विकास का सच: अस्पताल पहुंचाने के लिए बीमार महिला को कंधे पर लाद पार की नदी, फिर पहाड़ों पर पैदल चले 3 KM

नदी पार करने के बाद भी ग्रामीणों को महिला को कंधे पर लेकर मुख्य सड़क तक 3 किमी पैदल ही पहाड़ियों पर चढ़कर जाना पड़ा. उसके बाद घायल महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया.

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बारिश के मौसम में मानसूनी नदी का तल उफान पर है.

पालघर:

ऊपर दिख रही तस्वीर महाराष्ट्र के पालघर जिले की है. देश के सबसे विकसित राज्यों में से एक महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में आज भी आदिवासी और ग्रामीण किस तरह से मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, ये तस्वीर उसका जीता जागता उदाहरण है. बता दें कि पालघर जिला आदिवासी बहुल जिला है. बीते दिनों जिले के जवाहर तहसील के ग्राम पंचायत पाथरडी में भाटीपाड़ा निवासी 40 वर्षीय लक्ष्मी लक्ष्मण घाटल को किसी कारण गंभीर चोट आई थी. उचित उपचार नहीं मिलने के कारण चोट और गंभीर होती गई और महिला का चलना फिरना मुश्किल हो गया.

गांव तक ना तो कोई सड़क, ना पुल

स्थिति ऐसी हो गई कि महिला को अगर अस्पताल में भर्ती नहीं कराया जाता, तो उसकी जान को खतरा था. लेकिन सवाल था उसे ले कैसे जाया जाए? ऐसा इसलिए क्योंकि गांव तक ना तो कोई सड़क थी और ना ही नदी पर पुल. लेकिन उसकी जान बचानी जरूरी थी, इसलिए गांव वाल उसे कपड़े की झोली में कंधे पर उठाकर अस्पताल ले गए. इसके लिए उन्हें पहाड़ के फिसलन भरे रास्तों के साथ ही बहती नदी भी पैदल ही पार करनी पड़ी. 

तकरीबन 100 मीटर का है नदी का पाट

बता दें कि कालशेती नदी का पाट तकरीबन 100 मीटर का है. बारिश के मौसम में मानसूनी नदी का तल उफान पर है. नदी पार करने के बाद भी ग्रामीणों को महिला को कंधे पर लेकर मुख्य सड़क तक 3 किमी पैदल ही पहाड़ियों पर चढ़कर जाना पड़ा. उसके बाद घायल महिला का जवार के कुटीर अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसका  इलाज चल रहा है. 

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