विदर्भ से कोंकण तक महायुति की सुनामी, विपक्ष के किलों में सेंध! चुनावी नतीजों के आंकड़ों के क्या हैं मायने? 

पश्चिमी महाराष्ट्र, जिसे शरद पवार और एनसीपी का गढ़ माना जाता है, वहां समीकरण बदल चुके हैं. अजित पवार की एनसीपी ने 14 सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखाई है, जबकि शरद पवार गुट केवल 3 सीटों पर सिमट गया है. यहां भाजपा (19) और शिंदे सेना (14) ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है.

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  • महाराष्ट्र नगर परिषद और स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति ने प्रदेश भर में विपक्ष को लगभग समाप्त कर दिया है
  • भाजपा ने 129 नगराध्यक्ष सीटें और 3325 पार्षदों के साथ सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत साबित की है
  • विदर्भ में भाजपा ने 58 सीटें जीतकर अपना मजबूत गढ़ बनाए रखा जबकि शिवसेना और शरद पवार गुट नाकाम रहे
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मुंबई:

महाराष्ट्र नगर परिषद और स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों ने राज्य की भावी राजनीति की दिशा स्पष्ट कर दी है. इन आंकड़ों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि महायुति (भाजपा-शिंदे-अजित पवार) ने पूरे प्रदेश में विपक्ष का लगभग सफाया कर दिया है.जहां भाजपा 129 सीटों के साथ निर्विवाद रूप से सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरी है, वहीं इंडिया गठबंधन के साथी शिवसेना (UBT) और शरद पवार गुट के नतीजे दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाए हैं.

कहां किसकी चली?

विदर्भ (100 सीटें): भाजपा का एकतरफा राज

विदर्भ भाजपा का मजबूत गढ़ है, 100 में से 58 सीटों पर भाजपा ने परचम लहराया है. BJP से पहले विदर्भ पर राज करने वाली कांग्रेस यहां 23 सीटों के साथ मुख्य विपक्षी दल तो रही, लेकिन शिवसेना (UBT) और शरद पवार गुट का खाता भी नहीं खुल सका (00), जो उनके लिए सबसे बड़ा चिंता का विषय है! 

मराठवाड़ा (52 सीटें): विपक्ष की पकड़ ढीली

मराठवाड़ा में भाजपा ने 25 सीटों के साथ अपनी बढ़त कायम रखी है. यहाँ शिंदे सेना और अजित पवार की एनसीपी ने भी सम्मानजनक प्रदर्शन किया है. शिवसेना (UBT) को यहां केवल 4 सीटें मिली हैं, जो इस क्षेत्र में उनकी घटती पकड़ को दर्शाता है.

पश्चिम महाराष्ट्र (60 सीटें): पवार के घर में सेंध

पश्चिमी महाराष्ट्र, जिसे शरद पवार और एनसीपी का गढ़ माना जाता है, वहां समीकरण बदल चुके हैं. अजित पवार की एनसीपी ने 14 सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखाई है, जबकि शरद पवार गुट केवल 3 सीटों पर सिमट गया है. यहां भाजपा (19) और शिंदे सेना (14) ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है.

कोंकण (27 सीटें): शिंदे का करिश्मा दिखा!

कोंकण में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना (10 सीटें) ने भाजपा (9) को भी पीछे छोड़ दिया है. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) यहाँ केवल 2 सीटों पर सिमट गई है, जो उनके पारंपरिक आधार के खिसकने का संकेत है.

भाजपा का स्ट्राइक रेट: 129 नगराध्यक्ष और 3325 पार्षद ये बताते हैं कि भाजपा का संगठन गांव-गांव तक कितना मजबूत हो चुका है.

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उद्धव और शरद पवार को झटका: दोनों ही दिग्गजों की पार्टियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। खासकर विदर्भ और उत्तर महाराष्ट्र में उनका शून्य पर सिमटना पार्टी के अस्तित्व पर सवाल उठा रहा है! 

विकास का एजेंडा: महायुति सरकार की “लाडली बहन” और अन्य विकास योजनाओं का असर जमीनी स्तर पर मतदाताओं के बीच साफ दिखाई दे रहा है

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आने वाले महानगरपालिका चुनावों के लिए महायुति ने एक मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर ली है, जबकि महाविकास अघाड़ी अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने की सख्त जरूरत की दिशा में बढ़ती दिख सकती है.

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