वो सपनों के पंख लेकर उड़ी थी, ताबूत में घर लौटी... मैथली के शव से लिपटकर बेसुध हो गईं मां और बहन

जिस बेटी को माता-पिता ने बहुत ही उम्मीदों से पढ़ाया-लिखाया और उसके सपनों को उड़ान दी, उनको कहां पता था कि एक दिन वह बेटी ताबूत में बंद होकर गांव वापस लौटेगी. इस हादसे से मैथली का परिवार पूरी तरह से टूट चुका है.

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गांव लौटा अहमदाबाद प्लेन क्रैश में मारी गई मैथिली पाटिल का शव.
रायगढ़:

महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले के न्हावा गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. दरअसल इस गांव की सबसे बड़ी बेटी 24 साल की मैथिली पाटिल की अहमदाबाद प्लेन क्रैश में मौत हो गई है. मैथली अब कभी लौटकर नहीं आएगी. दरअसल मैथिली पाटिल अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान की क्रू मेंबर थीं. मैथिली का पार्थिव शरीर मंगलवार को महाराष्ट्र में उनके गांव लाया गया. इसके बाद  जो तस्वीर सामने आई वो रुला देने वाली थी. मैथली की मां और बहनें उसके ताबूत से लिपटकर बुरी तरह रो रही थीं. दोनों की दुनिया उसी लकड़ी के बक्से में बंद हो चुकी थी. मां का कलेजा फट रहा था.आंखों से आंसू नहीं मानो चीखें गिर रही थीं.

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मैथली की मां का रो-रोकर बुरा हाल

 मैथिली की मां बार-बार एक ही बात कह रही थीं कि मेरी बिटिया उठ जा. दूसरी ओर उसकी छोटी बहन थी, जिसको शायद भरोसा ही नहीं हो रहा था कि उसकी दीदी अब इस दुनिया से हमेशा के लिए जा चुकी है. मैथिली की राह कभी आसान नहीं थी. वह घर की बड़ी बेटी थी. मुश्किल हालात में उसने पढ़ाई की. रहमान स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई करने वाली मैथिली का बचपन से ही एअर होस्टेस बनने का सपना था.

परेशानियों से बेटी को पढ़ाया, शव देखकर फटा कलेजा

मां ने सोने की चूड़ियां गिरवी रखीं, पिता ने ओवरटाइम किया ताकि बेटी आसमान छू सके और बेटी ने भी उन्हें कभी निराश नहीं किया. एअर इंडिया में नौकरी पाकर मैथली ने परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. वह अपने गांव के बच्चों को एयरपोर्ट की कहानियां सुनाती थीं लेकिन किसे पता था कि मैथिली दीदी उन्हीं बच्चों की आंखों के सामने ताबूत में लिपटी लौटेंगी.

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उसने कॉल करने का वादा किया था

मैथली के पिता पनवेल के पास ओएनजीसी में एक कर्मचारी हैं. वह इस बात को समझ ही नहीं पा रहे हैं कि नौकरी पर भेजी गई बेटी अचानक कैसे चुप हो गई.हादसे से कुछ घंटे पहले ही पिता की सुबह 11:30 बजे मैथली से बात हुई थी. उसने वादा किया था कि लंदन पहुंचकर वह उनको दोबारा कॉल करेंगी, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था.

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प्लेन क्रैश में मैथली की मौत से टूटा परिवार

दोपहर को जैसे ही विमान हादसे की खबर आई मैथिली के परिवार वाले परेशान हो गए. जब मैथिली की कोई खबर नहीं मिली तो वे अहमदाबाद के लिए निकल गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. मैथिली पाटिल अब नहीं रहीं लेकिन एक गांव, एक परिवार और एक आसमान हमेशा उनका इंतजार करता रहेगा. उनकी उड़ान अधूरी रही लेकिन उनका सपना अब इस गांव की हर बेटी के लिए पंख बन चुका है.

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प्लेन हादसे में जले शवों को पहचानना हुआ मुश्किल

बता दें कि 12 जून को अहमदाबाद में बड़ा हादसा हुआ था. एअर इंडिया का एक विमान AI-171 क्रैश हो गया था. विमान ने अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन टेकऑफ के कुछ ही देर बाद विमान क्रैश हो गया. इस हादसे में 241 लोगों की जान चली गई, जिसमें मैथिली भी शामिल थीं. ये वो दिन था जब एयर इंडिया की फ्लाइट ने उड़ान तो भरी लेकिन कभी मंजिल तक पहुंच न सकी. ये वही दिन था जब आसमान से उम्मीदें नहीं लाशें बरसीं. इस हादसे ने ना जाने कितनी जिंदगियां उजाड़ दीं. ना जाने कितने बच्चे अब बिना मां के उठ रहे होंगे. हादसे में आग लगने से बॉडी जल चुकीं थीं. शवों की हालत ऐसी थी कि पहचान करना तकरीबन नामुमकिन हो गया था.हादसे के बाद शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट करवाया गया था.


 

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