- कांग्रेस, प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ गठबंधन का ऐलान करेगी
- कांग्रेस का मकसद दलित, अल्पसंख्यक और BJP विरोधी मतों का एकीकरण कर चुनावी ताकत बढ़ाना है
- कांग्रेस और NCP के बीच सीट बंटवारे को लेकर चल रही बातचीत में अब तक कोई ठोस सहमति नहीं बनी है
BMC चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मी अपने चरम पर पहुंच गई है. इसी कड़ी में कांग्रेस आज प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ अपने गठबंधन का औपचारिक ऐलान करने जा रही है, जिससे पिछले कई हफ्तों से चल रही अटकलों पर विराम लगने वाला है. सूत्रों के मुताबिक, इस गठबंधन की घोषणा एक औपचारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की जाएगी. यह कदम उस रणनीतिक बदलाव का संकेत माना जा रहा है, जिसमें कांग्रेस ने पहले BMC चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया था, लेकिन अब बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच उसने गठबंधन का रास्ता चुना है.
ये भी पढ़ें : BMC Election 2026: बीजेपी में डैमेज कंट्रोल का दांव! टिकट कटने वालों का होगा प्रमोशन, मंत्री महाजन का बयान
कांग्रेस की रणनीति और विपक्षी दरारें
पार्टी नेतृत्व का मानना है कि VBA के साथ गठजोड़ कर कांग्रेस मुंबई में दलित, अल्पसंख्यक और भाजपा-विरोधी मतों के एकीकरण की कोशिश कर रही है. हालांकि, यह राजनीतिक चाल विपक्षी एकता को मजबूत करने के बजाय उसके भीतर मौजूद दरारों को और उजागर कर रही है. कांग्रेस और उसके पुराने व पारंपरिक सहयोगी एनसीपी (शरद पवार गुट) के बीच चल रही बातचीत अब तनावपूर्ण और लंबी खींचतान में बदल चुकी है. कई दौर की बैठकों के बावजूद अब तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है.
सीट बंटवारे पर बढ़ता गतिरोध
अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि एनसीपी (एसपी) 50 से 55 सीटों की ज़ोरदार मांग कर रही है, जिसे कांग्रेस स्वीकार करने के मूड में नहीं दिख रही. इसी कारण सीट बंटवारे को लेकर गतिरोध बना हुआ है. इस बीच विपक्षी खेमे में असमंजस और बढ़ गया है क्योंकि एनसीपी (एसपी) समानांतर रूप से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के साथ भी गठबंधन की संभावनाएं टटोल रही है. राजनीतिक गलियारों में इसे दबाव की रणनीति और सौदेबाज़ी की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है. इन बातचीतों में भी टकराव साफ नजर आ रहा है.
ये भी पढ़ें : 207 पर बनी बात, 20 पर खींचतान जारी... BMC चुनाव के लिए महायुति में सीट बंटवारे का ये है फॉर्मूला
मुंबई का सियासी रण और बढ़ती गर्मी
जहां एनसीपी (एसपी) ने 25 सीटों की मांग रखी, वहीं उसे केवल 15 सीटों की पेशकश की गई, जिससे गठबंधन गणित और उलझता जा रहा है. जैसे-जैसे गठबंधन बदल रहे हैं और वार्ताएं टकरावपूर्ण होती जा रही हैं, मुंबई का सियासी रणक्षेत्र और गर्माता जा रहा है. हर दल अपनी पकड़ मजबूत करने और अधिकतम राजनीतिक लाभ निकालने की होड़ में जुटा है. मौजूदा हालात संकेत दे रहे हैं कि BMC चुनाव उच्च-दांव, बहुकोणीय और बेहद कड़े मुकाबले में तब्दील हो सकता है, जहां सत्ता की राजनीति, सीटों की सौदेबाज़ी और गठबंधन की उठा-पटक चुनावी विमर्श पर हावी रहने वाली है.














