MP: पंचायत चुनावों में OBC कोटे के पेंच के बीच CM शिवराज ने कांग्रेस के समर्थन से निकाला यह रास्‍ता..

प्रस्ताव का सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ने समर्थन कर दिया और ये आसानी से पास हो गया.

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भोपाल:

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर चल रहे विवाद में शिवराज सिंह की सरकार ने गुरुवार को नया रास्ता निकाला. विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो पंक्तियों का प्रस्ताव पढ़ा कि ये सदन संकल्प लेता है कि बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव ना कराए जाएं. इस प्रस्ताव को सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने समर्थन कर दिया और ये प्रस्ताव आसानी से पास हो गया. तीन चरणों में होने वाले पंचायत चुनावों में आज पहले चुनाव के मतदान का नाम वापसी का आखिरी दिन है और शुक्रवार से प्रचार शुरू हो जायेगा.

प्रश्नकाल के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सदन में आए और कहा माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी नेता प्रतिपक्ष जी कह रहे थे. मैं गया, मैंने आमंत्रण दिया, गए तो आप हाईकोर्ट भी, सुप्रीम कोर्ट भी, आरक्षण रुका आप के कारण, अब खुजा लिया और घाव हो गया तो चिल्ला रहे हैं. मध्यप्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ये कहते ही हंगामा मच गया. 

दरअसल प्रदेश में चल रहे पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण का पेंच फंसा है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा- OBC आरक्षण पर चुनाव ना हो अगर ऐसा हुआ तो वो इन्हें रद्द कर सकती है. इस आदेश के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति ओबीसी आरक्षण के आस पास घूम रही है. सरकार कह रही है कांग्रेस ने कोर्ट जाकर आरक्षण खत्म करवाया है, कांग्रेस का कहना है वो परिसीमन और रोटेशन के मुद्दे पर कोर्ट गये थे.

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ''मैं सदन से यह अपील करता हूं कि, हमको हर संभव जो प्रयत्न करना पड़े, हम कानून वैधानिक जो पक्ष है. उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में गए हैं, हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपने पक्ष को पूरी ताकत के साथ रखेंगे. इसके साथ ही ओबीसी को पंचायत चुनाव में आरक्षण मिले उसके लिए मैं हर संभव उपाय करूंगा.''

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वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, ''परसों हमने ही यह बात रखी थी कि हम प्रस्ताव पास करें, मैंने ही सदन में कहा था कि हम आपकी पूरी मदद करने को तैयार हैं. डेढ़ साल से इनकी सरकार है. इनकी जिम्मेदारी थी कि पंचायत चुनाव करवाएं, हमने तो परिसीमन करा दिया था, हमने रोटेशन करा दिया था, यदि इनको यह मंज़ूर नहीं था तो संशोधन करवा देते. लेकिन कोरोना का बहाना लेकर डेढ़ साल इन्होंने पंचायत के चुनाव नहीं करवाये, जबकि इस दौरान प्रदेश में 28 उपचुनाव हुए और कई चुनाव हुए. अब ये पंचायत चुनाव करवा रहे हैं वो भी बिना रोटेशन और बिना परिसीमन के. हम रोटेशन व परिसीमन के मुद्दे पर कोर्ट गये. इनके पास कहने को कुछ नहीं, झूठ बोलने में माहिर हैं. हम जिस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में गए, वह इंटरनेट पर है, खुली किताब की तरह है, सारी प्रोसिडिंग इंटरनेट पर हैं. हमारी पूरी चर्चा रोटेशन पर रही. मुख्यमंत्री जी ने 48 घंटे पहले यह बयान दिया कि बग़ैर OBC आरक्षण के हम कोई चुनाव नहीं कराएंगे. हमने आज इनसे यही पूछा कि आप इस मामले में क्या कर रहे हैं, आपने क्या पहल की है, बताएं? कह रहे कि हम कोर्ट गए हैं, अरे आप कहीं भी जाएं, आपने सदन में जो आश्वासन दिया उस पर अमल करें. जो आश्वासन आपने प्रदेश को दिया, उस पर अमल करिए. यह प्रस्ताव तो परसों ही पास करवाना था, यही हमारी मांग थी.''

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उधर बुधवार को मध्‍य प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर राज्य चुनाव आयोग ने एक अहम फैसला किया कि पंचायत चुनाव की मतगणना होगी लेकिन परिणाम की घोषणा नहीं. जो उम्मीदवार निर्विरोध चुने जाएंगे उन्हें भी न तो प्रमाणपत्र मिलेगा और न ही विजेता की घोषणा की जाएगी. राज्य के सभी कलेक्टरों को इस बात के निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ओबीसी के लिए आरक्षित पदों की चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा चुका है. स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण मामले में दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी के लिए रिजर्व सीट को सामान्य घोषित किया जाए.

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पंचायत के पहले चरण के लिए मतदान छह जनवरी और दूसरे चरण के लिए 28 जनवरी को होगा. मतगणना भी तय तारीख को होगी, लेकिन परिणाम घोषित नहीं किया जाएगा. आयोग ने अपने फैसले में कहा है कि पंचायत के सभी पदों के लिए मतगणना का सारणीकरण और निर्वाचन परिणाम की घोषणा से जुड़ी कार्यवाही स्थगित रहेगी. मतगणना से संबंधित सभी दस्तावेज अभ्यर्थी या उनके अभिकर्ताओं की उपस्थिति में सील बंद करके सुरक्षित अभिरक्षा में रखे जाएंगे.

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