- BMC चुनाव में महायुति गठबंधन ने 227 सीटों में से 207 सीटों पर सीट बंटवारे को लेकर सहमति बनाई है
- भाजपा को 128 सीटें मिली हैं जबकि शिवसेना को 79 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है जो शक्ति-संतुलन दर्शाता है
- बची हुई 20 महत्वपूर्ण सीटों पर अभी भी दोनों दलों के बीच बातचीत जारी है और कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव को लेकर महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन (भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना) के बीच सीट बंटवारे की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है. गठबंधन के भीतर कुल 227 सीटों में से 207 सीटों पर सहमति बन चुकी है, जबकि 20 सीटों को लेकर अब भी दोनों दलों के बीच बातचीत जारी है. तय हुए फॉर्मूले के तहत भाजपा 128 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जबकि शिवसेना को 79 सीटें मिली हैं. यह आंकड़ा मुंबई की सियासत में महायुति के भीतर शक्ति-संतुलन को स्पष्ट रूप से दर्शाता है.
कई दौर की बैठकें हो चुकी
बीएमसी चुनाव के लिए महायुति में बची हुई 20 सीटें राजनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जा रही हैं, जिनमें कई ऐसे वार्ड शामिल हैं जहां मजबूत संगठन, मौजूदा नगरसेवक या स्थानीय प्रभावशाली चेहरे सक्रिय हैं. इन्हीं कारणों से इन सीटों पर सहमति बनाना गठबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. इन सीटों को लेकर महायुति के भीतर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं और आने वाले घंटों में और बैठकें होने की संभावना है. सूत्रों का कहना है कि यदि निचले स्तर पर सहमति नहीं बनती, तो शीर्ष नेतृत्व हस्तक्षेप करेगा.
उम्मीदवारों की सूची कल!
अब इन 20 विवादित सीटों पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा लिया जाएगा. दोनों नेताओं की भूमिका इस समय निर्णायक मानी जा रही है, क्योंकि देरी की स्थिति में स्थानीय स्तर पर असंतोष और बगावत की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. सीट बंटवारे पर अंतिम मुहर से पहले ही भाजपा और शिवसेना अपनी पहली उम्मीदवार सूची कल तक जारी कर सकती हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि गठबंधन चुनावी मैदान में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है और समय रहते रणनीति को जमीन पर उतारना चाहता है. चुनावी प्रक्रिया को लेकर दबाव इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि नामांकन दाखिल करने के लिए केवल 3 दिन शेष हैं. ऐसे में महायुति नेतृत्व पर सभी मतभेद जल्द सुलझाकर एकजुट संदेश देने की जिम्मेदारी है.
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BMC देश की सबसे अमीर नगरपालिका मानी जाती है और इसकी सत्ता पर कब्जा महाराष्ट्र की राजनीति में ताकत का बड़ा संकेत माना जाता है. महायुति के लिए यह चुनाव न केवल स्थानीय शासन बल्कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों की दृष्टि से भी बेहद अहम है. वहीं, विपक्षी दल—कांग्रेस और उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना (UBT)—महायुति के भीतर चल रही बैठकों पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और किसी भी आंतरिक मतभेद को भुनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.
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