मंगलवार को जिला मुख्यालय में आयोजित होने वाली जनसुनवाई के दौरान एक अनोखा मामला सामने आया. इस मामले ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. जनसुनवाई कार्यक्रम के दौरान आदिवासी छात्रों ने कलेक्टर से छात्रावास में खाना नहीं मिलने की बात कही. उन्होंने शिवपुरी के कलेक्टर से कहा- साहब, भूखे पेट पढ़ाई नहीं होती है. छात्रावास में खाना उपलब्ध नहीं है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पोस्ट मैट्रिक आदिवासी छात्रावास क्रमांक 1-2 के छात्रों ने जन सुनवाई के दौरान कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचते हुए कलेक्टर से शिकायत की. उन्होंने कहा कि 30 जून को सत्र समाप्त हो गया है, इसलिए उनसे कहा गया था कि 1 जुलाई से खाना नहीं मिलेगा. छात्रावास के एक छात्र हिम्मत जाटव ने बताया कि उन्हें 25 जून को एक आदेश जारी कर यह सूचित कर दिया गया था कि 30 जून को सत्र समाप्त हो रहा है और 1 जुलाई से खाना नहीं मिलेगा. जबकि छात्रों का कहना है कि कई छात्रों की परीक्षाएं चल रही हैं. और कई छात्रों की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं. ऐसे में उन्हें खाना ना मिलना एक परेशानी का सबब है.
इससे पहले भी छात्र आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी से मिलने पहुंचे थे, जहां अधिकारी ने उन छात्रों से यही कहा कि सत्र खत्म होने के चलते 30 जून तक ही खाना वितरण करने की व्यवस्था है इसके आगे खाना वितरण नहीं किया जाएगा. छात्रावास प्रबंधन ने भी यही कहा है कि आना सत्र समाप्त होने की वजह से प्रभावित है.
अब मामला कलेक्टर तक जा पहुंचा है और जिला कलेक्टर इस मामले में छात्रों की क्या मदद कर सकते हैं, यह तो फिलहाल सामने नहीं आ सका है. लेकिन जब छात्र लामबंद होकर अपनी समस्या लेकर जिला कलेक्टर के पास पहुंचे हैं तो उनको उम्मीद है कि कुछ ना कुछ निराकरण जरूर होगा.