दिल्ली अपराध शाखा और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अधिकारी होने का दावा करते हुए, धोखेबाजों ने कथित तौर पर एक 65 वर्षीय सेवानिवृत्त व्यवसायी को धमकाया कि वह मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच के दायरे में है, और उनसे दो लोगों के खातों में 1.5 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवाए. तकनीकी विश्लेषण और मानवीय खुफिया जानकारी के आधार पर, केंद्रीय साइबर सेल ने सागर राउत (38) और उसके चचेरे भाई शंकर राउत (30) को गिरफ्तार किया था.
मामले में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की जा रही है और मास्टर माइंड का पता लगाया जा रहा है. आरोपियों ने इसी तरह पूरे भारत में कई वरिष्ठ नागरिकों को ठगा है. मझगांव के बुजुर्ग निवासी ने फरवरी में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी जिसमें कहा गया था कि उन्हें 16 नवंबर से 4 दिसंबर, 2024 के बीच दिल्ली के एक कूरियर के प्रतिनिधि होने का दावा करने वाले एक कॉलर से कॉल आए थे. फोन करने वाले ने उसे बताया कि उसने बैंकॉक जो पार्सल भेजा था, उसे कस्टम अधिकारियों ने जब्त कर लिया है, जिसमें एक लैपटॉप, जाली पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और 150 ग्राम एमडीएमए ड्रग्स है.
इसके तुरंत बाद, पीड़ित से एक व्यक्ति ने संपर्क किया, जिसने खुद को दिल्ली साइबर क्राइम यूनिट से सब-इंस्पेक्टर पीयुष शर्मा बताया. शर्मा ने दावा किया कि जब्त पार्सल ड्रग और मानव तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल था. इसके बाद पीड़ित को दो व्यक्तियों के साथ नियमित वीडियो कॉल में शामिल किया गया, जो खुद को सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी अजय कुमार और समाधान पवार के रूप में पेश कर रहे थे, जिन्होंने उसे धमकी दी कि अगर वह अनुपालन करने में विफल रहा तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी.