बच्चों को नमक और चीनी खिलाने की सही उम्र क्या है? पीडियाट्रिशियन ने बताया कब तक न खिलाएं मीठी चीज

Parenting Tips: हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि 6 महीने बाद भी बच्चे को हर चीज खिलाना सही नहीं है. खासकर बच्चे को नमक और मीठा खिलाने की एक सही उम्र होती है.

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बच्चे को नमक और चीनी कब देनी चाहिए?

Parenting Tips: हर मां-बाप अपने बच्चे की सेहत को लेकर बहुत सजग रहते हैं. 6 महीने बाद बच्चे को दूध के अलावा ठोस आहार देना शुरू किया जाता है. ऐसे में ज्यादातर माता-पिता टेस्ट डेवलप करने के लिए बच्चे को अलग-अलग चीजें खिलाना शुरू कर देते हैं. लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि 6 महीने बाद भी बच्चे को हर चीज खिलाना सही नहीं है. खासकर बच्चे को नमक और मीठा खिलाने की एक सही उम्र होती है. आइए पीडियाट्रिशियन से जानते हैं बच्चों को शुगर और नमक देना कब शुरू करना चाहिए. 

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

इसे लेकर मशहूर पीडियाट्रिशियन रवि मलिक ने हाल ही अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में वे बताते हैं कि उम्र से पहले बच्चे को नमक या शुगर खिलाने से उन्हें आगे चलकर कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.  

कब खिलाएं नमक?

डॉक्टर मलिक के अनुसार, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) की गाइडलाइंस कहती हैं कि एक साल से छोटे बच्चे को नमक नहीं देना चाहिए. बच्चे की किडनी जन्म के बाद धीरे-धीरे विकसित होती है. एक साल से पहले वह पूरी तरह परिपक्व (Mature) नहीं होती, इसलिए वह ज्यादा सोडियम को फिल्टर नहीं कर पाती. ऐसे में अगर बच्चे को नमक दिया जाए, तो यह किडनी पर दबाव डाल सकता है और भविष्य में हाई ब्लड प्रेशर (High BP) जैसी समस्याओं की वजह बन सकता है.

कब खिलाएं चीनी?

वहीं, चीनी की बात करें तो इसे लेकर पीडियाट्रिशियन कहते हैं, दो साल से पहले बच्चे को मीठी चीजें देना नुकसानदायक हो सकता है. छोटी उम्र में अगर बच्चे को मीठे का स्वाद लग जाए, तो आगे चलकर वह मीठा ज्यादा पसंद करने लगता है. इससे ओबेसिटी (मोटापा), डायबिटीज और दांतों में सड़न (Tooth Decay) जैसी दिक्कतें बढ़ सकती हैं. डॉक्टर का कहना है कि बच्चे के स्वाद की आदतें जीवन के शुरुआती दो सालों में बनती हैं.

डॉ. मलिक ने यह भी सलाह दी कि एक साल से छोटे बच्चे को जूस नहीं देना चाहिए, क्योंकि उसमें प्राकृतिक शुगर की मात्रा ज्यादा होती है और फाइबर बहुत कम होता है. ऐसे में जूस से बच्चे की भूख भी कम हो जाती है और उसे जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते. इसलिए बेहतर है कि माता-पिता बच्चे को फल पीसकर या मैश करके दें, ताकि उसे विटामिन और फाइबर दोनों मिलें.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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