मुंबई के पवई तालाब पर बीएमसी की ओर से एक साइक्लिंग ट्रैक बनाया जा रहा है, जिसमें पवई तालाब के कुछ हिस्से का इस्तेमाल किया जा रहा है. लोग इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं और उनका कहना है कि इसका असर पवई तालाब के बायोडाइवर्सिटी पर पड़ेगा. बड़ी बात यह है कि लोग बीएमसी का विरोध कर रहे हैं, जहां शिवसेना सत्ता में है. शिवसेना ने 2019 में आरे बचाने के लिए प्रदर्शन किया था और अब बीएमसी में बैठी शिवसेना ही पवई तालाब का इस्तेमाल एक साइक्लिंग ट्रैक के लिए कर रही है.
रविवार सुबह मुंबई के पवई इलाके में पर्यावरण प्रेमी पवई लेक को बचाने के लिए प्रदर्शन करते नजर आए. बीएमसी की ओर से साइक्लिंग ट्रैक बनाने की योजना है जिसके लिए पवई लेक के एक हिस्से का इस्तेमाल किया जाएगा. लोगों का कहना है कि इसका असर पवई लेक के बायोडाइवर्सिटी पर पड़ेगा. इस लेक में मछलियों के अलावा मगरमच्छ भी मौजूद हैं और इसलिए लोग चाहते हैं के इस लेक के साथ किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ नहीं किया जाए.
पर्यावरण प्रेमी तबरेज अली सय्यद ने कहा, पवई लेक में मगरमच्छ हैं, हिरण और तेंदुओं का मूवमेंट है, कछुए वहां अंडे देते हैं, मगरमच्छ मैटिंग करने के बाद वहां अंडे देते हैं, मछुआरे इस जगह को मगर अड्डा कहते हैं, वो हमेशा वहां रहते हैं.'
बीएमसी में शिवसेना सत्ता में है, जिसने साइक्लिंग ट्रैक की योजना बनाई है. 2019 चुनाव से पहले शिवसेना ने ही आरे जंगल में पर्यावरण बचाने का मुद्दा उठाया था. ऐसे में अब पार्टी की ओर से उठाए गए इस कदम पर सवाल उठ रहे हैं.
एक और पर्यावरण प्रेमी का कहना है, 'हमें पवई लेक में साइक्लिंग ट्रैक की ज़रूरत नहीं है. आपको ज़रूरत है तो गड्ढे भरिये, सड़क किनारे साइक्लिंग ट्रैक बनाइये.'
पवई आरे जंगल से सटा हुआ इलाका है. साइक्लिंग ट्रैक का असर पर्यावरण के साथ ही कई आदिवासी मछुआरों पर पड़ेगा.
आदिवासी मनोज राहतगले का कहना है, 'गांव के करीबन 100 से 150 लोग इस तालाब पर निर्भर हैं. वो लोग पढ़े हुए भी नहीं हैं. इसी से घर चलता है. ट्रैक बनने से सरकार का फायदा है लेकिन हमारा नहीं. हमें यहां आने भी नहीं दिया जाएगा.'