"गुरु नानक देख रहे हैं..." : सिख धर्म के कार्यक्रम में कांग्रेस नेता कमलनाथ की मौजूदगी से नाराज हुए कीर्तनकार

कमलनाथ ने कीर्तन कार्यक्रम में पहुंचकर मत्था टेका और पदाधिकारियों ने उन्हें सरोपा सौंपा और सम्मान दिया. जिसके ख़िलाफ़ कार्यक्रम में पंजाब से आए कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी ने आयोजकों को आड़े हाथों लिया.

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भाजपा ने इस मामले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है.

इंदौर:

मध्य प्रदेश के इंदौर में प्रकाश पर्व पर कीर्तन कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के शामिल होने को लेकर वहां विवाद हो गया. कमलनाथ ने कीर्तन कार्यक्रम में पहुंचकर मत्था टेका और पदाधिकारियों ने उन्हें सरोपा सौंपा और सम्मान दिया. जिसके ख़िलाफ़ कार्यक्रम में पंजाब से आए कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी ने आयोजकों को आड़े हाथों लिया और कहा कि वो अब कभी इंदौर नहीं आएंगे. कमलनाथ पर साल 1984 में दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों में भूमिका को लेकर आरोप लगे थे.

खालसा कॉलेज में कार्यक्रम के एक वीडियो में देखा जा सकता है कि कमलनाथ के जाने के कुछ मिनट बाद कानपुरी कहते हैं, "अगर आपकी अंतरात्मा जिंदा होती तो ऐसा नहीं होता.'

एक आयोजक ने सफाई देने की कोशिश करते हुए कहा, “हमने उन्हें सरोपा नहीं दिया है. केवल स्मृति चिन्ह दिया गया. यह यहां की परंपरा है."

रागी ने जवाब दिया, "आप अभी बोल रहे हैं. आप पहले कहां थे? देखो आपने क्या किया. मैं अब अपना काम पूरा करने जा रहा हूं और फिर कभी इंदौर नहीं आऊंगा."

साथ ही उन्होंने कहा, "अगर मैं गलत हूं तो भगवान मुझे सजा देंगे. अगर आप गलत हैं तो गुरु नानक देख रहे हैं."

इसके बाद आयोजक ने उनसे "जो बोले सो निहाल, सतश्री अकाल" के जयकारे के साथ आगे बढ़ने का अनुरोध किया.

कानपुरी ने जबाव दिया कि "मैं ऐसा नहीं करूँगा. आपको पहले जयकारा के मायने समझने की जरूरत है. मैं केवल गुरु नानक का कीर्तन करूंगा."

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दोपहर करीब 1 बजे कमलनाथ कार्यक्रम में पहुंचे थे. दोपहर 1.15 से 2.45 बजे तक कीर्तन होना था. कमलनाथ के पहुंचने की जानकारी मनप्रीत सिंह कानपुरी के नेतृत्व वाले रागी समूह को मिली तो उन्होंने हॉल के अंदर जाने से मना कर दिया. जब उनसे अनुरोध किया गया तो वे माने. लेकिन 45 मिनट तक चले एक समारोह में कमलनाथ को सम्मानित किया गया तो वे नाराज हो गए.

जब रागी मंच पर पहुंचे तो कमलनाथ वहां से जा चुके थे, लेकिन उन्होंने करीब 45 मिनट तक कीर्तन करने से पहले अपनी नाराजगी जाहिर की.

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न तो कमलनाथ, जो दंगों में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार करते हैं, और न ही उनकी पार्टी ने विवाद पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हालांकि, भाजपा ने इसको लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है.

राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गुरु नानक को "हिंदू धर्म की रक्षा करने में अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देने वाला" करार देते हुए कहा कि "श्रद्धेय गुरु नानक की जयंती पर, इंदौर के खालसा कॉलेज में जो हुआ वह शर्मनाक है."

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उन्होंने गुरपुरब कार्यक्रम में कमलनाथ की मौजूदगी को हिंदू पौराणिक संदर्भों में "असुरी शक्ति" (राक्षसी शक्तियों) के धार्मिक आयोजनों को बाधित करने के साथ तुलना की है.  उन्होंने कहा, "1984 के नरसंहार के लिए जिम्मेदार लोगों से और क्या उम्मीद की जा सकती है."

उन्होंने प्रसिद्ध कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी से भी आग्रह किया कि वे फिर से इंदौर न आने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें. उन्होंने कहा, "इंदौर के प्रभारी मंत्री के नाते मैं अपील करता हूं कि कुछ लोगों के बुरे कामों के लिए सभी को सजा ना दें. कुछ लोग अपने पापों को ढकने के लिए किसी कार्यक्रम में चले आए. इंदौर की कोई गलती नहीं है."

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साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों के मामले में कमलनाथ की भूमिका की जांच जरूर हुई थी, हालांकि, उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ. उस समय मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के एक युवा सांसद कमलनाथ पर दिल्ली के रकाब गंज साहिब गुरुद्वारे पर हमले के दौरान वहां मौजूद रहने का आरोप लगाया गया था.

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