महाराष्‍ट्र: MSRTC कर्मचारियों की हड़ताल जारी, कई सालों की नौकरी के बावजूद ₹12 हजार के वेतन में गुजारे को विवश

आंदोलनरत कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मांगें जायज़ हैं और इन्‍हीं मांगों को लेकर वे राज्य के अलग अलग जगहों के साथ ही मुम्बई के आज़ाद मैदान में भी प्रदर्शन कर रहे हैं.

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MSRTC कर्मचारी पिछले 19 दिनों से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)
मुंबई:

Maharashtra: महाराष्ट्र में एसटी (Maharashtra State Road Transport Corporation या  MSRTC) कर्मचारी पिछले 19 दिनों से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. कई कर्मचारियों को सरकार ने निलंबित किया है, लेकिन आंदोलन जारी है. आंदोलनरत कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मांगें जायज़ हैं और इन्‍हीं मांगों को लेकर वे राज्य के अलग अलग जगहों के साथ ही मुम्बई के आज़ाद मैदान में भी प्रदर्शन कर रहे हैं. संजय गुंजाल करीब 10 सालों से अहमदनगर में एसटी महामंडल में ड्राइवर की नौकरी कर रहे हैं. 10 सालों से काम करने के बाद भी सरकार इन्हें 12 हज़ार रुपये वेतन देती है. बच्चों की पढ़ाई और अस्पताल के लिए इन्होंने एसटी से ही साढ़े चार लाख रुपये का कर्ज लिया है, जिसके  लिए सरकारी बैंक से ज़्यादा ब्याज इन्हें भरना पड़ता है. कर्ज़ में लिए जो पैसे लिए थे, उसके पैसे वेतन में कटने के बाद इनके पास साढ़े चार हज़ार रुपये रह जाते हैं, ऐसे में महीने का खर्च बमुश्किल चल पा रहा है.

संजय किराए के मकान में रहते हैं जिसका किराया चार हज़ार रुपये है यानी इनके पास 500 रुपये बचते हैं. अब उन्हें यही समझ नहीं आ रहा कि अपना घर कैसे चलाएं. मजबूरी में बच्चों की पढ़ाई इन्होंने छुड़ा दी, इनकी पत्‍नी लोगों के घरो में सफाई का काम करती हैंसंजय कहते हैं, 'बड़े बेटे ने 2020 में कोविड के समय दसवीं कक्षा पास की, लेकिन मैं आगे उसका एडमिशन नहीं करवा पाया. छोटा बेटा कक्षा 9 में है, उसके लिए भी कोई किताब नहीं खरीद पाया हूं. मजबूरी में पत्नी को भी घरों में जाकर काम करना पड़ रहा है.' कुछ ऐसी ही  स्थिति एसटी महामंडल के कई कर्मचारियों को है, इसलिए पिछले 19 दिनों से ये राज्य के अलग अलग जगहों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.. राज्य सरकार की ओर से संचालित किए जाने के बाद भी एसटी महामंडल एक अलग कंपनी है जो सालों से घाटे में है. इसलिए यह लोग मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार इसका विलीनीकरण करे ताकि इनकी परेशानी कम हो सके..

एसटी बस कंडेक्टर दत्तू येणारे कहते हैं, 'जब हम काम एक तरह का कर रहे हैं तो वेतन एक जैसा क्यों नहीं है. महंगाई सबके लिए एक तरह है, बच्चों की पढाई और बाकी चीजों के लिए पैसे लगते हैं जो इतने वेतन में संभव नही है.' राज्य के अलग-अलग जगहों के साथ ही राजधानी मुम्बई में भी प्रदर्शन चल रहा है.कम वेतन के साथ ही कभी-कभी अपने वेतन के लिए इन लोगों को तीन महीने इंतज़ार करना पड़ता है जिससे भी यह लोग नाराज़ हैं. बीजेपी ने इस आंदोलन का समर्थन किया है

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एसटी बस कंडक्टर अभिजीत लोहार ने बताया कि इस बार सैलरी पेमेंट लेट हुआ है, पौने तीन महीने का पेमेंट साथ में मिला है.सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मिनिमम वेज 18 हज़ार होना है, लेकिन अभी जो लोग लग रहे हैं, उन्हें 12 हज़ार रुपये मिल रहे हैं. कर्मचारी नेता सदाभाऊ खोत ने कहा, 'सरकार के साथ दो बार बातचीत हुई, लेकिन कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला. यह लोग 'विलय' की मांग कर रहे हैं तो सरकार की ओर से कमेटी बनाने की बात की जा रही है. महाराष्‍ट्र कीउद्धव ठाकरे सरकार के साथ अब  तक दो बार बैठक होने के बावजूद इस मामले में कोई हल नहीं निकल पाया है. इससे पहले 2017 में भी इन कर्मचारियों ने आंदोलन किया जब इनसे कई वादे किये गए थे लेकिन हुआ कुछ नहीं. इसलिए यह सब अपनी मांगों को लेकर फिर सड़कों पर  हैं.

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