मध्य प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही लोगों की परेशानी को बढ़ा रही है. ताजा मामला विदिशा का है, जहां एक मरीज को अस्पताल प्रशासन ने दो बार मृत घोषित कर दिया. दूसरी बार सूचना मिलने पर तो परिवार वालों ने अंतिम संस्कार की तैयारियां भी शुरू कर दी थी, लेकिन कुछ ही देर में अस्पताल प्रशासन को अपनी गलती का आभास हुआ और उन्होंने तुरंत परिजनो को इसकी जानकारी दी. गोरेलाल कोरी को सोमवार को विदिशा के अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज में दाखिल कराया गया था. गंभीर स्थिति के साथ साथ उनके कोविड-19 संक्रमित होने का भी संदेह था. मरीज को अस्पताल में वेंटीलेटर पर रखा गया था. मरीज के बेटे कैलाश कोरी ने बताया कि अगले दिन अस्पताल से मुझे फोन आया और बताया कि मरीज की तबियत बिगड़ रही है. जब मैं अस्पताल पहुंचा तो उन्होंने मुझे बताया कि वह पिता को बचाने में नाकामयाब रहे, लेकिन कुछ ही देर बार अस्पताल की नर्स ने बताया कि गोरेलाल कोरी की सांसें दोबारा चलने लगी हैं.
इसके बाद परिवार को अस्पताल द्वारा फिर से सूचित किया गया कि मरीज की तबियत बिगड़ रही है और उनका ऑपरेशन करना पड़ेगा. परिवार की अनुमति मिलने के बाद अस्पताल ने उसी दिन सर्जरी की. बेटे कैलाश कोरी के अनुसार, इस बार अस्पताल ने बताया कि सर्जरी के दौरान आपके पिता की मृत्यु हो गई. करीब 8.30 उन्होंने कहा कि सर्जरी के दौरान पिता कोविड पॉजिटिव पाए गए इसलिए उनका शव नहीं दिया जाएगा.
शुक्रवार सुबह परिवार अंतिम संस्कार के क्रिया-कलापों की तैयारी में जुट गया, लेकिन अस्पताल की तरफ से एक बार फिर फोन आया और बताया गया कि गोरेलाल कोरी जिंदा हैं लेकिन उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है. इस तरह अस्पताल ने उन्हें दो बार मृत घोषित कर दिया. वहीं अस्पताल प्रशासन इसके पीछे नर्स का कंफ्यूजन को कारण बता रहा है. हॉस्पिटल के डीन डॉक्टर सुनील नंदेश्वर ने बताया कि गोरे लाल कोरी वेंटिलेटर पर हैं, अचानक उनके हृदय ने काम करना बंद कर दिया. जिसके कारण नर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उन्होंने बताया कि कभी कभी इस तरह के मामलों में डॉक्टरों की कोशिशों का परिणाम एक से दो घंटे बाद दिखाई देता है. हमारे डॉक्टरों ने उन्हें बचा लिया लकिन कंफ्यूजन की वजह से यह सब हुआ.