"उसे अपनी शर्ट दे दी": ऑटो ड्राइवर, जिसे उज्जैन की रेप पीड़ित की मदद न करने पर जेल में रहना पड़ा

ऑटोरिक्शा चालक राकेश मालवीय ने पुलिस को बताया कि उसकी एकमात्र गलती यह थी कि वह लड़की को अस्पताल नहीं ले गया, बल्कि उसे सड़क पर छोड़ दिया.

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उज्जैन में रेप पीड़ित लड़की की किसी ने मदद नहीं की.
भोपाल:

उज्जैन रेप मामले (Ujjain Rape Case) में वाहन में खून के धब्बे पाए जाने के बाद पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए ऑटोरिक्शा चालक ने कहा है कि उसने 15 वर्षीय लड़की को कपड़े देकर उसकी मदद की थी. ऑटोरिक्शा चालक राकेश मालवीय ने पुलिस को बताया कि उसकी एकमात्र गलती यह थी कि वह लड़की को अस्पताल नहीं ले गया, बल्कि उसे सड़क पर छोड़ दिया.

उज्जैन में बलात्कार के बाद नाबालिग लड़की को आधा नग्न छोड़ दिया गया था. उसका खून बह रहा था और वह घर-घर जाकर मदद की भीख मांग रही थी. पुलिस ने कल NDTV को बताया था कि जिन लोगों ने उस लड़की की मदद नहीं की उन पर बाल यौन शोषण कानूनों के तहत आरोप लगाया जा सकता है. अपराध की रिपोर्ट न करने पर उन्हें यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

पुलिस को जानकारी नहीं देने का आरोप

उज्जैन में 15 साल की बच्ची के साथ बलात्कार के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन जिस ऑटो ड्राइवर को शक के आधार पर पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था उसका दावा है कि पहले उसने ही बच्ची की कपड़े देकर मदद की थी. लेकिन पुलिस का कहना है कि पुलिस को जानकारी नहीं देने का आरोप उस पर है.

उज्जैन में सबसे पहले रेप का गुनाहगार जिस शख्स राकेश मालवीय को माना गया, दरअसल उसने पीड़ित लड़की को ऑटो में बिठाया और उसे अपनी शर्ट पहनने को दी थी. हालांकि उसने लड़की को ना तो अस्पताल पहुंचाया, ना ही पुलिस को जानकारी दी. इस वजह से उसे चार दिन हवालात में रहना पड़ा और उस पर जमानती धाराएं भी लगीं. अब उसे पुलिस को सूचना न देने का अफसोस है.

''पछतावा बहुत है, दिमाग काम नहीं कर रहा था''

ऑटो ड्राइवर राकेश मालवीय ने कहा कि,  ''मैंने शर्ट दे दी खाकी वर्दी की. वह घर बता रही थी कि चली जाएगी. सर पछतावा बहुत है. दिमाग काम नहीं कर रहा था, जिंदगी में पहली बार ऐसा देखा. मैं समझा बात बताने से फायदा नहीं, किसको बताऊं.''

इस मामले में सबसे ज्यादा चर्चा उज्जैन के लोगों की बेरुखी की हुई. बलात्कार के दो घंटे बाद वह 500 से ज्यादा घर, ढाबे और एक टोल नाके से होकर गुजरी. सीसीटीवी में खासकर एक घर के बाहर खड़े शख्स से वह बच्ची मदद मांगती दिखी, लेकिन ऐसा लगा कि वह शख्स पीड़ित को दुत्कार रहा है. अब उनके भाई सफाई दे रहे हैं. इलाके के लोग भी अब एक-दूसरे को कोस रहे हैं.

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उज्जैन की बदनामी हुई

तरुण दास स्वामी ने कहा कि, भाई साहब सोकर उठे थे, जैसे ही गेट खोला अचानक उस लड़की का गेट के सामने आना हुआ. भाई ने देखा, भाभी को बुलाने गए, इतने में वह आगे निकल गई. हम लोग मदद नहीं कर पाए. बहुत ज्यादा अफसोस है. उस लड़की को न्याय मिलना चाहिए.

उज्जैन निवासी रेणु बंसल ने कहा कि, जो माता का पूजन करते हैं, पूजा बंद कर दीजिए. बच्ची को देखकर अनदेखा किया है, छोड़ दीजिए. अपना उज्जैन का बदनाम हुआ. महाकाल की नगरी है, अगर यहां यह हुआ है तो क्या कह सकते हैं.

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घटना का मुख्य आरोपी भरत सोनी जेल में है. बच्ची अभी भी अस्पताल में भर्ती है.

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