छत्तीसगढ़ के बीजापुर क्षेत्र में कल सुबह पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं के समक्ष सिलगेर के आंदोलन का समापन होगा. आंदोलन कर रहे ग्रामीणों के दल ने सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी के नेतृत्व में बीजापुर कलेक्टर एसपी से चर्चा की. कोरोना के संक्रमण और मानसून की वजह से प्रभवित हो रहे कृषि कार्य को देखते हुए ग्रामीणों ने आंदोलन समाप्त करने का फैसला लिया है. इस दौरान सोनी सोरी ने कहा कि ग्रामीणों की मांग यथावत रहेगी. यह आंदोलन फिलहाल यहां स्थगित किया जा रहा है पर सुकमा मुख्यालय में मांग पूरी होने तक धरना दिया जाएगा.
छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित इलाका बस्तर (Chhattisgarh Naxal areas) पिछले कुछ दिनों से फिर उबल रहा है, सुकमा ज़िले के सिलगेर गांव में लगभग महीनेभर से हज़ारों ग्रामीण आंदोलनरत रहे हैं. ये ग्रामीण, जानकारी दिए बिना उनकी ज़मीन पर सुरक्षाबल के कैंप (CRPF Camp) लगाए जाने के छत्तीसगढ़ सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे हैं. नौबत यहां तक आई कि इन ग्रामीणों को पीछे धकेलने के लिए गोलियां चलीं जिसमें कथित तौर पर तीन ग्रामीणों की मौत हुई है.
उधर,बस्तर के कांकेर (Bastar region) में भी पुलिस पर नक्सलियों के नाम पर नाबालिग को जबरन सरेंडर कराने के आरोप लगे हैं. सुकमा के सिलगेर गांव में 17 मई को एक कैंप के विरोध में उतरे आदिवासियों पर कथित तौर पर सुरक्षाबलों ने फायरिंग कर दी गई, घटना में तीन ग्रामीणों की जान चली गई और लगभग 18 लोग घायल हुए हैं.
आंदोलनरत ग्रामीण तीन हफ्ते से बारिश-आंधी के बावजूद डटे रहे हैं. दिल्ली की सीमाओं पर जुटे किसानों की तरह इन आदिवासियों के पास टेंट नहीं हैं, लेकिन कंटीली बाड़ के पीछे प्लास्टिक की पन्नी थामे ये 'जंगल-जमीन' की लड़ाई लड़ रहे हैं.उनके सामने सुरक्षाबलों का कैंप है, 100 मीटर पर नुकीली बाड़ के पीछे वे अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं.
जिस गांव में कैंप का विरोध है, वहां आजादी के 73 साल बाद भी बिजली के तार नहीं पहुंचे हैं. गांव की 1,200 की आबादी हैं जिसमें गोंड, मुरिया प्रमुख हैं. ये वनोपज से जीवन चलाते हैं. जिस सड़क को बनाने के लिए सिलगेर में कैंप स्थापित किया जा रहा है वो जगरगुंडा को बीजापुर के आवापल्ली से जोड़ती है. सलवा जुडूम से पहले सब ठीक था लेकिन फिर सब ठहर सा गया.