- पुणे के पॉश इलाके में 1800 करोड़ की जमीन 300 करोड़ रुपये में खरीदने का आरोप पार्थ पवार पर लगा है.
- कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने पार्थ पवार से जमीन खरीदने के पैसे के स्रोत को लेकर सवाल उठाए हैं.
- पार्थ पवार का नाम FIR में शामिल न होना और जांच समिति को केवल दिखावा बताया गया है.
Parth Pawar Land Scam Case Pune: पुणे के पॉश इलाके में 1800 करोड़ की जमीन 300 करोड़ में खरीदने के आरोप में घिरे महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है. विवाद बढ़ने के बाद अजित पवार ने डील रद्द करने की बात जरूर की है. लेकिन विपक्षी दल के नेता लगातार सवाल उठा रहे हैं. अब महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने जमीन खरीद केस में पार्थ पवार पर कई सवाल उठाए हैं. कांग्रेस नेता ने पूछा कि पार्थ पवार को जमीन खरीदने के लिए पैसा कहाँ से आया? उनका नाम FIR में क्यों नहीं है? जाँच समिति सिर्फ़ दिखावा है.
सत्ताधारी दल के लोग उनके रिश्तेदार राज्य को लूट रहेः कांग्रेस नेता
कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा की महागठबंधन सरकार गेंडे जैसी है. इस सरकार के प्रशासन को देखकर लगता है कि वे बेशर्मी की पराकाष्ठा पर पहुंच गए हैं. हर दिन कोई बड़ा मामला सामने आ रहा है, लेकिन कार्रवाई शून्य है. सत्ताधारी दल के लोग और उनके रिश्तेदारों ने राज्य को लूटने का अभियान शुरू कर दिया है.
'करोड़ों की जमीन औने-पौने दामों पर बेचे जा रहे'
कांग्रेस नेता ने कहा कि मुंबई और पुणे समेत राज्य भर में करोड़ों रुपए के प्लॉट औने-पौने दामों पर बेचे जा रहे हैं. महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने मांग की है कि इन सभी ज़मीन लेन-देन पर एक श्वेत पत्र तैयार किया जाए और आगामी शीतकालीन सत्र में इस पर पूरे दिन की चर्चा हो.
पुणे में 1800 करोड़ की 40 एकड़ जमीन 300 करोड़ में खरीदी
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने भाजपा की महागठबंधन सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने आगे कहा कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार ने पुणे में महार वतन की 40 एकड़ ज़मीन 300 करोड़ रुपये में खरीदी, सिर्फ़ 500 रुपये स्टांप शुल्क चुकाया, उस ज़मीन पर आईटी पार्क बनाने का प्रस्ताव भी तुरंत स्वीकार कर लिया गया और दस्तावेज़ों में बड़े पैमाने पर फेरबदल किया गया.
इस भ्रष्ट आचरण के उजागर होने के बाद कहा जा रहा है कि ज़मीन खरीद का लेन-देन रद्द कर दिया गया है, यानी वे चोरी करना स्वीकार कर रहे हैं, तो फिर वे कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? पार्थ पवार का नाम एफ़आईआर में क्यों नहीं है?
बोपोडी में कृषि डेयरी की जमीन में भी गड़बड़ी
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि पार्थ पवार की अमीडिया कंपनी ने पहले पुणे के बोपोडी में कृषि डेयरी की सरकारी ज़मीन फ़र्ज़ी दस्तावेज़ तैयार करके हड़प ली थी. अगर इन सब लेन-देन का पैसा कहाँ से आया, तो वह एक चीनी मिल से आया. यह पैसा किसने दिया? कैसे दिया गया? जनता को इन सवालों के जवाब मिलने चाहिए. सरकार जाँच समिति बनाकर सिर्फ़ समय बर्बाद कर रही है.
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