शासन-प्रशासन कई बार कई तरह की योजनाओं और व्यवस्थाओं को लेकर ढोल पीटते नजर आते हैं. लेकिन इन व्यवस्थाओं की जमीनी हकीकत क्या है? इसका नजारा खंडवा जिले के पंधाना क्षेत्र में ग्राम पंचायत बोरगांव बुजुर्ग के अंतर्गत आने वाले आदिवासी फालिया पलस्यापाटी में देखने को मिला. जहां तेज धूप में 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में एक प्रसूता को परिजन बैलगाड़ी पर लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बोरगांव पहुंचने का मामला सामने आया है. इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी देखने को मिला है.
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कुछ दिनों पहले 1200 संजीवनी एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाई गई थी, हर अखबार में ये ख़बर सुर्खियों में थी! बस याद दिला रहा हूं! @ndtv @ndtvindia pic.twitter.com/DYF67ihx3a
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) May 5, 2022
बोरगांव बुजुर्ग के पलस्यापाटी निवासी संगीता पति पन्नालाल बारेला को सोमवार दोपहर को प्रसव पीड़ा शुरू हुई. परिजन भैयालाल बारेला ने बताया कि इसकी सूचना आशा कार्यकर्ता विद्या राजपूत को फोन पर दी गई. आशा कार्यकर्ता ने कहा कि वो 108 एंबुलेंस को सूचना देकर बुलवाती है. कुछ समय के बाद संगीता की तकलीफ बढ़ी तो परिजनों ने फिर आशा कार्यकर्ता को फोन लगाकर बताया. आशा कार्यकर्ता विद्या ने कहा कि वो 108 को सूचना दे ही रही थी मगर जब संगीता के परिजनों का दोबारा फोन आया और एंबुलेंस की मांग की. लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंचा। तकलीफ अधिक बढ़ने के कारण आशा कार्यकर्ता ने परिजनों से कहा की प्रसूता संगीता को अधिक तकलीफ है और तुम लोग जो भी साधन उपलब्ध हो उससे ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंच जाओ, जिससे जच्चा और बच्चा को कोई खतरा न हो.
आदिवासी परिवार के पास बैलगाड़ी के अलावा और कोई भी व्यवस्था नहीं थी. दूसरी ओर संगीता की तकलीफ बढ़ रही थी. इसी बात को लेकर परिजनों ने तेज धूप में संगीता को बैलगाड़ी में बिठाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बोरगांव बुजुर्ग 3 किमी की दूरी तय कर पीएचसी लेकर पहुंचे. समय पर पीएचसी पहुंचने से संगीता का प्रसव सुरक्षित ढंग से हो गया और जच्चा बच्चा दोनो ही स्वस्थ है. इस पूरे मामले शासन की व्यवस्थाओं की पोल खुलकर सामने आ गई है. इधर पलस्यापाटी के रहवासी अंतर सिंह डाबर ने बताया की बोरगांव से पलस्यापाटी मार्ग कच्चा है. सड़क नहीं होने से एंबुलेंस वाले आने से मना कर देते हैं और जब कभी भी कोई ' इमरजेंसी होती है तो हम लोगों को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. डाबर ने कहा कि अगर समय पर प्रसूता पीएचसी नहीं पहुंच पाए और कोई अनहोनी होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होता?
इस मामला के बाद एक मध्य प्रदेश से लापरवाही का एक और भी मामला सामने आया है. मध्य प्रदेश के खंडवा में महिला चिकित्सालय के अंदर एक गर्भवती महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि गर्भवती महिला को लेबर पेन होने पर अस्पताल में एडमिट किया गया था. जब उससे तेज़ लेबर पेन होने लगा तो उनके बुलाने पर डॉक्टर ओर नर्स कोई भी मरीज को देखने नहीं आया. उल्टा नर्स मोबाइल पर गेम खेलती रही. इसी बीच महिला की मौत हो गई. महिला की मौत होने के बाद ड्यूटी नर्स और डॉक्टरों ने एक घंटे तक मृत महिला का इलाज कर परिवार वालों झूटी सांत्वना देते रहे. परिजनों ने महिला की मौत के बाद हंगामा शुरू कर दिया. पुलिस ने आकर पूरे मामले को शांत किया.
खंडवा के महिला चिकित्सालय लेडी बटलर में गर्भवती और नवजात शिशुओं का इलाज किया जाता है. महिला अस्पताल लेडी बटलर में गर्भवती महिला फरहीन की संदिग्ध हालात में मौत हो गई. महिला की मौत को लेकर परिजन आक्रोशित हो गए और हंगामा करने लगे. परिवार के लोगों ने खुले रूप से डॉक्टर और स्टाफ नर्सो पर लापरवाही का आरोप लगाया. परिवार का कहना है कि महिला डॉक्टर और स्टाफ नर्स सो रही थी. गर्भवती महिला फरहीन की हालत खराब होने पर जब भी उन्हें बोलने जाते तो वह उन्हें हड़काकर भगा दे रहे थे. स्टाफ नर्स मोबाइल में गेम खेलने में लगी हुई थी.
मृत महिला की सास फरीद ने बताया कि गर्भवती महिला को मंगलवार दोपहर में महिला अस्पताल में भर्ती किया गया था. डॉक्टर में चेक कर कहा था कि नॉर्मल डिलीवरी हो जाएगी. लेकिन रात में जब फरहीन को लेबर पेन होने लगा तो वह बार-बार डॉक्टर और नर्स को बुलाते रहे. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. उल्टा स्टाफ नर्स मोबाइल में गेम खेलती रही . उसे जब भी बुलाने जाते थे. वह खड़का कर भगा देती थी. जब फरहीन की मौत हो गई तब उन्होंने एक घंटे तक जबरन नौटंकी करते रहे. हमसे कहा कि उसकी सांस अभी चल रही है. और बहुत से कागजों पर सिग्नेचर लेते रहे . जबकि फरीन की मौत पहले ही हो चुकी थी. फरहीन के परिजनों ने आरोप लगाया कि उनकी बहू की मौत डॉक्टर और नर्सों की लापरवाही के चलते हुई है. उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.
महिला अस्पताल में हंगामे की खबर मिलते ही मोघट टीआई ईश्वर सिंह चौहान ने अस्पताल पहुंचकर परिवार के लोगों से बात की. उन्हें समझाया इसके बाद कही जाकर मामला शांत हुआ. यह पहला मामला नहीं है नर्स मोबाइल पर खेलती रही गेम , इधर गर्भवती महिला की हो गई मौतजब अस्पताल की लापरवाही सामने आई हो इससे पहले खंडवा के एक मीडिया कर्मी के साथ भी इसी तरह का वाक्य हो चुका है.