इंदौर में भीषण आगजनी में सात लोगों की मौत के आरोपी को एक युवती ने थाने में तमाचा जड़ दिया. यह घटना तब हुई जब पुलिस आरोपी संजय उर्फ शुभम दीक्षित को कोर्ट में पेश करने के लिए ले जा रही थी. थाना परिसर से आरोपी जैसे ही निकला, एक युवती ने उसे तमाचा जड़ दिया. युवती आरोपी को कोस रही थी और उसे कड़ी सजा दिए जाने की बात कह रही थी. आरोपी युवक गिरफ्तारी के दौरान भागते समय चोट लगने से घायल हो गया है.
इंदौर की रिहायशी इमारत में आग लगाकर सात लोगों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कथित ‘सिरफिरे आशिक' को विजय नगर पुलिस थाना परिसर में एक महिला ने रविवार को सरेआम थप्पड़ जड़ दिया. अधिकारियों के मुताबिक यह महिला 27 वर्षीय शुभम दीक्षित उर्फ संजय से परेशान उस 22 वर्षीय युवती की बड़ी बहन है जिससे शादी में नाकाम रहने पर शुभम दीक्षित ने शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात स्वर्ण बाग कॉलोनी की रिहायशी इमारत की पार्किंग में युवती के स्कूटर को आग के हवाले कर दिया था.
अधिकारियों ने बताया कि बाद में लपटों ने गहरे धुएं के साथ बढ़कर विकराल रूप धारण कर लिया था जिससे इमारत में रहने वाले एक दम्पति समेत सात लोगों की मौत हो गई थी. चश्मदीदों ने बताया कि दीक्षित से परेशान युवती की बड़ी बहन अपनी छोटी बहन से मिलवाए जाने की मांग को लेकर विजय नगर थाने पहुंची थी. इसी दौरान उसे पुलिस कर्मियों के साथ शुभम आता दिखाई दिया और उसने गुस्से में आकर शुभम को थप्पड़ जड़ते हुए पूछा कि उसे सात लोगों की जान लेकर आखिर क्या मिला?
चश्मदीदों के मुताबिक दीक्षित को थाना परिसर में अचानक थप्पड़ पड़ने से सकपकाए पुलिस कर्मियों ने बीच-बचाव करके आरोपी को इस कुपित महिला से दूर किया. अपनी छोटी बहन को शुभम द्वारा एकतरफा प्रेम में लंबे समय से परेशान किए जाने का आरोप लगाते हुए महिला ने कहा कि भीषण अग्निकांड के आरोपी को ‘‘फांसी से भी ज्यादा सजा'' दी जानी चाहिए.
चश्मदीदों के मुताबिक गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के लिए विजय नगर थाने लाए गए शुभम दीक्षित के एक हाथ और एक पैर पर पलस्तर चढ़ा हुआ था और वह लंगड़ाते हुए चल रहा था. विजय नगर पुलिस थाने के प्रभारी तहजीब काजी ने दावा किया कि आग लगाकर सात लोगों की हत्या का आरोपी लोहा मंडी क्षेत्र में सड़क का डिवाइडर फांदते वक्त गिरकर घायल हो गया, जब वह शनिवार और रविवार की दरमियानी रात पुलिस दल को सामने देखकर बचकर भागने की कोशिश कर रहा था.
विजय नगर थाना परिसर में शुभम दीक्षित को दिवंगत दम्पति-ईश्वर सिंह सिसोदिया (45) और नीतू सिसोदिया (44) के परिजनों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा जिन्होंने उसे जमकर कोसा और उसे फांसी की सजा दिए जाने की मांग की. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक सिसोदिया दम्पति स्वर्ण बाग कॉलोनी की रिहायशी इमारत में शनिवार तड़के हुए भीषण अग्निकांड में मारे गए सात लोगों में शामिल हैं. उन्होंने बताया कि यह दम्पति इमारत की निचली मंजिल के फ्लैट में किराए पर रहता था क्योंकि इसके सामने ही उनका मकान बन रहा था.
ईश्वर सिंह सिसोदिया के छोटे भाई भेरू सिंह सिसोदिया अग्निकांड की शिकार इमारत के ठीक सामने के घर में रहते हैं और वह इस घटना के चश्मदीद भी हैं. विजय नगर पुलिस थाने में बयान दर्ज कराने आए भेरू सिंह सिसोदिया ने संवाददाताओं को बताया,'अग्निकांड के समय मेरे घर के सामने की इमारत में चीख-पुकार सुनकर अचानक मेरी आंख खुली. तभी मेरे बड़े भाई ईश्वर सिंह सिसोदिया ने मुझे फोन कर कहा कि वह और उनकी पत्नी फ्लैट में फंसे हैं और उन्हें बाहर निकाला जाए. हमने अग्निशमन विभाग को तुरंत फोन किया.''
उन्होंने बताया,‘‘अग्निशमन दल के मौके पर पहुंचने से पहले ही मैंने अपने पड़ोसियों की मदद से पानी की मोटर चलाकर काफी हद तक आग बुझा दी थी. जब हमने फ्लैट में प्रवेश किया तो यह जगह बुरी तरह तप रही थी और वहां भरे धुएं में मेरे भैया और भाभी फर्श पर पेट के बल बेसुध पड़े थे. वे लपटों में जरा भी नहीं झुलसे थे, लेकिन घने धुएं में उनका दम घुट चुका था.''
सिसोदिया दम्पति की कोई संतान नहीं है और उनकी चिता को भेरू सिंह सिसोदिया ने ही मुखाग्नि दी. उन्होंने रुंधे गले से कहा,‘‘मुझे इस बात का हमेशा अफसोस रहेगा कि मैं अपने बड़े भाई और भाभी की जान नहीं बचा सका जबकि अग्निकांड में फंसने के दौरान उन्होंने मदद के लिए सबसे पहले मुझे फोन किया था.''