महानगर मुंबई खसरे का प्रकोप झेल रहा है. शहर में अब तक 15 मासूमों की जान इस बीमारी के कारण जा चुकी है, इनमें से 86% दो साल से छोटे बच्चे थे. बच्चों को होने वाली इस संक्रामक बीमारी की चपेट में बड़े भीआ रहे हैं. 19 साल के प्रवेश कुमार मैकेनिक का काम करने के साथ-साथ पढ़ाई भी करते हैं. करीब दो सप्ताह पहले वे खसरे (Measles)की चपेट में आ गए थे. अब जाकर वे ठीक हो पाए हैं. प्रवेश बताते हैं, "दो हफ़्ते पहले बुख़ार आया और फिर बदन पर दाने आ गए. बच्चे ही नहीं, बड़े लोगों पर भी खसरा असर दिखा रहा है. बीएमसी के डॉ प्रज्वल शेट्टी ने बड़े लोगों को खसरा होने का कारण बताते हुए कहा, "जिन जिनका बचपन में खसरा का टीका मिस हुआ है, अब फैलाव में ये बीमारी उन्हें भी घेर रही है. लेकिन हमारा ज्यादा ध्यान 0-5 साल के बच्चों पर है क्योंकि वे ज़्यादा रिस्क पर हैं. बड़े तो खसरा होने के बाद जल्द ठीक हो रहे हैं, बच्चों में समस्या ज़्यादा है''
बच्चों पर खसरे का कहर : मुंबई में खसरे से अब तक 15 बच्चों की मौत हो गई है, इनमें से 5 बच्चे एक साल से छोटे थे जबकि 8 बच्चों की उम्र 1 से 2 साल के बीच और 2 बच्चों की उम्र दो से पांच साल के बीच थी यानी सबसे ज़्यादा 86% मौतें दो साल से कम उम्र के बच्चों की हुई. खसरे से जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें 9 लड़के और 6 लड़कियां थी.
वैसे महानगर मुंबई ही नहीं, महाराष्ट्र में भी खसरा मुसीबत बनकर आया है. महाराष्ट्र में खसरे के 717 मामले आ चुके हैं, इनमें सबसे ज़्यादा 43% मामले मुंबई से हैं. इस साल राज्य में खसरे के 11,390 संदिग्ध मामले मिले हैं जबकि 2019 में यह संख्या महज 1337 थी यानी इस साल संदिग्ध मामलों में क़रीब 700% की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. खसरा राज्य के क़रीब 12 ज़िलों में फैल चुका है. महाराष्ट्र के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने मंगलवार को आरोप लगाया कि एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार खसरे के प्रकोप से निपटने के लिए गंभीर नहीं दिख रही.
पूर्व मंत्री टोपे ने कहा, "सरकार पर्याप्त नहीं कर रही है. स्वास्थ्य सेवा सरकार की प्रमुख जिम्मेदारी है, उसेअपनी नींद से जागना चाहिए. सरकार कार्यबल गठित करे, टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लाए और खसरे के बारे में जागरूकता फैलाए. सरकार को स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर काम करने के लिए शिक्षा विभाग को शामिल करना चाहिए. खसरा एक संक्रामक रोग है जो आसानी से फैलता है."टीकाकरण कैंपों पर बच्चों को लिए वो तमाम परिजन पहुंच रहे हैं जिन्हें खसरा का टीका लगना बाक़ी है. किसी भी बीमारी के ख़िलाफ़ हर्ड इम्युनिटी के लिए 95% वैक्सीनेशन ज़रूरी है. सरकार-प्रशासन के सामने इस लक्ष्य तक रफ़्तार से पहुंचना अहम चुनौती है क्योंकि मासूमों की जान ख़तरे में है.
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