नाशिक में प्याज किसानों का 'तालाबंदी' आंदोलन! NCCF दफ्तर पर जड़ा ताला, 3 करोड़ के बकाया पर भड़के किसान

जिले के करीब 100 से 130 किसानों का साल 2023-24 में बेचे गए प्याज का करीब 3 करोड़ रुपये NCCF के पास बकाया है. एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जब किसानों को उनका पैसा नहीं मिला, तो जुड़ना संगठन “रयत क्रांती शेतकरी संगठन” ने NCCF कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया और ताला लगा दिया.

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  • नाशिक के करीब सौ तीस प्याज किसानों का NCCF के पास तीन करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है, जिससे वे नाराज हैं
  • रयत क्रांती शेतकरी संगठन ने बकाया भुगतान न मिलने पर NCCF कार्यालय में ताला लगा कर जोरदार प्रदर्शन किया
  • किसानों ने कहा कि भुगतान में देरी से उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है और वे आंदोलन तेज करेंगे
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नाशिक:

महाराष्ट्र के नाशिक में प्याज किसानों का गुस्सा एक बार फिर फूट पड़ा है. बकाया भुगतान न होने से नाराज रयत क्रांती शेतकरी संगठन ने गुरुवार को नाशिक स्थित NCCF (नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) कार्यालय में ताला जड़ दिया.

जिले के करीब 100 से 130 किसानों का साल 2023-24 में बेचे गए प्याज का करीब 3 करोड़ रुपये NCCF के पास बकाया है. एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जब किसानों को उनका पैसा नहीं मिला, तो जुड़ना संगठन “रयत क्रांती शेतकरी संगठन” ने NCCF कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया और ताला लगा दिया.

किसानों का कहना है कि इतने लंबे समय से पैसे अटके होने के कारण उन्हें भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. आंदोलन की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और किसानों के साथ NCCF अधिकारियों की बातचीत शुरू कराई.

पुलिस के हस्तक्षेप के बाद, NCCF अधिकारियों ने किसानों को अगले सप्ताह तक बकाया भुगतान करने का आश्वासन दिया है. हालांकि, किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि दिवाली के त्योहार से पहले उनका बकाया नहीं मिलता है, तो वे एक बार फिर तीव्र और बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे.

NCCF और NAFED जैसी सरकारी सहकारी संस्थाएं अक्सर सरकार के बफर स्टॉक के लिए सीधे किसानों से कृषि उत्पाद, जैसे कि प्याज, खरीदती हैं. वे यह खरीद बाजार की कीमतों को स्थिर रखने और किसानों को अच्छा दाम दिलवाने के लिए करती हैं.

इस मामले में किसानों ने 2023-24 में NCCF को प्याज बेचा

NCCF ने वह प्याज खरीद लिया, लेकिन उसका भुगतान (3 करोड़ रुपये) एक साल से अधिक समय से किसानों को नहीं किया है. यही कारण है कि किसान आक्रामक हैं और आंदोलन कर रहे हैं.

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