Parenting: बच्चे की परवरिश में माता-पिता के सामने कई तरह के चैलेंजेस आते हैं. ऐसा ही एक चैलेंज है बच्चे का व्यवहार पल-पल में बदलना. खासकर जब मम्मी-पापा काम से घर लौटकर आते हैं तो बच्चा रोने-बिलखने लगता है. बच्चा अपनी इरिटेशन को जताता है और शांत रहने के बजाय कई बार चिल्लाने लगता है. पैरेंट्स (Parents) को लगता है कि बच्चा बदतमीजी करता है लेकिन पैरेंटिंग कोच (Parenting Coach) का कहना है कि असल कारण इससे बहुत अलग होता है. पैरेंटिंग कोच रिद्धि देवराह ने बताया क्यों बच्चों का व्यवहार पैरेंट्स को देखकर खराब हो जाता है और बच्चे को पैरेंट्स इस सिचुएशन में किस तरह हैंडल कर सकते हैं.
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पैरेंट्स को देखकर क्यों खराब हो जाता है बच्चे का व्यवहार
पैरेंटिंग कोच ने बचाया कि दिनभर बच्चा स्कूल में या घर में अपने बेस्ट बिहेवियर पर होता है. वह स्कूल में बच्चों और दूसरे लोगों से अच्छे से बात करता है और दिनभर रूल्स फॉलो करने की कोशिश करता है. लेकिन, जब बच्चे पैरैंट्स को देखते हैं तो उनका दिमाग आखिरकार रिलैक्स फील करता है. ऐसे में जो भी भावनाएं बच्चे के मन में दबी होती हैं सब बाहर निकलने लगती हैं, आंसू, गुस्स, इरिटेशन (Irritation) और फ्रस्ट्रेशन सब बाहर आने लगते हैं.
ऐसा इसलिए नहीं होता क्योंकि पैरेंट्स ने कुछ गलत किया है बल्कि इसलिए होता है क्योंकि बच्चे फाइनली प्रोटेक्टेड फील करते हैं और अपनी भावनाओं को एक्सप्रेस करने में खुद को सेफ समझते हैं. पूरा दिन जिन फीलिंग्स को वे मन में दबाए रखते हैं आखिर में उन्हें बाहर निकाल देते हैं. यह बदतमीजी नहीं है बल्कि माता-पिता पर गहरे विश्वास का साइन है.
पैरेंट्स अक्सर ही बच्चे से कह देते हैं कि तुम्हें क्या दिक्कत है, अगर तुम ऐसे बुरा बिहेव करोगे तो में वापस चला जाउंगा. लेकिन, पैरेंटिंग कोच का कहना है कि यह कहने के बजाय आपको बच्चे से यह कहना चाहिए कि मुझे पता है कि तुम्हारा दिन लंबा था पर कोई बात नहीं मम्मी अब यहां तुम्हारे साथ है. यह छोटा सा बदलाव सबकुछ बेहतर कर देगा. बच्चा बेहतर महसूस करेगा और उसका गुस्सा या रोना-बिलखना भी रुक जाएगा.