'एमपी अजब है, सबसे गजब है. ये स्लोगन तो आप सब ने सुना ही होगा. लेकिन इसी कड़ी में आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सच में अजब गजब है. वैसे तो हर आदमी का सपना होता है कि उसके सिर पर एक पक्की छत हो. लेकिन अजब गजब एमपी के विदिशा जिले में एक ऐसा गांव है, जहां किसी भी घरों पर पक्की छत नहीं डाली जाती है. द इस बात पर यकीन करना शायद मुश्किल होगा, लेकिन ये सच है. आपको जानकर हैरत होगी कि प्रधानमंत्री आवास योजना के मकानों पर भी इस गांव में पक्की छत नहीं डाली गई है.
ऐसे में सवाल ये है कि सरकारी फाइलों में ये घर पूरे कैसे हुए ? क्या सरकारी सिस्टम भी इस अंधविश्वास को मानता है. NDTV की इस खास रिपोर्ट में हम आपको इस अजब गजब गांव से जुड़े हर पहलू के बारे में बताएंगे.
आखिर क्या है इस अंधविश्वास की वजह
आपको बता दें कि काफ गांव विदिशा जिला मुख्यालय से महज 18-20 किलोमीटर दूर है .गांव में सिर्फ एक सरकारी स्कूल पर पक्की छत है. बाकी पूरे गांव के घर टीन शेड से ढ़के हैं. किसी भी घर के छत पक्की छत नहीं है.अब अगर आप इसकी वजह जानेंगे तो दंग रह जाएंगे. दरअसल, काफ गांव में रहने वाले लोगों का मानना है कि अगर यहां कोई अपने घर में पक्की छत डलवा लेता है तो वो परिवार किसी बड़े हादसे का शिकार हो जाता है.
जानें अंधविश्वास की कहानी ग्रामीणों की जुबानी
NDTV संवाददाता नावेद खान ने यहां रहनेवाली ग्रामीण फूलबाई से बात की. फूलबाई का भरा-पूरा परिवार है और वह प्रधानमंत्री आवास में रहती हैं. वो कहती हैं कि चाहे सरकार ताला लगा दे लेकिन छत नहीं डालेंगे .उन्होंने कहा कि हम यहां अपने घरों में छत नहीं डालते, भगवान के यहां से मंजूरी नहीं है, जो डोकरा ने डाला वो पागल हो गया. ये पीएम आवास मिला है, उसमें भी नहीं डाला. हम तो कह रहे हैं हम कैसे भी छत नहीं डालेंगे, चाहे इसमें ताले लगा दें. ये जितनी सरकारी कुटी है सभी में टीन डली है.
मकानों में दरवाजे लगे हैं, लेकिन छत नहीं...
वहीं, अपने पूरे परिवार के साथ काफ में रहने वाले बाबूलाल प्रजापति ने भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाया है. इसके बाद उन्हें सरकार की तरहफ से पूरा पैसा मिला लेकिन जब अधिकारियों ने छत डालने की जिद की तो उन्होंने साफ तौर पर इंकार कर दिया.
इसके अलावा 25 साल की ग्रामीण सुमन बाई नया मकान बनवा रही हैं, दरवाजे लगे हैं, लेकिन छत नहीं. जब इसकी वजह पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मंदिर में पर्ची उठाई तो मना हो गया. सुमन बाई ने कहा, टीन की छत रखेंगे. कोई छत नहीं डाल रहा हम भी नहीं डालेंगे. मंदिर में पर्ची उठाई नहीं उठी भगवान की मर्जी नहीं है तो क्या करें . ग्रामीण भूरा सिंह ने कहा, कुदरत की लीला है छत नहीं डलती कोई घटना हो जाती है. घर में विवाद होता है, कोई मर जाता है. एक मनोज जोशी हैं उनका भतीजा खत्म हो गया, मंदिर में पर्ची उठाई तो ना निकली .
51 लोगों को अभी तक मिला प्रधानमंत्री आवास का लाभ
आपको बता दें कि इस गांव में कोई 20 लोगों के परिवार के साथ रहता है, तो कोई 60 साल का हो गया. लेकिन किसी ने गांव में छत नहीं देखी. किसी साधू ने अनहोनी टालने गांव में मंदिर में पक्की छत डालने का सुझाव दिया, वहां छत डल गई लेकिन लोगों के घरों में नहीं. सबकी एक ही कहानी है और वो ये कि अगर छत डली तो अनहोनी हो जाएगी. काफ गांव में 51 लोगों को अभी तक प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिल चुका है. जबकि 27 लोगों को नए आवास मिलने वाले हैं. इस गांव में 100 से ज्यादा घर हैं और किसी में पक्की छत नहीं है.
प्रशासन ने भी इस अंधविश्वास पर साध ली है चुप्पी
हैरानी की बात ये है कि प्रशासन भी इस अंधविश्वास पर कुछ नहीं कर रहा है जबकि सरकार कह रही है कि लोगों को समझाएंगे. कैबिनेट मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी की कहना है कि हम उनको समझाएंगे... समझाने का प्रयास करेंगे. छत सबके लिये जरूरी है इसलिये पीएम मोदी ने आवास बनाने का मौका दिया ताकि उनको पक्की छत मिल सके.