की ऐतिहासिक जड़ों की बात करें तो इसका श्रेय मराठा पेशवाओं को दिया जाना चाहिए. गणेश जी पेशवा के कुल देवता थे. हर गांव और हर घर में गणपति बप्पा की पूजा होती थी. हालांकि, अंग्रेजों के शासनकाल में इस उत्सव की भव्यता में कमी आई, लेकिन ये परंपरा जीवित रही और समाज में इसका महत्व बना रहा. मुंबई के बच्चे भी गणेशोत्सव के इतिहास और महत्व से वाक़िफ़ हैं.

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लालबागचा राजा की खासियत

सबसे प्रसिद्ध और रोज़ाना लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ समेटे लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की स्थापना 1934 में हुई थी. इस प्रसिद्ध गणपति को 'नवसाचा गणपति' कहते हैं, जिसका अर्थ होता है इच्छाओं को पूर्ण करने वाले गणपति. क़रीब 90 साल पहले बप्पा ने इस इलाक़े के श्रमिकों की एक मन्नत पूरी की थी.

यहां श्रद्धालु दिल खोलकर चढ़ावा चढ़ाते हैं. इस बार रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी द्वारा दान किया गया 15 करोड़ का ये 20 किलो का सोने का मुकुट आकर्षण का केंद्र बना. 



देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में इस बार 2,500 से ज़्यादा गणेश मंडल और लाखों घरेलू गणपति स्थापित हुए हैं. रविवार रात 12 बजे तक कुल 62,569 मूर्तियों का विसर्जन किया जा चुका है.  डेढ़ दिन के बाद रविवार को जिन मूर्तियों को विर्सजन के लिए बाहर निकाला गया, उनमें से ज्यादातर घरों में स्थापित की गईं मूर्तियां थीं. उसके बाद पांचवें दिन, गौरी विसर्जन (सातवें दिन) और अंतिम दिन (अनंत चतुर्दशी विसर्जन) के लिए पुलिस की पर्याप्त तैनाती की व्यवस्था की गई है. 

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गणेशोत्सव के दौरान कम से कम 32 पुलिस उपायुक्त, 45 सहायक पुलिस आयुक्त और 2435 पुलिस अधिकारी और 12420 पुलिस जवान तैनात किए गए हैं


बप्पा के इन चरणों तक पहुंचने के लिये 3-4 घंटे की लंबी लाइन तक में लोग लगते हैं. मन्नत की लाइन क़रीब 12 घंटे लंबी होती है. जो मुंबई चंद सेकंड के लिए नहीं रुकती अगर पूरा दिन वो इस चरण को स्पर्श करने के लिए पूरी श्रद्धा से खड़ी हो तो दिल में बसी आस्था का पैमाना आप भी समझ सकते हैं.  मुंबई के दिल में बाप्पा के लिए ऐसी अनोखी जगह है, जो आम समझ से परे है.

खास थीम पर बना है पंडाल

गणेश चतुर्थी के अवसर पर मुंबई में एक घर में LCA तेजस मार्क 1A फाइटर जेट की प्रतिकृति पर गणेश की मूर्ति स्थापित की गई है. इसे डिजाइन करने वाले इंटीरियर डिजाइनर ने बताया कि वह हर साल भारत में उस साल होने वाले विकास के आधार पर मूर्ति बनाते हैं.

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क्या कहते हैं डिजाइनर?

इंटीरियर डिजाइनर दीपक मकवाना बताते हैं, हम हार साल कुछ अलग थीम के साथ आते है, इस साल हमने तेजस फाइटर जेट अपना थीम रखा है. सबसे खास बात है कि यह फाइटर जेट मेक इन इंडिया का प्रोडक्ट है. इस रिप्लिका को बनाने में हमने एमडीएफ, प्लाईवुड, एलईडी लाइट्स, सनबोर्ड, खराब खिलौने और ऐसे ही कुछ रियूजेबल पदार्थ का इस्तेमाल किया है.

हर साल बप्पा के आगमन में, भक्त कोशिश करते है बप्पा के लिए सबसे अनोखा पंडाल बनाए, सबसे अच्छा भोग चढ़ाए, कुछ ऐसे ही कोशिश की मुंबई के मन रेले ने, जिहोने महाराष्ट्र के प्रसिद्ध कोकन में पारंपरिक तरीके से गणेश उत्सव मनाने की सांस्कृतिक झलक दिखाई है.

खेतवाड़ी चा गणराज, मुंबई का सबसे ऊंचा गणपति, हर साल भक्तों के बीच आकर्षण का केंद्र होता है. खेतवादी में गणेशोत्सव का इतिहास १२० सालो से भी पुराना का है. इस साल खेतवाड़ी में अयोध्या राम मंदिर के थीम पर पंडाल को सजाया गया है.

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मुंबई में सार्वजनिक गणेशोत्सव मानने के लिए लोग अपने परिवार के साथ अलग अलग पंडाल जाकर गणपति बप्पा का दर्शन करते है. सबसे प्रसिद्ध पंडालों में

  1. लालबागचा राजा
  2. जीएसबी सेवा मंडल
  3. खेतवाडी गणराज
  4. श्री गणेश मंडल, गणेश गल्लि
  5. मुंबईचा राजा
  6. चिंचपोकलीचा राजा
  7. अंधेरिचा राजा
  8. केशवजी नायक गणपति
  9. सिद्धिविनायक मंदिर पंडाल
  10. चिंतामणिचा राजा सबसे प्रसिद्ध है.

मुंबई में गणपति बप्पा की गूंज पूरे शहर में छाई हुई है. जगह-जगह पंडालों में भव्य मूर्तियां स्थापित की गई हैं, और भक्तजन अपनी श्रद्धा और भक्ति से उन्हें नमन करने पहुँच रहे हैं. हर कोई बप्पा के स्वागत में जुटा हुआ है, और मोदक, लड्डू जैसे प्रसादों से पंडाल सजे हुए हैं. हर उम्र के लोग इस पर्व का आनंद ले रहे हैं, और बप्पा से अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना कर रहे हैं

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