मध्यप्रदेश में मंत्रियों के बंगले सजाने में 10 महीने में करोड़ों रूपये खर्च दिये गए. सबसे ज्यादा खर्च मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बंगले पर हुआ है. ये जानकारी विधानसभा में कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा के एक प्रश्न के उत्तर में सामने आई है. साल भर पहले जब कांग्रेस के नेता बंगलों में आए थे तो उन्होंने रंग रोगन में करोड़ों खर्चे थे.
यह हालात तब हैं जब गैस पीड़ित विधवाओं को मात्र हजार रूपये का पेंशन नहीं मिल रहा है, कई सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह, डीए अटका हुआ है. परीक्षा होने के बावजूद कई छात्र नौकरी की बाट जोह रहे हैं. हर जगह तर्क कोरोना की वजह से सरकारी तिजोरी खाली है. लेकिन इस दौरान माननीय मंत्रीजी की शानौशौकत में कमी नहीं आए, इसलिए उनके बंगले सजान में 4.58 करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए हैं.
सबसे ज्यादा लगभग 1 करोड़ रुपए सीएम हाउस पर खर्च हुए हैं. उनके 74 बंगला स्थित एक अन्य बंगले में भी 13.41 लाख का काम हुआ है. 56 लाख रुपए पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के बंगले की साज-सज्जा में लगे हैं. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर में 44,84,455 का काम हुआ.
नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के घर में 31,29,269 का, स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी के बंगले पर 27,94,541 का, सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया के बंगले पर 19,41,810 और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बंगले पर 18,75,175 का खर्च हुआ. यह सब तब जब मध्यप्रदेश पर 2 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है. विधानसभा में सरकार ने बताया है कि पिछले 8 महीने में ही वो 23000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है सरकार का कहना है घर है खर्चा होता है, पूरे आंकड़े बजट में देंगे.
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा, ''ये व्यवस्था में हुआ होगा, आखिर निवास है आवास है उसमें खर्चा हुआ होगा. सारी चीजें बजट में रखेंगे सब सामने आ जाएगा.'' ये खर्च तब हुआ है जब, 2019 में ही मंत्रियों के बंगले को सजाने में 3 करोड़ 68 लाख रुपए खर्च हुए थे. उस वक्त सबसे ज्यादा 45,30,606 रूपये चार इमली स्थित सूबे के वित्त मंत्री तरुण भनोट के बंगले को सजाने में खर्च किया गया है.
दूसरे नंबर पर पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का नाम आता है, जिनके चार इमली इलाके में स्थित बंगले के मरम्मत के लिये 42.68 लाख रुपये खर्चे गये थे. तीसरे नंबर पर मुख्यमंत्री कमलनाथ थे जिनके बंगले की मरम्मत, साज सजावट पर 33.80 लाख रुपये से अधिक की राशि खर्च किये गये थे.
वैसे अब पार्टी पूछ रही है, कर्ज में रहकर बंगले की रंगाई क्यों की. पूर्व कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी ने कहा ''एक तरफ कर्ज ले रहा है मध्यप्रदेश एक साल में 33000 करोड़ रुपये, दूसरी तरफ करोड़ों रुपये करोड़ों रुपये मंत्रियों के बंगले के लिए, इस सरकार का प्रबंधन क्या है, दायित्व क्या है. भ्रष्टाचार और कर्ज का पर्याय है ये सरकार. ये ठाठ बाट, तब हैं जब साल भर पहले बदले निजाम में बंगलों की चमक बदली थी. साल भर बदले निजाम में चमकते बंगलों की चमक बदली, आपके हमारे पैसों से.''
ये कहानी आंकड़ों की है, विश्लेषण आप खुद कर लें. जिस प्रदेश में कोरोना काल में गरीबों के घर अंधियारा है वहां साल दर साल कथित जनसेवकों के घर दीवाली से जगमग हैं. वैसे कभी पढ़ा भी था, कर्ज लेकर घी पीने से बचना चाहिये.