शनिवार को मध्यप्रदेश के विदिशा में ऑक्सीजन संयंत्र का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्जुअल तरीके से उद्घाटन किया, लेकिन भीड़ बढ़ाने के लिए कथित तौर पर अस्पताल ने वार्ड में भर्ती बच्चों को भी लाकर धूप में बिठा दिया. इस मामले में अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार को खत लिखकर कार्रवाई करने को कहा है.
विदिशा जिले में सम्मानित अतिथियों में बीजेपी विधायक, अफसर, डॉक्टर और भीड़ बढ़ाने के लिये वार्ड में भर्ती बच्चे, हाथों में वेन्यूला के साथ चंद मिनटों के लिए नहीं, पूरे दो घंटे.
नीलम की बिटिया अस्पताल में भर्ती हैं, उन्होंने बताया हमें वार्ड में सिस्टर ने भेजा है, कहा नीचे बुला रहे हैं... हमें पता नहीं है क्यों बुलाया...गार्ड भैया आए थे साथ में, उन्होंने इधर बिठा दिया, हम बैठ गए.
उमाशंकर की 2 बेटियां बीमार हैं, दोनों भर्ती हैं उन्होंने बताया कि गार्ड साहब ने भेजा यहां बोला मुख्यमंत्री आ रहे हैं कुछ उद्घाटन हो रहा है.
हालांकि बीजेपी के स्थानीय विधायक, सीएमएचओ कहते हैं उन्हें कुछ पता ही नहीं है. बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ने कहा मेरी जानकारी में नहीं है. हो सकता है परिजन ले आए हों. वहीं सीएमएचओ अखंड प्रताप सिंह ने कहा मैंने नहीं देखा, मेरी जानकारी में नहीं है, मैं क्या बोल रहा हूं, कोई आखिरी समय में कार्यक्रम देखने आया हो तो मैं बता नहीं सकता.
बहरहाल एनसीपीसीआर को पता लग गया है, साफ कहा है कि ये किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 का उल्लंघन है. आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा विदिशा के जिला अस्पताल में भर्ती बच्चों को कार्यक्रम में भीड़ बढ़ाने के लिए दिन भर धूप में बिठाकर रखने का जो मामला आयोग के संज्ञान में आया है, हमने मुख्य सचिव को खत लिखा है. हमें अपेक्षा है कि वैधानिक दंड के प्रावधान धारा 75 में जो हैं उसके अंतर्गत कार्रवाई अपेक्षित है.
जेजे एक्ट में अगर धारा 75 के तहत दोष साबित होता है तो तीन साल की सजा या एक लाख के जुर्माने का प्रावधान है लेकिन सवाल ये है कि उस बीमार मानसिकता का क्या करें जो भीड़ बढ़ाने के लिए बीमार बच्चों को अस्पताल से लाने को भी गलत नहीं समझती.