3 महीने की मासूम के दफन शव का आज पोस्टमॉर्टम, अंधविश्वास में 51 बार गर्म सलाखों से दागने पर हुई थी मौत

अंधविश्वास की वजह से परिजन बच्ची को किसी झोलाछाप के पास इलाज कराने के लिए लेकर चले गए. उसने बच्ची को एक बार या दो बार नहीं, बल्कि 51 बार गर्म सलाखों से दागा. इससे बच्ची की तबीयत बिगड़ गई. ऐसे में परिवार के लोग उसे शहडोल मेडिकल कॉलेज में लेकर गए. लेकिन बच्ची को नहीं बचाया जा सका.

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एमपी में एक और बच्ची को 24 बार गर्म सलाखों से दागा गया.
शहडोल:

मध्य प्रदेश में अंधविश्वास के चक्कर में 3 महीने की बच्ची की मौत का मामला सामने आया है. अब बच्ची के दफन शव को निकालकर आज पोस्टमार्टम कराया जाएगा. कथित तौर पर अंधविश्वास के फेर में बीमार दुधमुंही  3 माह की बच्ची को गर्म सलाखों से कई बार दागा गया था, जिससे बच्ची की हालत और बिगड़ती चली गई और उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. ये मामला सिंहपुर थाना के कठौतिया का बताया जा रहा है. बीते दिन ही ये खबर सामने आई थी. अब इस मामले में ये और मालूम हुआ है कि अक्तूबर से ही गांव में कोई एएनएम नहीं थी, जो वहां पदस्थ थी उसका तबादला कर दिया गया था इस वजह से बच्ची को टीका नहीं लगा था. 

शहडोल जिले के सिंहपुर कठौतिया की 3 महीने की बच्ची को निमोनिया की वजह से सांस लेने में दिक्कत थी. अंधविश्वास की वजह से परिजन उसे किसी झोलाछाप के पास इलाज कराने ले गए. उसके पास बच्ची की मर्ज की दवा थी गर्म सलाखें. बच्ची को एक बार या दो बार नहीं, बल्कि 51 बार दागा गया. इससे बच्ची की तबीयत बिगड़ गई. ऐसे में परिवार के लोग उसे शहडोल मेडिकल कॉलेज में लेकर गए. लेकिन बच्ची को नहीं बचाया जा सका. शहडोल की कलेक्टर वंदना वैद्य बताती हैं,  'बच्ची की मां को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने दो बार समझाया था कि बच्ची को दागना मत. उसके बावजूद दागा गया. जब महिला बाल विकास के अधिकारी अस्पताल गये, तो पता लगा कि ये घटना 15 दिन पुरानी थी. निमोनिया बढ़ गया था. संक्रमण बढ़ने के कारण मासूम की मौत हो गई.'

मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में दागना कुप्रथा जानलेवा साबित हो रही है. सत्ता और विपक्ष दोनों में हमने पेशे से 2 डॉक्टरों से बात की. डॉ. विक्रांत भूरिया (चिकित्सक व अध्यक्ष यूथ कांग्रेस) ने कहा, 'सलाखों से दागने से मौत हो सकती है. ये दर्द को छिपाने का तरीका है. इसकी सबसे बड़ी दिक्कत है कि इंफेक्शन सुपरसीड कर सकता है, जिससे इम्यूनिटी क्रोमाइड होती है. ये जानलेवा हो सकता है.' मध्य प्रदेश के कई इलाकों में अंधविश्वास के फेर में बच्चों को गर्म लोहे से दागा जाता है, जिसे दागना कहते हैं. इस कुप्रथा के खिलाफ प्रशासन जागरूकता कार्यक्रम भी चलाती है, लेकिन कोई फायदा नहीं होता.

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मध्य प्रदेश में एक और ऐसा ही मामला भी सामने आया है. कठौतिया से लगे गांव सामतपुर में एक और बच्ची को इलाज के नाम पर 24 बार गर्म सलाखों से दाग गया है. बताया जा रहा है कि  हालत बिगड़ने पर मासूम को मेडिकल कालेज शहडोल में भर्ती कराया गया‌. हालत गंभीर होने पर परिजन मेडिकल कालेज से निजी अस्पताल ले गए हैं.  तीन माह की शुभी कोल को सांस लेने में समस्या है. मां सोनू कोल व पिता सूरज कोल किसी बिना डिग्री धारी डाक्टर से इलाज कराया लेकिन राहत नहीं मिली,  बाद में मेडिकल कालेज लेकर पहुंचे. लगातार बीमार होने पर गांव की एक महिला ने बच्ची को उसके घरवालों की सहमति से गर्म सलाखों से दागा.

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