MP News: कोरोना जांच में घटिया टेस्ट किट का इस्तेमाल, कांग्रेस ने लगाया घोटाले का आरोप

MP News: मध्यप्रदेश में दूसरी लहर के दौरान कोविड (Covid 19) मरीजों की जांच में कई बार गड़बड़ी का शिकायत हुई. अब एनडीटीवी के हाथ टेस्ट किट (Covid testing kits) के नोडल अधिकारी का एक खत लगा है जिसमें उन्होंने खुद मई-जून में कई जिलों को भेजी गई साउथ कोरिया की किट पर सवाल उठाये.

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MP News: कांग्रेस ने इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है
भोपाल:

MP News: मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर के दौरान कोविड (Covid 19) मरीजों की जांच में कई बार गड़बड़ी का शिकायत हुई. अब एनडीटीवी के हाथ टेस्ट किट (Covid testing kits) के नोडल अधिकारी का एक खत लगा है जिसमें उन्होंने खुद मई-जून में कई जिलों को भेजी गई साउथ कोरिया की किट पर सवाल उठाये, तत्काल इस किट से हो रही कोविड जांच (Corona Test) बंद कराने की मांग की. दूसरी लहर में भोपाल की संतोष कंसाना के घर में सास-ससुर और बच्चों समेत 4 लोग कोरोना संक्रमित हुए, 3 की रिपोर्ट रैपिड एंटीजन किट में नेगेटिव आई. सीटी स्कैन कराने पर पुष्टि हुई कि कोरोना 70 फीसद फेफड़ों को संक्रमित कर चुका है. 

"हमने नाक का टेस्ट करवाया बच्चों का सास ससुर और छोटी बेटी की रिपोर्ट नेगेटिव आई, बड़ी बेटी की पॉजिटिव, तबीयत ज्यादा खराब हुई तो स्कैन करवाया 70 परसेंट संक्रमण बताया गया... नाक से टेस्ट असंतोषजनक हुआ, रिपोर्ट भी सही नहीं आई खामियाजा ये भुगतना पड़ा कि अपने अपनों से छूट गये."

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भोपाल में ही नेहरू नगर में रहने वाले कुंदन पंजाबी के घर में भाई-मां-भाभी समेत 5 लोगों की मौत हो गई. इनकी भी शिकायत है कि जांच में गफलत से तबीयत बिगड़ी. वो कहते हैं, '"मेरे भाई ने वेंटिलेटर पर 5 दिन संघर्ष किया.. नहीं रह पाया. ये गफलत नहीं होती तो आज मेरा भाई जिंदा होता, हमारे साथ होता. रिपोर्ट नेगेटिव आई तो उसको क्या माना जाएगा, यही मानेंगे ना कि कोरोना नहीं है."

दरअसल मध्यप्रदेश में मई-जून में कोविड मरीजों की जांच के लिए दक्षिण कोरिया से प्रति किट 47.89 रु. के 15 लाख किट, 7.18 करोड़ रु. में खरीदे जिसका नाम था- बायोक्रेडिट कोविड 19 एजी, जिसे वहां की रेपजिन इंक नाम की कंपनी ने बनाया था जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने नॉन अप्रूव्ड वाली सूची में रखा था.

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इस किट को मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस यानी एमपीपीएचसीएल ने जिलों में बांटा सैंपलिंग टीम के नोडल अधिकारी डॉ के के अग्रवाल ने 29 जून को प्रशासन को खत लिखकर कहा, "यह किट बहुत निम्न गुणवत्ता की है, इन किट में कंट्रोल लाइन नहीं आती है. बफर डालने पर फ्लडेड (फैल जाती है), जो लक्षण वाले मरीजों के भी जांच में परिणाम नेगेटिव बताती है और आरटीपीसीआर जांच में पॉजिटिव आ रहा है, उसे ये किट निगेटिव बता रही है. यह किट आईसीएमआर पोर्टल में रजिस्टर्ड नहीं है. इसके रजिस्टर्ड नहीं होने से रैपिड टेस्ट की एंट्री नहीं हो पा रही है. कृप्या कर उच्च गुणवत्ता के रैपिड एंटीजन किट देने का कष्ट करें."

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आईसीएमआर के वेबसाइट पर 9 जून को आज भी ये किट नॉट अप्रूव्ड की लिस्ट में है लेकिन सरकार कहती है वैलिडिटी है. कांग्रेस का आरोप है आपदा में अवसर ढूंढा गया है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, "घटिया नहीं है किट, जब तक वैलिडेटी सर्टिफिकेट नहीं होता वो पोर्टल में दर्ज ही नहीं होता, ये कहना गलत है कि गलत किट का उपयोग हुआ सभी किट वैलिडिटी सर्टिफिकेट के बाद ही इस्तेमाल हुआ."

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वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी का कहना था, "मोदीजी ने मना किया उसके बाद खरीद लिया, शिवराज सिंह मैनजमेंट कर रहे थे या कोरोना से लड़ रहे थे. मैं मानता हूं हद दर्जे का भ्रष्टाचार हुआ है, शिवराज सिंह जी प्रदेश ने आपका तांडव देखा है सजा मिलेगी."

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इससे पहले हम आपको पीएम केयर से मिले घटिया वेंटिलेटर की कहानी भी बता चुके हैं, उसमें भी इसकी पुष्टि डॉक्टरों ने ही की थी हमने नहीं.

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