Parenting Tips: आजकल पैरेंटिंग आसान नहीं है. अक्सर माता-पिता अच्छे पैरेंट बनने और बच्चों के दोस्त बनने के बीच बैलेंस करने की कोशिश करते नजर आते हैं और अधिकतर मामलों में असफल साबित होते हैं. इस बैलेंस को बनाए रखना आसान नहीं है. एक छोटी सी भूल से लाइन के इस पार या उस पार का मामला बन सकता है. इसमें माता-पिता का बच्चों से व्यवहार बहुत महत्वपूर्ण होता है. कुछ बातें भले ही बड़ी नहीं लगती हैं लेकिन यही चीजें आपके प्रति आपके बच्चों के मन में नेगेटिव छवि बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं. बच्चों के मन में अपने प्रति सम्मान को बनाए रखने केलिए जरूरी नहीं है कि आप बिलकुल परफेक्ट हों बल्कि यह जानना जरूरी है कि कब अपनी गलती स्वीकारनी है और कब उसे ठीक करने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है. यहां पैरेंट्स के ऐसी ही कुछ व्यवहारिक बातें दी गई हैं जिन्हें छोड़ देना बेहद जरूरी है.
पैरेंट्स को छोड़ देनी चाहिए ये 5 आदतें
आपा खोनापरवरिश आसान नहीं है और कभी-कभी हम अपना आपा खो देते हैं. लेकिन, जब हम अपने बच्चों के सामने अपना आपा खोते हैं तो इसका खराब प्रभाव पड़ सकता है. बच्चे अपने माता-पिता को रोल मॉडल के रूप में देखते हैं और बार-बार आपा खोते हुए देख उन्हें यह संदेश मिलता है कि तनाव और झगड़ों से निपटने का यही तरीका है. अगर हम इन स्थितियों में शांत रहते हैं तो बच्चे भी यही सीखते हैं.
अक्सर काम के बोझ के कारण हम बच्चों की बातें सुनने की जगह उन्हें 'अभी नहीं' या 'बाद में बताना' जैसी बातें कह देते हैं. इससे बच्चों (Children) में अपनी बातें शेयर करने के उत्साह में कमी आने लगती है और वे भावनात्मक रूप से आपसे दूर होने लगते हैं.
बच्चों से किए वादे को तोड़ने से बचना चाहिए. 3 साल की उम्र से ही बच्चों में वादों को निभाने की समझ विकसित होने लगती है. इसलिए जब माता-पिता लगातार वादे तोड़ते हैं तो यह उनके विश्वास और सम्मान को हिला देता है. पैरेंट्स को अपनी बात पर कायम रहना या ऐसे वादे करने से बचना महत्वपूर्ण है जिनके बारे में यकीन नहीं है कि आप उन्हें पूरा कर पाएंगे.
माता-पिता के रूप में हम अक्सर अपने बच्चों की जरूरतों को अपनी जरूरतों से पहले रखते हैं. यह सराहनीय है, लेकिन अपनी देखभाल की उपेक्षा करना सही नहीं है. जब हम अपने शारीरिक और मानसिक सेहत की उपेक्षा करते हैं तो यह तनाव और थकावट का कारण बन सकता है, जो पैरेंटिंग को प्रभावित करता है. आपके बच्चे आपके व्यवहार को देख रहे हैं और उससे सीखते हैं.
बच्चों की दूसरों बच्चों से तुलना (Comparison) करने से बचना चाहिए. यह उन्हें प्रेरित करने के बजाए उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने का काम करता है. हमेशा दूसरों को उनसे बेहतर बताने की जगह उन्हें बताएं कि उनमें क्या अच्छा है.
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