Bhopal Drug Case: मध्य प्रदेश में कुख्यात मछली परिवार के साम्राज्य के आखिरी किले पर आज बुलडोजर कार्रवाई हुई. इससे पहले 30 जुलाई को मछली परिवार के 100 करोड़ से ज्यादा की अवैध संपत्ति (मकान, कारखाने, वेयर हाउस, फार्म हाउस और मदरसे) पर बुलडोजर चला था. भोपाल के आनंदपुर कोकता इलाके के वार्ड नंबर 62 में मछली परिवार का साम्राज्य था. प्राप्त जानकारी के अनुसार 15 हजार वर्ग फीट सरकारी जमीन पर तीन मंजिला हवेली बनाई गई थी. बुलडोजर एक्शन के दौरान 250 से ज्यादा पुलिस बल, प्रशासनिक टीम और निगम के अमले ने मिलकर कार्रवाई को अंजाम दिया. करीब साढ़े पांच घंटों तक कार्रवाई चली.
ऐसा था मछली परिवार का आलीशान बंगला
3 मंजिला ये बंगला 1990 के आस पास बनाया गया था. इसमें 30 से ज्यादा कमरे, गैरेज, पार्क और झूला भी बनाया गया था. सरकारी जमीन पर कब्जा कर कारखाना, रिसॉर्ट, मदरसा और घर बनाया गया था. बताया जा रहा है कि 150 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति सरकारी जमीनों पर बनाई गई थी.
मछली परिवार के आरोपी कौन थे?
यासीन मछली - एमडी ड्रग्स की तस्करी, यौन शोषण, लड़कियों को ब्लैकमेल करना, ड्रग्स का आदि बनाना, हाई प्रोफ़ाइल ड्रग्स पार्टियो का आयोजन, अपहरण, मारपीट और लूट. यासीन क्लब में डीजे बजाता था.
शाहवर मछली - नाबालिग के साथ दुष्कर्म, पॉस्को एक्ट के तहत आरोपी, एमडी ड्रग्स की स्मगलिंग, अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेलिंग.
मछली परिवार की संपत्ति का ब्यौरा, इन पर चला बुलडोजर
- शकील अहमद पिता शरीफ अहमद का फार्म हाउस खसरा नंबर 55 शासकीय भूमि में स्थित वार्ड नंबर 62 अनंतपुरा कोकता
- शारिक पिता शरीफ अहमद का वेयर हाउस 40000 वर्ग फिट पर वार्ड नंबर 62 अनंतपुरा कोकता
- शकील अहमद पिता शरीफ अहमद का सुमन फार्म शासकीय भूमि पर वार्ड नंबर 62 अनंतपुरा कोकता
- इरशाद अहमद पिता सरफराज मोहम्मद खान द्वारा कारखाना शासकीय भूमि पर वार्ड नंबर 62 अनंतपुरा कोकता
- अता उल रहमान पिता मुफ्ती रईस अहमद खान द्वारा शासकीय भूमि पर अवैध मदरसा वार्ड नंबर 62 अनंतपुरा कोकता
- शारिक अहमद उर्फ मछली ,सोहेल अहमद ,शफीक अहमद तीनों के पिता शरीफ अहमद तीन मंजिल कोठी शासकीय भूमि पर निवासी वार्ड नंबर 62, अनंतपुरा कोकता (इस सम्पति पर आज बुलडोजर कार्रवाई हो रही है.)
कैसे बनायी अकूत संपत्ति?
लव जिहाद, ड्रग्स तस्करी और अवैध हथियारों की खरीद फरोख्त के आरोपों से घिरे भोपाल के मछली परिवार के रसूख के आगे नेता और अफसर दोनों ही सरेंडर थे.
समिति में जिन सदस्यों के नाम दर्ज थे, वो कभी मछली पकड़ने तालाब में उतरे ही नहीं. ठेके से मछली परिवार को हर साल 4 करोड़ की कमाई हो रही थी. इस तरह मछली परिवार ने 40 साल में मोटे तौर पर 150 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है. सूत्रों ने बताया कि मछली परिवार का नाम किसी भी सरकारी कागज में नहीं मिलेगा, मगर मछली पकड़ने का जो मुनाफा है, वो इसी परिवार के पास जाता था.
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