कर्नाटक के साथ जारी सीमा विवाद का हल चाहता हूं, मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं: एकनाथ शिंदे

दोनों राज्यों के बीच बेलगावी, खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार (उत्तरी कन्नड़ जिले) की सीमा को लेकर विवाद चल रहा है. 1956 में भाषाई आधार राज्यों के पुनर्गठन के दौरान महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने मराठी भाषी बेलगावी सिटी, खानापुर, निप्पानी, नांदगाड और कारवार को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की मांग की थी.

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एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार कर्नाटक के साथ लंबे समय से जारी सीमा विवाद को हल करने की इच्छुक है.
मुंबई:

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार कर्नाटक के साथ लंबे समय से जारी सीमा विवाद को हल करने की इच्छुक है. सरकार इस संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहती. शिंदे और कर्नाटक के उनके समकक्ष बसवराज बोम्मई ने सीमा विवाद को लेकर दोनों राज्यों के बीच बढ़ते तनाव और वाहनों पर हमलों की पृष्ठभूमि में बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की.

शिंदे ने यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि बोम्मई ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने ऐसा कुछ भी ट्वीट नहीं किया जिससे महाराष्ट्र के लोगों की भावनाएं आहत हुई हों. एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार कर्नाटक के साथ लंबे समय से जारी सीमा विवाद को हल करने की इच्छुक है और इस संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं चाहती.

क्या है कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद?
दोनों राज्यों के बीच बेलगावी, खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार (उत्तरी कन्नड़ जिले) की सीमा को लेकर विवाद चल रहा है. 1956 में भाषाई आधार राज्यों के पुनर्गठन के दौरान महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने मराठी भाषी बेलगावी सिटी, खानापुर, निप्पानी, नांदगाड और कारवार को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की मांग की थी. इसको लेकर कर्नाटक में विवाद शुरू हो गया था. कर्नाटक को तब मैसूर था. मैसूर के तत्कालीन CM एस. निजालिंग्पा, तत्कालीन PM इंदिरा गांदी और महाराष्ट्र के तत्कालीन CM वीपी नाइक इसके लिए तैयार हो गए थे.

महाजन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वह बेलगाम को महाराष्ट्र में मिलाने की की अनुशंसा नहीं कर सकता, लेकिन बेलगावी से पांच किलोमीटर दूर बेलागुंडी गांव को आयोग ने महाराष्ट्र को सौंप दिया था. दस्तावेजों के मुताबिक, इसके लिए कर्नाटक तैयार था क्योंकि उसे 247 गांवों वाला बेलगावी मिल रहा था, लेकिन उसे निप्पानी और खानापुर को खोने के कारण उसमें अंसतोष भी था.

विवाद इतना गहराया कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में भी समस्या हल नहीं हो सकी. दोनों राज्य अपनी जगह ना छोड़ने और ना ही लेने की नीति पर कायम रहे. इसके चलते ही यह मुद्दा बार-बार सिर उठता रहता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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