महाराष्ट्र चुनाव के बीच क्यों आमने-सामने दिख रहे हैं फडणवीस और अजित पवार, क्या है कहानी? 

Maharashtra Elections : महाराष्ट्र में इस बार के चुनाव में सीधा मुकाबला महायुति और महाविकास अघाड़ी गठबंधन के बीच है. महायुति गठबंधन आगामी जीत कर इतिहास रचने का दावा कर रहा है तो महाविकास अघाड़ी गठबंधन को भरोसा है कि जनता उन्हें इस बार मौका देगी.

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महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार आमने -सामने
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल चुनावी अखाड़े में उतर चुके हैं. इस बार का विधानसभा चुनाव पूरी तरह से दो गठबंधन के बीच की 'जंग' में तब्दील हो चुका है. एक तरफ जहां महायुति गठबंधन है तो दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी. चुनाव हैं तो इस दौरान चुनावी प्रचार में तमाम तरीके की बायनबाजी भी हो रही है. बीते दिनों ऐसी ही एक बयानबाजी को लेकर अब महायुति गठबंधन के दो बड़े देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार एक दूसरे के सामने खड़े नजर आ रहे हैं. देवेंद्र फडणवीस ने 'बंटेंगे तो कटेंगे' पर अजति पवार के बयान का जवाब दिया है. देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि दशकों तक अजित पवार ऐसी विचारधाराओं के साथ रहे हैं जो सेक्युलर और हिंदू विरोध हैं. खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वालों में कोई वास्तविक धर्मनिरपेक्षता नहीं है. वे ऐसे लोगों के साथ रहे हैं, जिनके लिए हिंदुत्व का विरोध करना ही धर्मनिरपेक्षता है.

देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा कि अजित पवार को अभी जनता का मूड समझने में थोड़ा समय लगेगा. ये लोग या तो जनता की भावना को नहीं समझ पाए या इस बयान का मतलब नहीं समझ पाए या शायद बोलते समय कुछ और ही कहना चाहते थे. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024

अजित पवार ने आखिर कहा क्या था? 

'बंटोगे तो कटोगे'के नारे को लेकर कुछ दिन पहले अजित पवार ने कुछ दिन पहले कहा था कि हम बंटोगे तो कटोगे का समर्थन नहीं करते हैं. बंटेंगे तो कटेंगे महाराष्ट्र में नहीं चलने वाला.महाराष्ट्र साधु-संतों का है.हम उन्हीं के रास्तों पर जाएंगे. हम सबका साथ सबका विकास पर यकीन करते हैं. अजित पवार ने महाराष्ट्र के बीड में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ये बातें कही थी. 

महाराष्ट्र की तुलना किसी दूसरे राज्य से करना सही नही

अजित पवार ने उस रैली में आगे कहा था कि अगर किसी को लगता है कि महाराष्ट्र भी दूसरे राज्यों की तरह है तो ये गलत है. महाराष्ट्र के लोग इस तरह की टिप्पणियां पसंद नहीं करते हैं. यहां के लोगों ने हमेशा से ही सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने का प्रयास किया है. अगर कोई महाराष्ट्र की तुलना किसी दूसरे राज्य से करता है तो ये किसी को भी पसंद नहीं आएगा.  

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