महाराष्ट्र में बीजेपी नीत महायुति की महा'जीत' के पांच कारण

बीजेपी ने इस बार राज्य में काफी प्रयोग किया और सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचा भी है. इस जीत के पांच कौन-कौन से कारण है.

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एकनाथ शिंदे और पीएम नरेंद्र मोदी.
नई दिल्ली:

Maharashtra election results: महाराष्ट्र में बीजेपी के गठबंधन महायुति को बहुत बड़ी जीत मिलने के आसार दिखने लगे हैं. वोटों की गिनती जारी है इससे जो रुझान आ रहे हैं उससे साफ है कि राज्य में बीजेपी और उनके सहयोगी की आंधी आ रही है. अभी तक के रुझानों में राज्य की 288 सीटों में से दो तिहाई सीटों पर इस गठबंधन को बढ़त मिल रही है. बीजेपी ने इस बार राज्य में काफी प्रयोग किया और सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचा भी है. महाराष्ट्र में तीन फैक्टर अहम माने जा रहे हैं. इसमें महिला का वोट, मराठा का वोट और योजनाओं का लाभ हैं. रुझान बताते हैं कि राज्य में एंटी इनकंबेंसी फैक्टर बिल्कुल ही काम का नहीं था. वहीं झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की महिलाओं को लेकर स्कीम का पार्टी को ज्यादा फायदा होता नहीं दिख  रहा है. यह एंटी इनकंबेंसी फैक्टर दिखाई दे रहा है.  इस जीत के पांच कौन-कौन से कारण है. आइए जानते हैं. 

पहला कारण
राज्य सरकार की महिलाओं के लिए दी लाडकी बहना योजना. महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार ने महिलाओं के के लिए लाडकी बहना योजना लागू की. इस योजना को चुनाव से ज्यादा पहले लागू नहीं किया गया था. इसलिए यह चुनौती थी कि कैसे इस योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंचाया जाए. सरकार ने इस योजना को महिलाओं तक जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए काफी काम किया और चुनाव से पहले तक हर स्तर पर महिलाओं को इस लाभ पहुंचाया गया जिसकी वजह से राज्य में महिलाओं की वोटिंग में काफी इजाफा हुआ. माना जा रहा है कि राज्य की महिलाओं ने महायुति पर भरोसा जताया है. 

दूसरा कारण
राज्य में ओबीसी वोट पर बीजेपी और उसके गठबंधन ने काफी फोकस किया. पार्टी ने यह प्रयास किया कि ओबीसी वोट छिटकने न पाए. महायुति के पक्ष में ओबीसी ने एकजुटता दिखाई है. कहा जा रहा है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे ‘एक हैं तो सेफ हैं' का असर है. जानकारों का कहना है कि इस नारे के साथ महायुति की लोकप्रिय महिला योजना के साथ मिलकर महायुती को बड़ा फायदा दिलाया है. 

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तीसरा कारण
बीजेपी ने इस बार विदर्भ पर भी खास ध्यान दिया.  विदर्भ में महायुति ने अपनी स्थिति को काफी सुधारा है. इस जीत में यह तीसरा बड़ा कारण साबित हो सकता है. बता दें कि लोकसभा चुनावों में किसानों की नाराजगी और संविधान के मुद्दे पर चले प्रचार अभियान के कारण पार्टी का प्रदर्शन यहां काफी खराब रहा था. लेकिन बीजेपी ने इस बार गलती नहीं की. सरकार ने यहां पर किसानों पर खास फोकस किया. कपास और सोयाबीन किसानों को राहत देने के लिए कदम उठाए. 

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चौथा कारण
महाराष्ट्र में बीजेपी और कुल मिलाकर कहें कि महायुति की जीत में इस बार आरएसएस की भी बड़ी भूमिका रही. राज्य में आरएसएस की जमीनी पकड़ काफी है. नागपुर में आरएसएस का मुख्यालय है. आरएसएस के हजारों स्वयंसेवकों ने गांव-गांव जाकर लोगों के बीच महायुति के मुद्दों को पहुंचाया है. इसका असर इस बार चुनाव में देखने को मिल रहा है. जबकि पिछले चुनाव में बीजेपी को यहां पर आरएसएस तल्खी का खामियाजा भुगतना पड़ा जिसे इस बार पार्टी और संघ के स्तर पर तालमेल कर सुलझा लिया गया. 

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पांचवां कारण
महाराष्ट्र में महायुति ने जिस प्रकार से एंटी इनकंबेंसी की बात को धता बताते हुए शुरुआती रुझानों में सत्ता में वापसी की राह पकड़ी है उसका एक महत्वपूर्ण कारण राज्य में विपक्ष के पास मुद्दों की कमी भी है. इस बार विपक्ष किसी भी अहम मुद्दों को नहीं उठा सका. जनता के बीच विपक्ष की पहुंच कम रही. कांग्रेस पार्टी के भीतर अंदरुनी कलह भी एक कारण बताया जा रहा है. यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी अपने गठबंधन सहयोगियों पर कमजोर कड़ी के तौर पर दिखाई दे रही है.   

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