- शरद पवार की एनसीपी और अजित पवार के बीच सीट बंटवारे और चुनाव चिन्ह को लेकर सहमति नहीं बन पाई
- अजित पवार गुट ने शरद पवार की पार्टी को केवल 35 सीटें और घड़ी चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया
- शरद पवार गुट ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया और महाविकास अघाड़ी के साथ पुनः बातचीत शुरू की है
अजित पवार के साथ हुई बैठक में सहमति न बनने के बाद शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) एक बार फिर महाविकास अघाड़ी (MVA) के पाले में लौटती नजर आ रही है. सीट बंटवारे और चुनाव चिन्ह को लेकर मतभेद गहराने के बाद शरद पवार गुट ने अजित पवार के साथ हुई मीटिंग से वॉकआउट कर लिया. इसके बाद पुणे के शांताई होटल में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी की संयुक्त बैठक शुरू हो गई है. इस अहम बैठक को आगामी चुनावों की रणनीति के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
अहम बैठक, बनेगी सीट बंटवारे पर बात?
बीएमसी चुनाव से पहले हुई अहम बैठक में शरद पवार की एनसीपी की ओर से विशाल तांबे, अंकुश काकड़े, मनाली भिलारे, अश्विनी कदम और विधायक बापूसाहेब पठारे मौजूद हैं. कांग्रेस की ओर से अरविंद शिंदे, अभय छाजेड और रमेश बागवे शामिल हुए हैं, जबकि उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना से वसंत मोरे, गजानन थरकुडे और संजय मोरे बैठक में मौजूद हैं. ऐसा मामला जा रहा है कि इस बैठक में महाविकास अघाड़ी के बीच सीटों का बंटवारा हो जाएगा. इसके बाद ये दल चुनाव प्रचार में जुट जाएंगे.
अजित ने चाचा शरद को ऑफर की सिर्फ 35 सीटें
सूत्रों के मुताबिक, शनिवार दोपहर अजित पवार और शरद पवार की एनसीपी के बीच हुई बैठक में अजित पवार गुट ने शरद पवार की पार्टी को केवल 35 सीटें देने का प्रस्ताव रखा था. इतना ही नहीं, इन सीटों पर भी 'घड़ी' चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लड़ने की शर्त रखी गई थी. इन दोनों शर्तों को शरद पवार की एनसीपी ने सिरे से खारिज कर दिया, जिसके चलते बैठक बेनतीजा रही. इसके बाद शरद पवार गुट ने वहां से तुरंत बाहर निकलने का फैसला किया. इसके बाद आज महाविकास अघाड़ी के साथ दोबारा बातचीत शुरू की गई है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल और तेज़ हो गई है.
महायुति में भी तस्वीर साफ नहीं
महायुति में भी सीट बंटवारे को लेकर अभी तस्वीर पूरी तरह से साफ नहीं हुई है. एकनाथ शिंदे की शिवसेना बीएमसी चुनाव के लिए 125 सीटों की मांग कर रही है. वहीं, बीजेपी राज्य में बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहती है और सिर्फ 90 सीटें एकनाथ शिंदे को देने के लिए तैयार है. हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि दोनों पार्टियों के बीच जल्द ही सीटों के बंटवारे पर सहमति बन जाएगी. एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को इस बात के संकेत दिये, उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन राज्य के विकास और जनता के हित में है, न कि सत्ता के लिए. शिंदे की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब 15 जनवरी को होने वाले निकाय चुनावों से पहले शिवसेना में नए सदस्यों की नियुक्ति और संगठनात्मक पुनर्गठन हो रहा है.













