'आदिवासी देश के असली हीरो, पहले की सरकारों ने की अनदेखी', जनजातीय गौरव दिवस पर बोले PM

झाबुआ की जैकेट, डिंडौरी का साफा और हाथों में तीरकमान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भोपाल के जंबूरी मैदान में मध्यप्रदेश के आदिवासियों से ये सौगात मिली.

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जनजातीय समाज के योगदान के बारे में देश को बताया ही नहीं : प्रधानमंत्री
भोपाल:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की जयंती पर भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस महा-सम्मेलन को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन पूरे देश के लिए, पूरे जनजातीय समाज के लिए बहुत बड़ा दिन है. आज भारत अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस (Janjatiya Gaurav Divas) मना रहा है. आप सभी को भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर बहुत बहुत शुभकामनाएं. प्रधानमंत्री ने नाम लिए बगैर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि देश की आबादी का करीब करीब 10% होने के बावजूद दशकों तक, जनजातीय समाज को, उनकी संस्कृति, उनके सामर्थ्य को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया.प्रधानमंत्री बाद में उन्होंने देश के पहले पीपीपी मॉडल पर बने गोंड रानी कमलापति स्टेशन को भी देश को समर्पित किया. तीन दिन पहले ही 'हबीबगंज स्टेशन' का नाम बदलकर रानी कमलापति पर रखा गया है. प्रधानमंत्री के दो घंटे के दौरे के लिए राज्य सरकार ने 23 करोड़ रुपये की राशि खर्च की. मंच से कहा गया कि ढाई लाख के करीब आदिवासी राज्य के कोने-कोने से आए हैं लेकिन प्रधानमंत्री मोदीके भाषण के दौरान भी कई कुर्सियां खाली रहीं, लोग पंडाल से जाते भी दिखे

झाबुआ की जैकेट, डिंडौरी का साफा और हाथों में तीरकमान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भोपाल के जंबूरी मैदान में मध्यप्रदेश के आदिवासियों से ये सौगात मिली. अपने संबोधन में पीएम ने आदिवासियों को पोषण और सेहत के सौगात की बात कही  और साथ ही कांग्रेस पार्टी पर हमला भी बोला. उन्‍होंने कहा कि पीएम राशन योजना से गरीब आदिवासियों को राशन से इतनी बड़ी मदद मिली अब घर के पास राशन मिलेगा तो समय बचेगा. अतिरिक्त खर्च से मुक्ति मिलेगी. उधर,  कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ ने जबलपुर में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि  जबरन भीड़ बुलाई जा रही है. कमलनाथ ने कहा, '18 साल बाद शिवराज ने कहा बिरसा मुंडा जयंती मनाऊंगा. ठेकेदार को कह दो कुर्सी लगा दो. प्रशासनिक ठेकेदार को कह रहे हैं भीड़ ले आना. ये क्या आदिवासियों का सम्मान करते हैं.

दरअसल, दोनों दलों के बीच लड़ाई आदिवासी वोट बैंक को लेकर भी है. दरअसल, राज्य में आदिवासियों की जनसंख्या लगभग 1.65 करोड़ हैं, 47 सीटें आदिवासियों के लिये आरक्षित हैं. वर्ष 2008 में बीजेपी ने 29 सीटें जीती. यह आंकड़ा 2013 में बढ़ा और 31 आदिवासी विधायक जीते लेकिन 2018 में 47 आरक्षित सीटों में से बीजेपी को सिर्फ 16 सीटें ही हासिल हुईं. 

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