दिशा सालियान केस: SIT के स्टेटमेंट पर एनसीपी विधायक ने किया आदित्य ठाकरे का समर्थन, कहा - "उन्हें जानबूझकर फंसाया गया..."

अमोल मिटकरी ने कहा, आदित्य ठाकरे को जानबूझकर राजनीतिक द्वेष के चलते इस मामले में फंसाया गया है. वो पहले से ही कह रहे थे कि उनका इसमें कोई संबंध नहीं है लेकिन फिर भी बार-बार उनपर जानबूझकर आरोप लगाए गए. 

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  • एसआईटी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दिशा सालियान की मौत को आत्महत्या बताया है
  • एनसीपी विधायक अमोल मिटकरी ने आदित्य ठाकरे का समर्थन करते हुए आरोपों को राजनीतिक द्वेष का परिणाम बताया
  • एसआईटी ने स्पष्ट किया कि जांच जारी है और सभी पहलुओं की गंभीरता से जांच की जा रही है
  • दिशा के पिता ने आदित्य ठाकरे और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी, आरोपों में साजिश का दावा किया गया
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मुंबई:

दिशा सालियान की मौत मामले में हाल ही में एसआईटी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में स्टेटमेंट दिया है कि उनकी हत्या नहीं हुई है बल्कि उन्होंने आत्महत्या ही की थी. इसके बाद एनसीपी (अजित पवार गुट) के विधायक अमोल मिटकरी ने आदित्य ठाकरे का समर्थन किया है और कहा है कि "उन्हें जानबूझकर राजनीतिक द्वेष के चलते फंसाया गया. वो पहले से ही कह रहे थे कि उनका कोई संबंध नहीं है, फिर भी उन पर बार-बार जानबूझकर आरोप लगाए गए."

एसआईटी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दिए अपने स्टेटमेंट में कहा है कि उन्हें अब तक किसी भी तरह के साजिश या आपराधिक साजिश के प्रमाण नहीं मिले हैं. हालांकि, SIT ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच अब भी जारी है और हर पहलू को गंभीरता से परखा जा रहा है. SIT ने ये बयान, दिशा सालियान के पिता सतीश सालियान की उस याचिका के जवाब में दिया है, जिसमें उन्होंने शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. 

सतीश सालियान ने अपनी बेटी की मौत में 'षड्यंत्र और आपराधिक साजिश' का आरोप लगाया था. हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील निलेश ओझा ने जांच को अपर्याप्त बताते हुए इसे चुनौती दी है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के लिए दो हफ्तों का समय दिया है.

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पिता ने लगाया था गैंगरेप का आरोप

याचिका में दावा किया गया था कि 8 जून 2020 को दिशा ने अपने घर एक पार्टी आयोजित की थी, जिसमें आदित्य ठाकरे अपने बॉडीगार्ड्स, अभिनेता सूरज पंचोली और डिनो मोरया के साथ मौजूद थे. याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि पार्टी के दौरान दिशा के साथ गैंगरेप और बर्बर यौन शोषण किया गया.

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हालांकि, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शैलेन्द्र नगरकर ने इन आरोपों को 'बेबुनियाद और झूठा' बताया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि 2020 में जो क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई थी, वह 'पूरी तरह से वैज्ञानिक जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट' पर आधारित थी. बोरिवली पोस्टमार्टम सेंटर की रिपोर्ट में किसी भी तरह के यौन या शारीरिक उत्पीड़न के निशान नहीं मिले थे.

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