'प्रेम कहानियां' कहना और सुनना किसे नहीं पसंद. एक दौरा था किस्से कहानियों का, जब कहानियां जुबानी सफर किया करती थीं. किताब, दिमाग और यादों के घरों में रहा करती थीं और अक्सर लगने वाले मजमों, नुक्कड़ की बैठकों, ढ़लती रात के साथ उगते किस्से कहानियों की महफिलों में बांची जाया करती थीं. लेखक शब्दों के मोतियों से कहानियां गढ़ा करते थे. कल्पनाओं से ऐसी जिवंत तस्वीर खींचते थे कि पढ़ने वालों को लगता था कि प्रेमी-प्रेमिका आंखों के सामने ही बैठे हैं. अब वक्त बदल गया है. नए दौर के साथ प्रेम कहानियों का बताने के नए तरीके आ गए हैं. भले ही वक्त में जरा बलावा आया है. आजकल लोगों ने किस्से कहानियों के लिए नेटफ्लिक्स और दूसरे ओटीटी प्लेटफॉमर्स की ओर रुख किया है. लेकिन प्रेम कहानियों के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ है.
सितंबर के महीने में हिंदी दिवस मनाया जाता है. तो चलिए इस मौके पर आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही हिंदी के क्लासिक उपन्यासों के बारे में. जो आज भी पढ़ें तो बिलकुल पुराने नहीं लगते और जिनमें मोहब्बत की बात बहुत खूबसूरती के साथ लिखी गई है. जो पढ़ने वालों के दिलों में कुछ यूं उतरीं कि उन पर फिल्में तक बनाई गईं. अगर आप भी इस दिनों कुछ अच्छी कहानियों या किताबों की तलाश में हैं, तो यहां हम आपको बता रहे हैं हिंदी की बेहद चर्चित और पंसद की जाने वाली प्रेमकहानियों के बारे में.
चेतावनी : साहित्य और भाषा के साथ ही साथ ये सभी कहानियां भावनात्मक रूप से भी बेहद मजबूत हैं. इनमें पूरा सामर्थ्य है कि ये आपको पीड़ा का अहसास कराएं और अगर आप बेहद कोमल हृदय वाले हैं, तो हो सकता है कि प्रेम की पीड़ा का ऐसा प्रभाव आप पर हो कि आपकी कई रातों की नींद ही खो जाए.
उसने कहा था : चंद्रधर शर्मा गुलेरी
हिंदी साहित्य के रचनाकार चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने साल 1915 पर ये कहानी लिखी थी. इस कहानी को हिंदी साहित्य के शुरुआती दौर की लवस्टोरी कहा जाता है. जिसमें पहले वर्ल्ड वॉर के सैनिक और उसकी प्रेमिका की कहानी है. इस पर साल 1960 में फिल्म बनी. जिसमें एक साथ दिखे थे सुनील दत्त और नंदा.
कोसी का घटवार : शरद जोशी
कहानी शेखर जोशी की है. इसका प्रकाशन 1958 में हुआ. यह दो प्रेमियों की करुण कहानी है. तो कमजोर दिल वालों को पहले यह चेतावनी है कि उन्हें कहानी पढ़ते हुए आंसू आ सकते हैं. भाग्य की विडंबना और परिस्थितियों के दुष्चक्र कैसे दो प्रेम करने वालों को अपने चक्र में घेरती है, पीड़ा कैसे उन्हें स्वयं ही स्वीकार कर लेती है. यह कहानी पढ़कर आप समझ पाएंगे. पहाड़ों के बैकड्रॉप इस खूबसूरत प्रेम कहानी को लिखा दिग्गज लेखक शरद जोशी ने. ये दो प्रेमियों की कहानी है जो सेल्फ रिस्पेक्ट की खातिर एक दूसरे से अलग हो जाते हैं. अगर आप प्रेम कहानियां पढ़ने के शौकीन हैं तो यह आपकी लिस्ट में अगली कहानी हो सकती है.
गदल : रांगेय राघव
ये कहानी लिखी है रांगेय राघव ने. इस कहानी में स्त्री का प्रेम और वासना दोनों दिखाई गई है. कहानी ग्रामीण जीवन को दर्शाती कहानी 'गदल' में गदल, कहानी की प्रमुख पात्र है, जिसकी उम्र पैंतालिस के पार है, जो खारी गूजर जाति की है. गदल के पति गुन्ना की मृत्यु के बाद, गदल कम उम्र के लोहारे गूजर मौनी से शादी कर अपने घर चली जाती है. इससे उसके परिवार के लोगों की बड़ी बदनामी होती है. उपन्यास में एक स्त्री अपने पति के निधन के बाद अपने देवर के सामने प्रेम का प्रस्ताव रखती है. इसके बाद कहानी में बहुत से उतार चढ़ाव आते हैं. कहानी कभी गंभीर तो कभी इमोशनल मोड़ लेती है. इस कहानी को प्रेम की त्रासदी कहा जा सकता है. अपनी लिस्ट में इस कहानी को जरूर शामिल करें.
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वाङ्चू : भीष्म साहनी
ये भीष्म साहनी की लिखी कहानी है. जो एक चीनी मुसाफिर और एक हिंदुस्तानी महिला के प्यार की कहानी है. जो एक दूसरे को तोहफे देकर मोहब्बत की जुबां बोलते हैं, लेकिन आखिर तक एक दूसरे से कह नहीं पाते.
आकाशदीप : जयशंकर प्रसाद
ये कहानी जयशंकर प्रसाद की लिखी प्रेम कहानी है. जिसमें प्रेमिका अपने प्रेमी को चाहती तो है लेकिन पैसों के प्रति उसका रुझान देखकर प्रेम में आगे नहीं बढ़ पाती. जिसका नतीजा ये होता है कि दोनों जुदा हो जाते हैं.
पुरस्कार : जयशंकर प्रसाद
कहानी में एक राज्य का पड़ोसी राजा अरुण, मधुलिका की ज़मीन खरीदने में दिलचस्पी दिखाता है. मधुलिका के पहले इनकार करती है. इसके बाद अरुण उसके प्रति आसक्त होता है और उसकी प्रशंसा करता है और उसे विवाह का प्रस्ताव देता है. मधुलिका अपने लोगों के प्रति अपने कर्तव्य का हवाला देते हुए शादी करने से मना कर देती है. अंत हम आपको नहीं बताएंगे इसे लिए तो आपको कहानी पढ़नी होगी.