मुंबई के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की अपील- इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को प्राथमिकता से लगे कोविड वैक्सीन

आम मरीजों में जहां COVID-19 के कारण मृत्यु दर 2-3 फीसदी ही बताई जाती है, वहीं कैंसर के मरीजों में कोविड के कारण डेथ रेट 26 फीसदी बताया जाता है.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
एक शोध में 94 फीसदी कैंसर मरीजों पर वैक्सीन असरदार दिखी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • कैंसर मरीजों को जल्द लगे वैक्सीन
  • कैंसर रोगियों का इम्यून सिस्टम कमजोर
  • देश में कम हो रहे हैं कोरोना के मामले
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
मुंबई:

आम मरीजों में जहां COVID-19 के कारण मृत्यु दर 2-3 फीसदी ही बताई जाती है, वहीं कैंसर के मरीजों में कोविड के कारण डेथ रेट 26 फीसदी बताया जाता है. इस बीच एक शोध में पता चला है कि 94 प्रतिशत कैंसर मरीजों पर कोविड का टीका असरदार दिखा और कोविड के खिलाफ अच्छी एंटीबॉडी बनी, इसके बाद अब मुंबई के कैंसर विशेषज्ञ कैंसर मरीजों को प्राथमिकता के साथ टीका लगाए जाने का आह्वान कर रहे हैं. कोरोना वैक्सीन कैंसर पीड़ितों के लिए बेहद जरूरी है. मुंबई के ऑन्कोलॉजिस्ट यानी कैंसर विशेषज्ञों ने यह आह्वान किया है.

एशियन कैंसर इंस्टीट्यूट-कुम्बाला हिल अस्पताल के डॉक्टर सुहास आगरे ने कहा, 'कैंसर रोगियों में इम्युनिटी कम होने की वजह से उनमें संक्रमण होने से रिस्क बढ़ने का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए प्रत्येक कैंसर रोगी को टीकाकरण की जरूरत है, चाहे वो ट्रीटमेंट पर हों या उनका ट्रीटमेंट खत्म हो चुका हो.'

वोकहार्ड अस्पताल के डॉक्टर अतुल नारायणकर ने कहा, 'कैंसर पेशेंट में कोविड का खतरा एक जनरल मरीज की तुलना में कहीं ज्यादा है. इन मरीजों में सिवेरिटी और मॉर्टैलिटी रेट भी ज्यादा है. इसी वजह से इनके लिए वैक्सीन बेहद जरूरी है. ब्लड, लंग्स या किसी भी प्रकार के कैंसर से लड़ रहे मरीज या एक्टिव ट्रीटमेंट पर मरीज को संक्रमण का रिस्क काफी ज्यादा है.'

केंद्र ने कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते 'R' फैक्टर को लेकर जताई चिंता, जानिए 10 बड़ी बातें

कैंसर विशेषज्ञों की ओर से इस आह्वान का कारण एक अंतर्राष्ट्रीय शोध भी है. जर्नल ‘कैंसर सेल' में प्रकाशित एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है कि कैंसर रोगियों पर कोविड का टीका प्रभावी है. शोधकर्ताओं ने कैंसर से जूझ रहे 131 मरीजों पर कोविड टीके के असर आंकलन किया. इनमें से 94 फीसदी प्रतिभागियों में दूसरी खुराक लगने के तीन से चार हफ्ते के भीतर अच्छी मात्रा में एंटीबॉडी बनती दिखी, जबकि सात कैंसर मरीजों में एंटीबॉडी नहीं बनी, जिनकी हालत गंभीर रही. इस अध्ययन में शामिल किए गए प्रतिभागियों की औसत आयु 63 साल थी.

मुंबई के फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर अनिल हेरूर ने कहा, 'हाल ही में एक ऐसी भी स्टडी है कि कोविड की वजह से कैंसर मरीजों में जो डेथ रेट है, वो 26 प्रतिशत है जबकि आम मरीज में 2-3 फीसदी, इसलिए कैंसर मरीजों को प्राथमिकता के साथ वैक्सीनेट करना जरूरी है.'

कैंसर रोगियों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे संक्रमण से लड़ने की उनकी क्षमता कम हो जाती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और रेडियोथेरेपी जैसे कुछ उपचार वाइट ब्लड सेल्ज के उत्पादन को प्रभावित करते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिससे संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है. कैंसर मरीजों में संक्रमण का खतरा बड़ा है, इसलिए इनके लिए टीके की अहमियत पर विशेषज्ञ जोर दे रहे हैं.

Advertisement

VIDEO: वैक्सीनेट इंडिया : कौन-कौन लगवा सकता है कोरोना का टीका? जानिए

Featured Video Of The Day
Aryan Khan को NDTV Indian Of The Year 2025 में Debut Director ऑफ द ईयर का पुरस्कार मिला
Topics mentioned in this article