Mumbai: कोविड महामारी का बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर विपरीत असर पड़ा है. कोरोना के दौरान ऑनलाइन क्लासेज़ ने स्कूली बच्चों की समझ और पढ़ाई को दो साल पीछे धकेल दिया है. 10वीं के बच्चों को गुणा-भाग-जोड़-घटाने का फिर से 'रिवीजन' करवाना पड़ रहा है. बोर्ड परीक्षा नज़दीक है, ऐसे में 100% ऑफलाइन क्लास ज़रूरी करने पर ज़ोर दिया जा रहा है. स्कूलों में क़रीब 75-80% अटेंडेंस है लिहाज़ा शिक्षकों को ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों मोड संभालने में मुश्किल हो रही है. कोरोना के मामले कम होने के बाद अब, जब बच्चे अपने अपने स्कूल लौटे हैं तो पता चल रहा है कि बीते दो साल की ऑनलाइन पढ़ाई ने इनका कितना नुक़सान किया. मुंबई में 9वीं कक्षा की छात्राएं बताती हैं कि ये गुणा-भाग भी भूल गई हैं नौवीं कक्षा की एक छात्रा ने कहा, 'मैं डिवाइड और मल्टिप्लाई करना भूल गयी थी, टीचर ने फिर समझाया तो अब समझ में आया है.' एक स्कूली छात्र ने कहा, 'घर में ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान हम ढंग से कुछ समझ नहीं पाते थे. दो साल पहले का पढ़ाया सब भूल गए थे. टीचर की आवाज़ भी कई बार सुनाई नहीं देती थी…नेटवर्क भी गड़बड़ रहता था.''
टीचर-प्रिन्सिपल बताते हैं कि दो साल की ऑनलाइन पढ़ाई ने कई बच्चों में दिमाग़ी विकास को दो साल पीछे धकेल दिया हैं. सातवीं के बच्चे अब पांचवीं के स्तर तक पहुंच गए हैं. छत्रपति शिवाजी विद्यालय मुंबई की प्रिंसिपल वीणा डोनवलकर ने कहा, ' नंबर्स, ,लैंग्वेज, राइटिंग स्किल सब ख़त्म हो गया है. 7वीं के बच्चे 5वीं लेवल के हो गए हैं. ऑनलाइन में कॉपी करते होंगे जैसे भी अब जब ऑफलाइन आ रहे हैं तो इनका वास्तविक स्तर पता चल रहा है. 95% लाने वाले बच्चों का राइटिंग स्किल भी गड़बड़ हो गया है.' मैथ्स-साइंस टीचर लक्षण यादव बताते हैं, 'कई बच्चे तो ऑनलाइन क्लास से भी नहीं जुड़ते थे. ऐसे बच्चे तो एकदम ज़ीरो हो गए हैं. हमें फिर से हमें पढ़ाना पड़ रहा है. आप सोचिए कि हमने 10वीं के बच्चों का फिर से पहाड़ा लिया. पूरा भाग, जोड़, घटाना लिया. तब जाकर गाड़ी पटरी पर आयी. अब हमने अपना सिलबस पूरा किया है और रिवीजन चल रहा है.' कई कक्षाओं में क़रीब 70%-80% अटेंडेंस है, ऐसे में शिक्षकों को ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों संभालने में मुश्किल हो रही है. अब ऑफलाइन क्लास 100% करने पर ज़ोर देने की बात हो रही है.
सीईओ एवं कोफाउंडर (LEAD)सुमीत मेहता ने बताया, 'हमारे कई पार्टनर स्कूल में 70-80% अटेंडेंस है. शिक्षकों के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन साथ पढ़ाना मुश्किल है. कई स्कूलों में पर्याप्त साधन नहीं हैं. पेरेंट्स में कॉन्फ़िडेन्स जल्द बनाना ज़रूरी है क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई इतनी सशक्त नहीं जितनी इन-पर्सन.,बच्चों का नुक़सान हो रहा है.' छत्रपति शिवाजी विद्यालय, मुंबई की प्रिंसिपल वीणा डोनवलकर कहती हैं, ' शिक्षक 12-12 घंटे पढ़ा रहे हैं. ऑनलाइन क्लासेज़ की अपनी समस्याएं भी जारी हैं. बोर्ड परीक्षाएं नज़दीक हैं और ऑफलाइन मोड में आयोजित हो रही हैं, ऐसे में बच्चों की घटी क्षमता को देखते हुए स्कूल अटेंडेंस जल्द फ़ुल किए जाने पर ज़ोर देने की बात हो रही है. फ़िलहाल स्कूल की ओर से बच्चों पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला जा रहा है. माता-पिता की इजाज़त पर ही बच्चे स्कूल जा रहे हैं.