- बॉम्बे हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि दादर कबूतरखाने में दाना डालने पर रोक का आदेश जारी रहेगा.
- पक्षियों को दाना डालने के लिए 2 घंटे की छूट के प्रस्ताव पर कोर्ट ने पहले लोगों की राय लेने को कहा.
- सरकार से कहा कि वह कबूतरों को दाना डालने और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव के अध्ययन के लिए समिति बनाए.
मुंबई में कबूतरखानों पर रोक को लेकर गहराए विवाद के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान साफ कर दिया कि दादर कबूतरखाने में दाना डालने पर प्रतिबंध जारी रहेगा. कोर्ट ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के इस इरादे पर सख्त रुख अपनाया कि वह सुबह दो घंटे के लिए कबूतरों को दाना डालने की अनुमति देने पर विचार कर रही है.
2 घंटे की छूट के प्रस्ताव पर कोर्ट का सवाल
बीएमसी के वकील राम आप्टे ने बुधवार को जस्टिस जीएस कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की बेंच को बताया कि नगर निकाय कुछ शर्तों के साथ सुबह छह बजे से आठ बजे तक पक्षियों को नियंत्रित मात्रा में भोजन देने की अनुमति देने का इरादा रखता है. इस पर पीठ ने सवाल किया कि क्या नगर निकाय ने निर्णय लेने से पहले आवेदन पर आपत्तियां आमंत्रित की थीं.
फैसले की पवित्रता बनाए रखें: हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने बीएमसी से कहा कि आप जन स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कबूतरखानों को बंद करने का फैसला लेने के बाद अब यूं ही भोजन की अनुमति नहीं दे सकते. आपको सोच-समझकर फैसला लेना होगा. अदालत ने कहा कि एक बार आवेदन प्राप्त होने पर बीएमसी को नोटिस जारी करना होगा और लोगों से आपत्तियां आमंत्रित करनी होंगी. उसके बाद निर्णय लेना होगा. एक बार जब आपने लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले लिया है, तो आपको उसकी पवित्रता को बनाए रखना होगा.
दाना डालने के मुद्दे पर विचार के लिए कमिटी
महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट के सामने एक समिति के लिए 11 नामों की सूची भी पेश की, जो सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों को दाना डालने के मुद्दे और मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव का वैज्ञानिक अध्ययन करेगी. कोर्ट ने उसमें कुछ और नाम जोड़ने का सुझाव देते हुए कहा कि सरकार 20 अगस्त तक समिति को नोटिफाई करे.
राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने बताया कि समिति में राज्य के लोक स्वास्थ्य एवं नगर नियोजन विभागों के अधिकारी और मेडिकल एक्सपर्ट शामिल होंगे. कमिटी का पहला काम सार्वजनिक स्थलों पर कबूतरों के फीडिंग पॉइंट का अध्ययन करना होगा. कोर्ट ने इस पर सहमति जताई. महाधिवक्ता ने कहा कि ये कमिटी पब्लिक हेल्थ को बिना नुकसान पहुंचाए फीडिंग पॉइंट बनाने पर भी अपनी रिपोर्ट देगी.
'जनता की राय लें, फिर फैसला करें कमिश्नर'
बीएमसी के वकील रामचंद्र आप्टे ने बताया कि हाई कोर्ट ने कबूतरों को दाना डालने के मामले में फिलहाल कोई राहत नहीं दी है. ऐसे में प्रतिबंध का पुराना ऑर्डर ही कायम रहेगा. कंट्रोल्ड फीडिंग को लेकर बीएमसी के विचार पर पहले पब्लिक से ओपिनियन ली जाएंगी, उसके बीएमसी कमिश्नर फैसला लेंगे. वहीं राज्य सरकार ने कबूतरों को दाना डालने को लेकर एक कमेटी बनाई है, जिसे अपनी पहली मीटिंग से 30 दिनों के अंदर रिपोर्ट देनी होगी. उसके बाद अदालत में इस पर एक महीने बाद सुनवाई होगी.
कबूतरों को दाना डालना की इजाजत नहीं
कबूतरखाना मामले में याचिकाकर्ता के वकील हरीश पंड्या ने कहा कि पिछली बार हमने कोर्ट से कहा था कि दादर का यह कबूतरखाना 100 साल पुराना है, इसे न तोड़ा जाए. तब कोर्ट ने इसे तोड़ने की अनुमति नहीं दी. हमने यह भी मांग की थी कि हमें सुबह-शाम कुछ समय कबूतरों को दाना खिलाने के लिए दिया जाए, लेकिन वह अनुमति हमें नहीं मिली है.
याचिकाकर्ता बोले, समिति के सामने रखेंगे सबूत
उन्होंने कहा कि बुधवार को कोर्ट की ओर से कुछ नाम सामने आए हैं, जिनमें से कुछ को कोर्ट मंजूरी देगा. उस समिति की जो भी रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर कोर्ट तय करेगा कि कबूतरखाने पर प्रतिबंध लगाए रखना है या नहीं. उन्होंने कहा कि हमारे पास जो भी सबूत हैं, हम उन्हें समिति के सामने पेश करेंगे. उन्होंने कहा कि प्रतिबंध में राहत न मिलना हमारे लिए झटका है कि अब हम कबूतरों को दाना नहीं खिला पाएंगे. जो कबूतर मर जाएंगे, उनके शव का क्या होगा, इस बारे में उन्होंने कोई विचार नहीं किया है.
जैन मुनि ने दी है अनशन की धमकी
पिछले हफ्ते दादर कबूतरखाना पर बीएमसी ने तिरपाल बिछा दिया था ताकि लोग पक्षियों को दाना न डाल सकें. इसका काफी विरोध हुआ. प्रदर्शन भी किए गए. प्रदर्शनकारियों ने जबरन कवर हटा दिए थे. जैन मुनि नीलेशचंद्र विजय ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर अदालत का फैसला जैन समुदाय की धार्मिक आस्थाओं के खिलाफ होगा तो उसका पालन नहीं किया जाएगा। उनका कहना था कि जैन समुदाय शांतिप्रिय है, लेकिन जरूरत पड़ने पर धर्म के लिए हथियार भी उठा सकता है.