- मप्र में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न अभियान के दौरान दस दिन में छह बूथ लेवल अफसरों की मौत हुई है
- मृतकों के परिजन ने अधिक काम का दबाव, देर रात की रिपोर्टिंग और सस्पेंशन के डर को मौतों का प्रमुख कारण बताया है
- राज्य में कुल साढ़े पांच करोड़ मतदाता, 65 हजार से अधिक बूथ लेवल अधिकारी वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण में लगे हैं
मध्य प्रदेश में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न (SIR) अभियान के दौरान बूथ लेवल अफसरों (BLO) की मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है. सिर्फ 10 दिनों के भीतर 6 BLO की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों अधिकारी हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज, और अन्य गंभीर बीमारियों के कारण अस्पताल में भर्ती हैं. मृतकों के परिजनों ने इन मौतों के लिए सीधे तौर पर ‘ज़्यादा काम का दबाव', लंबी ड्यूटी, देर रात की रिपोर्टिंग, और सस्पेंशन के खौफ को ज़िम्मेदार ठहराया है. वहीं, स्थानीय प्रशासन इन आरोपों से इनकार कर रहा है, उनका कहना है कि मृतक BLO पहले से ही अस्वस्थ थे.
10 दिन में 6 BLO की मौत: क्यों गहराया विवाद?
प्रदेश में 5.74 करोड़ मतदाताओं के लिए 230 विधानसभा क्षेत्रों में 65,014 BLO मैदान में हैं. इन BLO पर मतदाता सूची के शुद्धिकरण (मृत, डुप्लीकेट, शिफ्टेड मतदाताओं के नाम हटाने) की जिम्मेदारी है. मृतकों के परिजन का आरोप है कि SIR के दौरान अफसरों को लगातार निर्देश दिए जा रहे थे और देर रात तक रिपोर्टिंग के दबाव ने उनके मानसिक और शारीरिक तनाव को अत्यधिक बढ़ा दिया. इस कारण ये दुखद घटनाएं शहडोल, बालाघाट, और मंडीदीप जैसे तीन ज़िलों में सामने आईं.
शहडोल से मंडीदीप तक एक जैसी कहानी
- शहडोल के सोहागपुर में 54 वर्षीय शिक्षक मनीराम नापित की एसआईआर ड्यूटी के दौरान ही तबीयत बिगड़ी. मेडिकल कॉलेज ले जाते समय उन्होंने दम तोड़ दिया. बेटे आदित्य नापित ने बताया, "प्रेशर बहुत ज्यादा था, बीएलओ थे, एसआईआर के काम के बार बार फोन आ रहे थे, 2-2 मिनट में रिपोर्टिंग आ रही थी, तबीयत अचानक बिगड़ गई." वहीं, कलेक्टर डॉ केदार सिंह, शहडोल ने बताया, "छोटा पोलिंग बूथ है, काम अच्छा था, काम 60% पूरा किया. शाम को 5 बजे घर पहुंचे, घर में पानी पिया, एक घंटे बाद तबीयत बिगड़ी फिर डेथ हुई. संभावना हार्ट अटैक की है."
- बालाघाट में 50 वर्षीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अनीता नागेश्वर की एसआईआर अभियान के दौरान मौत हो गई. परिजनों का कहना है कि उन्हें मानसिक तनाव होने लगा था और आखिरकार नागपुर में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनकी बेटी नागेश्वर ने कहा, "उन्हें मानसिक तनाव होने लगा, तबीयत बिगड़ने लगी, नागपुर रेफर किया, वहां डेड घोषित कर दिया. इतना जो काम है, एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मानसिक तनाव से मेरी मां की मौत हुई है." परियोजना अधिकारी सोनू शिवहरे ने स्वीकार किया कि उन्हें रेस्ट नहीं मिल पा रहा था, मेहनती थीं, ईमानदार थीं.
- 20 नवंबर की रात मंडीदीप में बीएलओ रमाकांत पांडे की ऑनलाइन मीटिंग खत्म होने के दस मिनट बाद ही हार्ट अटैक से मौत हो गई. बेटे अमित पांडे ने कहा, "वह रात में 8.30 बजे बीएलओ के काम में लगे थे, 5-6 दिन से सोए नहीं थे, बहुत प्रेशर में थे. एसडीएम साहब भी आए थे मीटिंग में टारगेट दिया गया था. मीटिंग से उठे, थोड़ा टहले और गिर गए, अटैक आ गया, लेकिन मृत घोषित कर दिया."
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कर्मचारी संघ की मांग: 15 लाख रुपये का मुआवजा
इन मौतों को देखते हुए, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने सरकार से BLO के परिवारों के लिए 15 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है. वहीं, प्रशासन का एक पक्ष यह भी है कि SIR एक महीने का अभियान है और औसतन एक BLO को रोज 8-9 परिवारों से मिलना होता है, जो सामान्य सरकारी ड्यूटी के दायरे में आता है. हालांकि, इन मौतों के कारण उपजा मानवीय दर्द और कर्मचारियों पर पड़ रहे मानसिक दबाव की अनदेखी नहीं की जा सकती.














