लोहा, स्टील, एल्युमिनियम...खाना बनाने के लिए कौन सा बर्तन सबसे अच्छा है?

Cookware Pros and Cons: खाने की क्वालिटी सिर्फ सब्जियों, मसालों या तेल से तय नहीं होती. बर्तन भी उतने ही जरूरी हैं.

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किस बर्तन में बनाना चाहिए खाना?

Cookware Pros and Cons: अच्छी सेहत के लिए अच्छा खाना बेहद जरूरी है. इसके लिए लोग ताजी और हेल्दी सब्जियां चुनते हैं, साथ ही अच्छे मसालों और तेल का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इन तमाम चीजों से अलग खाना बनाने के लिए सही बर्तन चुनना भूल जाते हैं. बता दें कि खाने की क्वालिटी सिर्फ सब्जियों, मसालों या तेल से तय नहीं होती. बर्तन भी उतने ही जरूरी हैं. इसी कड़ी में हाल ही में न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में उन्होंने अलग-अलग बर्तनों के फायदे और नुकसान बताए हैं. आइए जानते हैं इस बारे में- 

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किस बर्तन में बनाना चाहिए खाना?

स्टेनलेस स्टील

लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है स्टेनलेस स्टील. अधिकतर भारतीय घरों में खाना बनाने के लिए स्टेनलेस स्टील का ही इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, इसे लेकर लीमा महाजन बताती हैं, स्टेनलेस स्टील को खाने के लिए सबसे सुरक्षित और बेहतर ऑप्शन माना जा सकता है. ये किसी भी खाने के साथ रिएक्ट नहीं करता है और हार्मोन बैलेंस के लिए भी सही है. ऐसे में आप रोजमर्रा की कुकिंग के लिए स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल कर सकते हैं.

एल्युमिनियम

कुछ लोग एल्युमिनियम के बर्तनों में खाना बनाते हैं. न्यूट्रिशनिस्ट कहती हैं, ये हल्का और सस्ता होता है, लेकिन इसमें समस्या ये है कि एल्युमिनियम खट्टे खाने (जैसे टमाटर या नींबू) से रिएक्ट करता है. लंबे समय तक इस्तेमाल करने से शरीर में एल्युमिनियम की मात्रा बढ़ सकती है, इसलिए इसे रोजाना की कुकिंग के लिए बेहतर नहीं माना जा सकता है.

कास्ट आयरन (लौहे का बर्तन)

लौहे के बर्तन में खाना पकाने से शरीर को आयरन मिलता है, जो सेहत के लिए अच्छा है. लीमा महाजन कहती हैं, ये खाने में गर्मी को भी लंबे समय तक बनाए रखता है. लेकिन इसमें खट्टी चीजों को ज्यादा देर तक नहीं पकाना चाहिए. साथ ही, लौहे के बर्तन में खाना पकाने से पहले इसमें तेल से कोटिंग जरूर करनी चाहिए.

कॉपर (तांबा)

तांबा हीट का अच्छा कंडक्टर है, यानी इसमें खाना जल्दी और अच्छे से पकता है. लेकिन कच्चा तांबा नुकसानदेह हो सकता है. इसलिए हमेशा 'कलई' यानी टिन या स्टील की कोटिंग वाला कॉपर बर्तन इस्तेमाल करना चाहिए और समय-समय पर इसे दोबारा कोट भी जरूर करवाना चाहिए.

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पीतल (ब्रास)

भारत में पारंपरिक रूप से इसका इस्तेमाल होता आया है. माना जाता है कि पीतल शरीर का संतुलन बनाए रखता है. लेकिन इसमें भी 'कलई' करना जरूरी है. न्यूट्रिशनिस्ट पीलत के बर्तन में खट्टा खाना नहीं बनाने की सलाह देती हैं. 

सिरेमिक

लीमा महाजन कहती हैं, अगर आपके सिरेमिक के बर्तन 100% लेड-फ्री हैं, तो सुरक्षित है. इसमें स्लो कुकिंग और बेकिंग अच्छी होती है. लेकिन यह नाज़ुक होता है और जल्दी टूट या चिप हो सकता है.

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नॉनस्टिक/टेफ्लॉन

नॉनस्टिक को लेकर न्यूट्रिशनिस्ट कहती हैं, ये कम तेल में खाना बनाने के लिए बेहतरीन हैं. लेकिन इसे कभी खाली गरम नहीं करना चाहिए और ज्यादा तेज आंच पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. अगर इसकी कोटिंग खुरच जाए, तो तुरंत बदल देना चाहिए.

कौन सा बर्तन है सबसे अच्छा?

इस सवाल का जवाब देते हुए न्यूट्रिशनिस्ट कहती हैं, हर बर्तन के अपने फायदे और नुकसान हैं. कोई भी बर्तन परफेक्ट नहीं है. जरूरी यह है कि आप सही बर्तन का सही तरीके से इस्तेमाल करें. रोजाना इस्तेमाल के लिए स्टेनलेस स्टील या कास्ट आयरन के बर्तन सुरक्षित माने जा सकते हैं. 

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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