मध्य प्रदेश : शानदार नतीजों के बाद टॉपर्स के होर्डिंग को लेकर सुर्खियों में दमोह का एक स्कूल

कलेक्टर ने जांच के बाद स्कूल को क्लीनचिट दे दी, गृहमंत्री ने सघन जांच की बात कही, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दमोह के कलेक्टर को मामले की पूरी जांच करने के निर्देश दिए

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मध्य प्रदेश : शानदार नतीजों के बाद टॉपर्स के होर्डिंग को लेकर सुर्खियों में दमोह का एक स्कूल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मामले की गहन जांच करने का आदेश दिया है.
भोपाल:

मध्य प्रदेश के दमोह का गंगा जमुना स्कूल अपने परीक्षा परिणामों के लेकर जहां सुर्खियां बना वहीं उसके टॉपर्स का होर्डिंग एक नए विवाद को लेकर सुर्खियों में आ गया. कलेक्टर ने जांच के बाद क्लीनचिट दे दी लेकिन गृहमंत्री ने सघन जांच की बात कह दी. अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में नाराजगी व्यक्त की है और दमोह कलेक्टर को मामले की पूरी जांच करने के निर्देश दिए हैं.

मध्य प्रदेश के दमोह जिले में गंगा-जमुना स्कूल का एमपी बोर्ड परीक्षा का नतीजा 98.5 फीसदी रहा. स्कूल में टॉपर बच्चों का होर्डिंग लगाया गया. लेकिन इस होर्डिंग में कुछ छात्राओं की सिर पर स्कॉर्फ वाली तस्वीरों से हिन्दू संगठन नाराज हो गए. उन्होंने आरोप लगाया कि छात्राओं को जबरन स्कॉर्फ पहनाया जाता है.

कलेक्टर ने ट्वीट करके जानकारी दी कि, ''गंगा जमुना स्कूल के एक पोस्टर को लेकर कुछ लोगों द्वारा फैलाई जा रही जानकारी को लेकर थाना प्रभारी कोतवाली और जिला शिक्षा अधिकारी से जांच कराने पर तथ्य गलत पाए गए. जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की.'' 

जिला प्रशासन ने 30 मई को जांच करके स्कूल को क्लीन चिट दे दी. इस पर हिन्दूवादी संगठन सवाल उठा रहे हैं. हिन्दू जागरण मंच की कृष्णा तिवारी ने कहा, ''हिजाब पहनकर नहीं आएंगी तो दाखिला नहीं दिया जाएगा. लव जेहाद करके हिन्दू बहन-बेटियों को फंसाने का काम किया जाता है.''

स्थानीय निवासी रानू साहू ने कहा, ''जबर्दस्ती हिन्दू बच्चों को कहते हैं हिजाब पहनकर आओ. क्या जहां पढ़ोगे वहां से दबाव बनाया जाएगा. कल बोर्ड लगा था, हमने विरोध जताया तो बोर्ड निकल गया. प्रशासन ने कहा हम जांच कराएंगे. कौन सी कमेटी है जो एक घंटे में जांच करती है, सांठ गांठ है भाई.''

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स्कूल ने कहा कि सालों से उनका यह ड्रेस कोड है. कुछ अभिभावकों और बच्चों ने भी कहा कि पहनावे के लिए कभी जबर्दस्ती नहीं की गई.

गंगा-जमुना स्कूल के निदेशक मोहम्मद इदरीश ने कहा, ''संगठन ने जो आपत्ति उठाई है वो हिजाब पर है. ये बच्चियों के सर से सीने तक रहता है, वो स्कॉर्फ है. वो जांच करके ले गए जो स्कूल का कोड है, वह स्कूल की संस्था तय करती है. सन 2012 के आसपास बनाया था तब से लागू है.''

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गंगा-जमुना स्कूल के स्थानीय सदस्य शिवदयाल दुबे ने कहा, ''अरे आप देखिए 65 बच्चे बैठते हैं, 61 टॉप करते हैं, कितनी बड़ी उपलब्धि है. आप यह नहीं बताएंगे. इनका काम है धार्मिक उन्माद फैलाना.''

अभिभावक लीलावती साहू का कहना है कि, ''वह स्कॉर्फ है जो लगाकर जाती है. वह ड्रेस कोड है. कभी चली जाती है, कभी नहीं जाती. यह नहीं कहते कि क्यों नहीं पहना.'' छात्रा पारुल साहू ने कहा, ''वह स्कॉर्फ है, सलवार सूट और स्कार्फ, कभी जबर्दस्ती नहीं की.'' 

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प्रशासन ने जांच की तो अभिभावकों ने शिकायत नहीं की, इसलिए उसने क्लीन चिट दे दी. क्लीन चिट पर सरकार, एनसीपीसीआर और स्थानीय संगठन भड़क गए तो फिर जांच पर गहन जांच के आदेश आ गए.

गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र ने कहा, ''उसकी जांच कराई है. जांच में उनके परिवार वालों ने कोई ऐसी शिकायत नहीं की, उसके बावजूद पुलिस अधीक्षक को गहन जांच के लिए बोला है.''

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