ओबीसी बैठक में क्यों बिफरे कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल? मराठा आरक्षण के जीआर की खोल दी पोल

ओबीसी आंदोलन को देखते हुए सरकार ने ओबीसी समुदाय की कैबिनेट-उप-समिति का गठन किया है, जिसके जरिए ओबीसी के लिए विकासात्मक निर्णय लिए जाने के दावे किए गए हैं.

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मराठा आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया एक तरफ तेज़ी पर है, वहीं दूसरी तरफ ओबीसी समुदाय की चिंताएं दूर करने के लिए ओबीसी उप-समिति की मुंबई में पहली बैठक हुई. इस बैठक में मंत्री छगन भुजबल आक्रामक दिखाई दिए. उन्होंने सभी दस्तावेज और सबूत पेश करके हैदराबाद गजट की जीआर गलतियों को उजागर किया. बैठक में अपना पक्ष रखते हुए कहा, "जिनके पास सबूत नहीं हैं, उन्हें ओबीसी कुनबी प्रमाणपत्र देना गलत है". 

'ओबीसी समुदाय के लिए 3800 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने पर चर्चा हुई'

बैठक के बारे में बीजेपी नेता और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, "दिसंबर के अंत तक ओबीसी समुदाय के लिए 3800 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने पर चर्चा हुई. ओबीसी बच्चों के लिए छात्रावास की व्यवस्था और योजना के क्रियान्वयन पर बातचीत की. साथ ही मराठा जीआर के आधार पर ओबीसी प्रमाण पत्र जारी करते समय केवल कुनबी रिकॉर्ड वालों को ही प्रमाण पत्र दिया जाएगा."

'संयम और दूरगामी निर्णय लेना जरूरी'

मंत्री पंकज मुंडे ने कहा, "भुजबल साहब की नाराजगी को उनके अनुभव के शब्द नहीं कहा जा सकता. उनकी नाराजगी का मुद्दा नहीं उठा. वे इस बारे में अपने वरिष्ठों से बात करेंगे. बेशक, अगर कुनबी प्रमाणपत्र अवैध रूप से दिया जा रहा है, तो वे इसके खिलाफ अदालत जाएंगे. संयम और दूरगामी निर्णय लेना जरूरी है. एक भी अवैध प्रमाण पत्र देकर ओबीसी के अधिकारों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए."

बता दें कि ओबीसी आंदोलन को देखते हुए सरकार ने ओबीसी समुदाय की कैबिनेट-उप-समिति का गठन किया है, जिसके जरिए ओबीसी के लिए विकासात्मक निर्णय लिए जाने के दावे किए गए हैं, ये समिति ओबीसी कल्याण के लिए राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं पर अध्ययन करने के बाद सुझाव देगी. समिति में सभी ओबीसी समुदाय के नेता हैं.

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