ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के माता-पिता कहां हो गए गायब? पुलिस ने शुरू की तलाश

पुलिस को पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर और मां मनोरमा खेडकर की तलाश है. जांच के लिए जब पुलिस उनके घर पहुंची तो दोनों नहीं मिले.

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मुंबई:

सिविल सेवा चयन प्रक्रिया में सफल होने के लिए फर्जी प्रमाणपत्रों के इस्‍तेमाल के आरोपों का सामना कर रही ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर (Puja Khedkar) के माता-पिता से संपर्क नहीं हो पा रहा है. खेडकर की मां और महाराष्ट्र के एक गांव की सरपंच मनोरमा खेडकर एक वीडियो में पिस्तौल लहराते नजर आईं थीं, जिसके बाद उन्‍हें शस्त्र अधिनियम के मामले का सामना करना पड़ रहा है. वहीं उनके पति और पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर इस मामले में सह आरोपी हैं. दिलीप खेडकर महाराष्‍ट्र सरकार के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. 

पुलिस जांच के सिलसिले में जब उनके घर पहुंची तो उन्‍हें पूजा खेडकर के माता-पिता नहीं मिले. उनका पता लगाने के लिए तीन टीमें बनाई गई हैं. तीनों टीमें मुंबई, पुणे और अहमदनगर में उनकी तलाश कर रही हैं. पुलिस ने कहा कि वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.

मनोरमा खेडकर का वीडियो उनकी बेटी के सत्ता के दुरुपयोग और सिविल सेवा के लिए उनके चयन में कथित अनियमितताओं को लेकर जारी विवाद के बीच सामने आया. वीडियो में भलगांव की सरपंच मनोरमा खेडकर को भूमि विवाद को लेकर कथित तौर पर बंदूक से कुछ लोगों को धमकाते नजर आ रही हैं. वीडियो के वायरल होने के बाद मामला दर्ज किया गया और मनोरमा खेडकर ने पूछा गया कि वह लाइसेंसी बंदूक का दुरुपयोग क्यों कर रही हैं.

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खेडकर परिवार की परेशानी को अब पुणे नगर निगम ने भी बढ़ा दिया है. नगर‍ निगम ने मनोरमा खेडकर को एक नोटिस जारी किया और एक सप्ताह के भीतर बंगले की चारदीवारी के पास कथित तौर पर अवैध निर्माण को हटाने के लिए कहा है. 

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इस तरह से शुरू हुआ था यह मामला 

पुणे कलेक्टर डॉ. सुहास दिवसे ने 24 जून को महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक को 2023 बैच की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की कई मांगों के बारे में अवगत कराते हुए लिखा. उन्होंने कहा कि खेडकर ने कलेक्टरेट में काम पर आने से पहले अलग केबिन, कार, आवासीय क्वार्टर और एक चपरासी की मांग कर रही थीं. कलेक्टर ने बताया कि वह दो साल की परिवीक्षा पर हैं और इन लाभों की हकदार नहीं है. साथ ही खेडकर पर कलेक्टर कार्यालय में एक वरिष्ठ अधिकारी की नेमप्लेट हटाने का भी आरोप लगाया गया था, जब वह छुट्टी पर थे. इस विवाद के बीच खेडकर को अतिरिक्त सहायक कलेक्टर के रूप में वाशिम स्थानांतरित कर दिया गया. जिस दिन उन्होंने कार्यभार संभाला था, उसी दिन उन्होंने मीडिया से कहा था कि वह अपने ऊपर लगे आरोपों पर टिप्पणी करने के लिए अधिकृत नहीं हैं. 

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पुणे कलेक्टर की चिट्ठी और तबादले के बाद से ही युवा ट्रेनी आईएएस अधिकारी के बारे में बड़े खुलासों का सिलसिला शुरू हो गया. यह भी सामने आया कि ट्रेनी अधिकारी अपनी निजी ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती का इस्तेमाल कर रही थीं. उन पर यूपीएससी में छूट का दुरुपयोग करने का भी आरोप था. यह भी सामने आया कि यूपीएससी ने उनकी नियुक्ति को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के समक्ष चुनौती दी और उनके चयन को निलंबित भी कर दिया गया था. हालांकि बाद में उन्हें ओबीसी और मल्टीपल डिसेबिलिटी श्रेणियों के तहत नियुक्ति दी गई. अब इस बात को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि यूपीएससी ने अपने पूर्व के रुख से यू-टर्न क्यों लिया. केंद्र ने अब इस मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय समिति का गठन किया है. 

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पिता दिलीप खेडकर ने किया बेटी का बचाव 

पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर ने संपर्क से बाहर होने के पहले एक टीवी चैनल से कहा कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पूजा ओबीसी के नॉन-क्रीमी लेयर से आती हैं. हर साल 8 लाख रुपये से अधिक की पारिवारिक आय वाले व्यक्ति को क्रीमी लेयर में  माना जाता है और वह आरक्षण का लाभ उठाने के लिए पात्र नहीं होता है.  

भले ही सीमित साधनों वाले व्यक्ति के पास 4-5 एकड़ जमीन ही क्‍यों न हो, लेकिन मूल्यांकन से पता चल सकता है कि उसकी कीमत कई करोड़ रुपये है. इसे लेकर दिलीप खेडकर ने कहा, "क्रीमी लेयर के रूप में वर्गीकरण (संपत्ति) के मूल्यांकन के बजाय आय पर निर्भर करता है."

34 साल की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पर वीआईपी नंबर प्लेट और लाल-नीली बत्ती वाली निजी लक्जरी कार का इस्तेमाल करने को लेकर लग रहे आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्‍होंने कहा कि इसकी अनुमति ली गई थी. दिलीप खेडकर ने  कहा, "उसने आधिकारिक काम के लिए लक्जरी कार का इस्तेमाल किया क्योंकि कोई सरकारी वाहन उपलब्ध नहीं था. उसने प्रशासन में अपने सीनियरों से उचित अनुमति लेकर ऐसा किया."

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