उमर खालिद को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बताया बेकसूर, बीजेपी ने पलटवार कर कह दी बड़ी बात

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था कि उमर खालिद बेकसूर है, उसके साथ बहुत अन्याय हो रहा है. वह पीएचडी स्कॉलर है और किसी मापदंड में राष्ट्रद्रोही नहीं है, उसे फौरन रिहा किया जाना चाहिए.

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  • मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उमर खालिद को बेकसूर बताते हुए उनकी तुरंत रिहाई की मांग की
  • दिग्विजय सिंह ने कहा कि अदालतें दबाव में सुनवाई लगातार टाल रही हैं और न्याय मिलने में देरी हो रही है
  • बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने दिग्विजय सिंह पर आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखने का आरोप लगाया है
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भोपाल:

फरवरी 2020 में दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में हुए सांप्रदायिक दंगों के मामले में आरोपी उमर खालिद को लेकर कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने उमर खालिद को "बेकसूर" बताया और उसकी तुरंत रिहाई की मांग की. दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने लिखा कि उमर खालिद एक पीएचडी स्कॉलर हैं, बेहद पढ़े-लिखे और संवेदनशील व्यक्ति हैं, और उनके खिलाफ कोई आरोप अब तक साबित नहीं हुआ है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि "बेल एक अधिकार है, जेल अपवाद", लेकिन उमर के मामले में ये बात लागू नहीं हो रही.

दिग्विजय सिंह को बीजेपी नेता का जवाब

दिग्विजय सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार के दबाव में अदालतें सुनवाई की तारीखें लगातार टाल रही हैं और उमर पिछले साढ़े पांच साल से जेल में हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की वजह से न्याय मिलने में देरी हो रही है. दिग्विजय सिंह के इस बयान पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. मध्यप्रदेश के बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि दिग्विजय सिंह का व्यवहार अब किसी "पाकिस्तानी और विदेशी" जैसा लगने लगा है. उन्होंने आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखते हैं और उन्हें "जी" कहकर संबोधित करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस से अपील की कि दिग्विजय सिंह को पार्टी से दूर रखें, वरना वह कांग्रेस को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.

उमर खालिद पर क्या आरोप

आपको बता दें कि उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को दिल्ली दंगों की साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत मामला दर्ज है. दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि 2020 के दंगे अचानक नहीं भड़के थे, बल्कि यह एक "रेजिम-चेंज ऑपरेशन" यानी सत्ता परिवर्तन की साजिश थी. पुलिस का दावा है कि इन दंगों का मकसद देश को अस्थिर करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान पहुंचाना था.

सुप्रीम कोर्ट में जमानत का मामला

पुलिस ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि उमर खालिद और अन्य आरोपियों ने जानबूझकर अदालत की कार्यवाही में देरी की है और उनके खिलाफ तकनीकी, दस्तावेजी और गवाहों के बयान जैसे सबूत मौजूद हैं. पुलिस का कहना है कि यह साजिश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय को ध्यान में रखकर रची गई थी ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा जा सके. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही है. उनके वकीलों का कहना है कि उमर खालिद के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और इतने लंबे समय तक बिना ट्रायल के जेल में रखना न्याय के खिलाफ है.

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